बीत रहा साल, अधूरी रही आस: गुजरने की दहलीज पर 2025, एमआरआई मशीन अब भी कागजों में बंद

Amrit Vichar Network
Published By Monis Khan
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मुरादाबाद, अमृत विचार। जिला अस्पताल में एमआरआई सुविधा शुरू होने का सपना अब भी अधूरा है। वर्ष 2025 बीतने की दहलीज पर खड़ा जिला अस्पताल आधुनिक जांच सुविधा के लिए इंतजार ही कर रहा है। करीब चार साल पहले एमआरआई मशीन के लिए विशेष रूप से निर्मित भवन तो बनकर तैयार हो गया, लेकिन आज तक उसमें मशीन नहीं लग सकी। नतीजतन, लाखों की आबादी वाले जिले के मरीजों को अब भी निजी केंद्रों का सहारा लेना पड़ रहा है, जहां जांच पर भारी रकम खर्च करनी मजबूरी बनी हुई है।

जिला अस्पताल परिसर में एमआरआई बिल्डिंग का निर्माण वर्ष 2021 में कराया गया था। उस समय उम्मीद जताई गई थी कि जल्द ही शासन स्तर से मशीन उपलब्ध कराकर जिला अस्पताल में एमआरआई जांच शुरू करा दी जाएगी। इससे गंभीर बीमारियों की पहचान में आसानी होगी और गरीब व मध्यम वर्ग के मरीजों को राहत मिलेगी। हालांकि, चार साल बीत जाने के बाद भी यह भवन केवल शोपीस बनकर रह गया है। मशीन के अभाव में यहां ताले लटके हुए हैं और आधुनिक सुविधा का सपना अधूरा पड़ा है। 

चिकित्साधिकारियों का कहना है कि एमआरआई मशीन की खरीद प्रक्रिया शासन स्तर पर चल रही है। टेंडर, तकनीकी स्वीकृति और बजट आवंटन जैसी प्रक्रियाओं के कारण मामला लंबित है। जिला स्तर से कई बार पत्राचार भी किया जा चुका है, लेकिन अब तक ठोस परिणाम सामने नहीं आया है। अधिकारियों के अनुसार, मशीन की लागत काफी अधिक होती है, इसलिए इसकी खरीद और स्थापना में शासन स्तर पर निर्णय लिया जाता है।

रोज 15 मरीजों को होती है एमआरआई की जरूरत
जिला अस्पताल के फिजिशियन डॉ. आशीष कुमार सिंह के अनुसार रोजाना औसतन 15 मरीजों को एमआरआई की जरूरत होती है। इन मरीजों को एमआरआई के लिए मेरठ मेडिकल कॉलेज रेफर करना पड़ता है। वहां करीब 15 दिन बाद नंबर आता है।

मरीजों की जेब पर असर
एमआरआई सुविधा न होने का सीधा असर मरीजों पर पड़ रहा है। जिला अस्पताल में रोजाना 1900 से अधिक मरीज उपचार के लिए पहुंचते हैं, जिनमें से कई को न्यूरोलॉजी, हड्डी, स्पाइन, ब्रेन स्ट्रोक, ट्यूमर जैसी बीमारियों की जांच के लिए एमआरआई की जरूरत होती है। ऐसे मरीजों को बाहर निजी जांच केंद्रों पर भेजा जाता है, जहां एक जांच के लिए 5 से 10 हजार रुपये तक खर्च करने पड़ते हैं। गरीब मरीजों के लिए यह खर्च उठा पाना बेहद मुश्किल हो जाता है, जिससे कई बार जांच टल जाती है और इलाज में देरी हो जाती है।
मशीन के लिए किया जा रहा पत्राचार

अपर निदेशक एवं प्रमुख अधीक्षक डॉ. संगीता गुप्ता ने बताया कि शासन स्तर पर एमआरआई मशीन की खरीद प्रक्रिया चल रही है। उन्होंने कहा, एमआरआई बिल्डिंग पूरी तरह तैयार है। मशीन की खरीद और स्थापना शासन द्वारा की जानी है। इस संबंध में लगातार पत्राचार किया जा रहा है। जैसे ही शासन से स्वीकृति और मशीन उपलब्ध होगी, जिला अस्पताल में एमआरआई जांच की सुविधा शुरू करा दी जाएगी। फिलहाल स्थिति यह है कि 2025 की शुरुआत होने जा रही है, लेकिन जिला अस्पताल की एमआरआई सुविधा अब भी फाइलों और कागजों तक सीमित है। मरीजों को उम्मीद है कि नए साल में यह इंतजार खत्म होगा और जिला अस्पताल में आधुनिक एमआरआई जांच की सुविधा साकार हो सकेगी।

 

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