ISRO की बड़ी सफलता: ब्लूबर्ड ब्लॉक-2 सैटेलाइट सफलतापूर्वक लॉन्च, दुनिया के सबसे बड़े कमर्शियल कम्युनिकेशन उपग्रह ने रचा इतिहास

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Published By Muskan Dixit
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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने एक बार फिर गौरवपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से LVM3-M6 रॉकेट ने अमेरिकी कंपनी AST स्पेसमोबाइल के ब्लूबर्ड ब्लॉक-2 सैटेलाइट को सफलतापूर्वक अंतरिक्ष की कक्षा में स्थापित कर दिया। यह कमर्शियल मिशन आज सुबह करीब 8:55 बजे संपन्न हुआ, जिसकी उल्टी गिनती मंगलवार से ही चल रही थी।

ब्लूबर्ड ब्लॉक-2 की अनोखी विशेषताएं 

यह 6,100 किलोग्राम भारी उपग्रह LVM3 रॉकेट द्वारा लो अर्थ ऑर्बिट (LEO) में भेजा गया अब तक का सबसे वजनी पेलोड है। इससे पहले यह रिकॉर्ड CMS-03 सैटेलाइट (लगभग 4,400 किग्रा) का था, जिसे 2 नवंबर 2025 को लॉन्च किया गया था। 

यह उपग्रह सामान्य स्मार्टफोन्स को बिना किसी अतिरिक्त हार्डवेयर के सीधे हाई-स्पीड सेलुलर ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए तैयार किया गया है। इसमें 223 वर्ग मीटर का विशाल फेज्ड-एरे एंटीना लगा है, जो इसे LEO में तैनात सबसे बड़ा कमर्शियल कम्युनिकेशन सैटेलाइट बनाता है।

इस तकनीक से दुनिया के किसी भी कोने में 4G/5G वॉयस और वीडियो कॉल, मैसेजिंग, स्ट्रीमिंग और हाई-स्पीड डेटा सेवाएं उपलब्ध होंगी – चाहे जंगल हो, समुद्र हो या दूरदराज के इलाके। यह मिशन न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) और AST स्पेसमोबाइल के बीच हुए समझौते का हिस्सा है।

LVM3 रॉकेट की ताकत

43.5 मीटर ऊंचा यह तीन-स्टेज रॉकेट क्रायोजेनिक इंजन से लैस है, जिसे ISRO के लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम्स सेंटर ने विकसित किया। लिफ्टऑफ के लिए दो S200 सॉलिड बूस्टर लगाए गए हैं, जो विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर की देन हैं।

AST स्पेसमोबाइल ने सितंबर 2024 में अपने पहले पांच ब्लूबर्ड सैटेलाइट लॉन्च किए थे, जो अमेरिका और कुछ अन्य देशों में निरंतर कवरेज दे रहे हैं। कंपनी ने वैश्विक नेटवर्क को मजबूत करने के लिए 50 से ज्यादा मोबाइल ऑपरेटर्स के साथ पार्टनरशिप की है।

इस सफल लॉन्च से ISRO की कमर्शियल लॉन्च क्षमता को नई ऊंचाई मिली है और वैश्विक डिजिटल कनेक्टिविटी में भारत की भूमिका मजबूत हुई है।

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