आर्ट गैलरी: रजा की अंकुरण
एसएच रजा की पेंटिंग ‘अंकुरण’ (Ankuran) उनके प्रसिद्ध ‘बिंदु’ श्रृंखला का हिस्सा है। ये भारतीय दर्शन और आध्यात्मिकता से प्रेरित है। इसमें बिंदु से अंकुरण की प्रक्रिया को दर्शाया गया है। ये जन्म, ऊर्जा और अनंत संभावनाओं का प्रतीक है। ये चित्र जीवंत रंग, वृत्त, त्रिभुज और ज्यामितीय पैटर्न ब्रह्मांडीय सामंजस्य और सृजन को दर्शाते हैं। यह पेंटिंग 1987 में बनाई गई थी और रजा के कलात्मक पुनर्जन्म और भारतीय विरासत के साथ उनके गहरे जुड़ाव को दर्शाती है।
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ज्यामितीय रूप पेंटिंग में वृत्त (निरंतरता), त्रिभुज (ऊर्जा, पुरुष-प्रकृति) और रेखाओं के साथ-साथ भारतीय पंचतत्वों (पृथ्वी, जल, अग्नि, आकाश और वायु) के रंगों (सफेद, काला, लाल, नीला और हरा) का प्रयोग है। यह सिर्फ एक दृश्य नहीं, बल्कि आत्मनिरीक्षण का निमंत्रण है, जो ब्रह्मांड और मानव आत्मा के सार पर चिंतन कराता है, जिसमें रजा भारतीय दर्शन और आधुनिकतावाद को मिलाते हैं।
एसएच रजा के बारे में
सैयद हैदर रजा (एसएच रजा) 20 वीं सदी के भारत के सबसे प्रतिष्ठित आधुनिकतावादी चित्रकारों में से एक थे। मध्य प्रदेश के मंडला में जन्मे रजा ने 1947 में स्थापित ‘प्रोग्रेसिव आर्टिस्ट्स ग्रुप’ के माध्यम से भारतीय कला को एक नई दिशा दी। 1950 में पेरिस जाने के बाद, रजी की शैली लैंडस्केप से हटकर अमूर्त ज्यामितीय अभिव्यक्तियों की ओर मुड़ गई। उनकी कलात्मक यात्रा का शिखर ‘बिंदु’ की अवधारणा थी, एक केंद्रीय बिंदु, जो भारतीय दर्शन में ब्रह्मांड के जन्म और ऊर्जा का प्रतीक है। उनकी पेंटिंग्स, जो अक्सर ‘बिंदु’, ‘प्रकृति’, ‘शून्य’ और ‘नाद’ जैसे विषयों पर केंद्रित होती थीं, जीवंत रंगों और प्रतीकात्मकता से भरी थीं। रजा को उनके योगदान के लिए कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सम्मान मिले, जिनमें भारत का दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण (2013) और फ्रांस का सर्वोच्च सम्मान ‘लीजन ऑफ ऑनर’ शामिल है। वह 2010 में भारत लौट आए और 2016 में अपनी मृत्यु तक कला जगत को प्रेरित करते रहे।
