दुनिया के सबसे बड़े हीरा घिसाई केंद्र में लम्बे समय बाद लौटी रौनक

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सूरत। दुनिया के सबसे बड़े हीरा कटाई और घिसाई केंद्र सूरत की सैकड़ों फैक्ट्रियों में लम्बे सन्नाटे के बाद अब फिर से चहल पहल लौट आई है। कोरोना संकट के चलते इस उद्योग से अभी भी अनिश्चितता के बादल पूरी तरह छंटे नहीं हैं। पूरी तरह से निर्यात पर निर्भर यहां के हीरा उद्योग में …

सूरत। दुनिया के सबसे बड़े हीरा कटाई और घिसाई केंद्र सूरत की सैकड़ों फैक्ट्रियों में लम्बे सन्नाटे के बाद अब फिर से चहल पहल लौट आई है। कोरोना संकट के चलते इस उद्योग से अभी भी अनिश्चितता के बादल पूरी तरह छंटे नहीं हैं। पूरी तरह से निर्यात पर निर्भर यहां के हीरा उद्योग में 10 लाख से अधिक कामगार हैं।

यहां पिछले लगभग दो साल से मंदी का माहौल था पर स्थिति मार्च महीने के अंतिम सप्ताह में लॉक डाउन के बाद से बदतर हो गयी। सभी फैक्ट्रियों पर अस्थायी तौर पर ताले लग गए थे। जून में अनलॉक -1 की शुरुआत के बाद भी ये खस्ताहाली में ही थीं। पिछले दो-तीन महीनों से आयात करने वाले देशों से बढ़ी मांग के कारण अब ये फिर से पटरी पर लौटती दिख रही है। अमेरिका और यूरोप जैसे प्रमुख हीरा ख़रीददारों समेत अनेक देशों में कोरोना की फिर से बिगड़ती स्थिति और कई स्थानीय कारणों के चलते यह तय नहीं कि हालात कब तक ठीक रह पायेंगे।

जेम्स एंड जुलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल के नवीनतम आंकडों के अनुसार इस साल अप्रैल से नवंबर तक हीरे का निर्यात पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में 33 प्रतिशत कम रहा है। हालांकि नवंबर में यह करीब 45 प्रतिशत बढ़ा है। अक्टूबर में यह पिछले साल के इसी माह की तुलना में लगभग बराबर हो गया था। लॉकडाउन के बाद पिछले मई माह में तो यह 80 प्रतिशत गिर गया था। इस उद्योग से जुड़े कई लोग मौजूदा तेज़ी को दिवाली और क्रिसमस जैसे त्योहारों के कारण हर साल बढ़ने वाली मांग के चलते पैदा हुई अस्थायी स्थिति मानते हैं तो कुछ को इसके जारी रहने की उम्मीद है।

भारत के करीब सभी हीरा घिसाई उद्योग गुजरात में हैं और इनमे से 70 प्रतिशत तो अकेले सूरत में हैं। स्थानीय हीरा व्यपारियों के प्रमुख संगठन, सूरत डायमंड एसोसिएशन, के सचिव दामजीभाई मावाणी ने बताया कि काम में कोई उछाल नहीं है। उन्होंने कहा, ‘पिछले छह माह से काम ठप था। इसलिए खत्म हो गए पुराने स्टॉक को भरने के लिए उत्पादन हो रहा है। लग रहा है कि तेज़ी है पर अभी भी सामान्य से 40 प्रतिशत कम ही उत्पादन हो रहा है।

मिनी बाजार स्थित हीरा घिसाई कम्पनी रोलेक्स डायम के मालिक मितेश जसानी ने कहा,’सूरत में तैयार होने वाले लगभग सभी हीरे मुंबई के हीरा कारोबारियों के ज़रिए निर्यात होते हैं। क़रीब 80 फ़ीसदी मुक्त व्यापार केंद्र हांग कांग भेजे जाते हैं। अन्य प्रमुख आयातकों में अमेरिका, यूरोप और चीन शामिल हैं। बाज़ार में मौजूदा तेज़ी के दो कारण है- पहला त्योहारों के चलते और दूसरा तथा अधिक महत्वपूर्ण कारण है लॉकडाउन के बाद निर्यातकों के लगभग खाली हो गए भंडार के लिए फिर से आपूर्ति।

सबसे बड़े हीरा कारोबार केंद्र हांग कांग की राजनीतिक अनिश्चितता का भी प्रतिकूल असर उद्योग पर पड़ा। इसके बाद कोरोना महामारी का झटका लगा है। अभी की स्थिति को सामान्य हालात की वापसी नहीं कहा जा सकता। विभिन्न अनिश्चितताओं में काम करने वाले हमारे उद्योग के लिए यह अस्थायी यानी अल्पकालिक भी हो सकता है। अब तक तो क़रीब 30 फ़ीसदी कामगार भी नहीं लौटे हैं।

जीजेईपीसी के क्षेत्रीय अध्यक्ष दिनेश नेवड़िया हालांकि अधिक आशावादी हैं। उन्होंने कहा, ‘अभी मांग में जो तेज़ी का रूख दिख रहा है वह जारी रहेगा। यह केवल त्योहारी मौसम के चलते नहीं है क्योंकि अगर ऐसा होता तो अब तक यह थमने लगता। हीरा उद्योग के मज़दूर नेता और डायमंड वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष रमेश जिलरिया ने बताया कि अभी भी बहुत से कामगार काम पर नहीं लौटना चाहते। उन्होंने कहा,’ लॉकडाउन के बाद से वेतन में जो 30 से 35 प्रतिशत तक कटौती हुई थी वह अब तक वैसी ही है।

करीब नौ लाख मजदूर सौराष्ट्र क्षेत्र के हैं और ढाई लाख मध्य प्रदेश, राजस्थान और महाराष्ट्र जैसे पड़ोसी राज्यों के। इनमे से तीन लाख अब तक नहीं लौटे हैं। वे कोरोना के कारण अब तक क़रीब 950 मौतें देख चुके इस शहर के हालत से डरे हुए हैं। यहां की छोटी और तंग फ़ैक्टरियों में कोरोना सम्बंधी सामाजिक दूरी के प्रतिमानो का पालन तो असम्भव है। इसी कारण बड़ी संख्या में मज़दूर संक्रमण का शिकार हुए हैं।

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