मुरादाबाद : एमडीए से निकाले गए कर्मचारियों के घर दुखों का डेरा

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मुरादाबाद,अमृत विचार। मुरादाबाद विकास प्राधिकरण द्वारा नौकरी से निकाले गए दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों में से ज्यादातर लोग अपनी आंधी उम्र पार कर चुके हैं। कोई भी कर्मचारी इस लायक नहीं है कि वह कहीं और नौकरी कर सकें। ज्यादातर कर्मचारी ऐसे हैं, जिनके परिवार का गुजर बसर इसी नौकरी से होता है। मुरादाबाद विकास …

मुरादाबाद,अमृत विचार। मुरादाबाद विकास प्राधिकरण द्वारा नौकरी से निकाले गए दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों में से ज्यादातर लोग अपनी आंधी उम्र पार कर चुके हैं। कोई भी कर्मचारी इस लायक नहीं है कि वह कहीं और नौकरी कर सकें। ज्यादातर कर्मचारी ऐसे हैं, जिनके परिवार का गुजर बसर इसी नौकरी से होता है।

मुरादाबाद विकास प्राधिकरण कर्मचारी संयुक्त संगठन के अध्यक्ष संजय कुमार सत्संगी व महामंत्री मनुस्मृति का कहना है कि एमडीए ने जिन 110 दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को नौकरी से निकाला है, उनमें से कई परिवार ऐसे हैं जो भुखमरी के कागार पर पहुंच गए हैं, क्योकि इस नौकरी से इन लोगों के परिवार का गुजर-बसर हो रहा था। ऐसे में उनको नौकरी से निकालना उनके बच्चों के मुंह से निवाला छीनने के जैसा है। नौकरी से निकाले गए कई कर्मचारी ऐसे भी हैं जो दो या तीन साल बाद रिटायर्ड होने वाले हैं। अब ऐसे समय से इनकों नौकरी से निकालना ठीक नहीं है।

पति की मौत के बाद नौकरी से कर रही परिवार का भरण-पोषण
मुरादाबाद विकास प्राधिकरण में अपने पति की मौत के बाद 15 साल से चपरासी की नौकरी करने वाली खिमोली देवी इस नौकरी से अपना और अपने दो बच्चों का पालन-पोषण कर रही हैं। धरने पर आंखों में आसू लिए बैठी खिमोली देवी ने बताया कि वह अपने दोनों बच्चों की पढ़ाई भी इसी नौकरी से करा रही हैं। अब अचानक नौकरी जाने से उनका परिवार भुखमरी के कगार पर पहुंच जायेगा और बच्चों की पढ़ाई भी बंद हो जायेगी।

नौकरी चली जाएगी तो कैसे पालेंगे परिवार को
मुरादाबाद विकास प्राधिकरण में पिछले 16 साल से सफाई कर्मचारी की नौकरी कर रही हरवती देवी अपनी इस नौकरी से ही चार बच्चों के परिवार का गुजर-बसर कर रही हैं। हरवती देवी रोते हुए बोलीं कि अगर मेरी यह नौकरी चल जायेगी तो मैं अपने परिवार का गुजर-बसर कैसे करूंगी। मैं अपनी इसी नौकरी से ही अपने बच्चों की पढ़ाई करा रही हूं।

नौकरी चली गई तो भीख मांगने पर हो जाऊंगी मजबूर
मुरादाबाद विकास प्राधिकरण में 20 साल से चपरासी की नौकरी कर रही नन्ही देवी के दो बच्चे हैं। दोनों की शादी हो चुकी है। नन्हे देवी अब चपरासी की नौकरी से ही अपने जीवन का गुजर-बसर कर रही हैं। धरने पर बैठी नन्ही देवी ने बताया कि अगर मेरी नौकरी चल गई तो मैं भीख मांगने पर मजबूर हो जाऊंगी।

इस उम्र में मैं कहां नौकरी खोजने जाउंगा
मुरादाबाद विकास प्राधिकरण में पिछले 22 साल से चालक की नौकरी कर रहे रमेश कुमार का कहना था कि इसी नौकरी से मेरा परिवार चल रहा है। अब इस समय नौकरी जाने पर मेरे परिवार का क्या होगा। मैं अब कहां नौकरी खोजने जाऊंगा। पिछले 22 साल से एमडीए में नौकरी कर रहा हूं और अचानक विभाग ने कह दिया कि तुम्हारी सेवा खत्म हो चुकी है।

परिवार में आय को नहीं है कोई दूसरा साधन
मुरादाबाद विकास प्राधिकरण में पिछले 20 साल से सफाई कर्मचारी के रूप में काम कर रहे राजीव कुमार का कहना था कि उनके परिवार में पत्नी व दो बच्चे है। परिवार की आय का कोई सादन भी नहीं है। इसी नौकरी ने राजीव अपने परिवार को पाल रहे है। अब अचानक नौकरी जाने से उनके परिवार का पालन कैसे होगा।

चौथे दिन भी जारी रहा कर्मचारियों का आंदोलन
मुरादाबाद विकास प्राधिकरण से निष्कासित दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों के समर्थन में संगठनों का धरना गुरूवार को भी जारी रहा। धरने पर बैठे लोगों का कहना था कि 110 कर्मचारियों की बहाली होने पर ही हम अपना आंदोलन समाप्त करेंगे। एमडीए उपाध्यक्ष ने कुछ दिन पहले 110 दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों की सेवा समाप्त करने का पत्र जारी कर दिया। तब से ही मुरादाबाद विकास प्राधिकरण कर्मचारी संयुक्त संगठन आंदोलन की राह पर है। गुरूवार को चौथे दिन भी कर्मचारियों का धरना जारी रहा। धरने में कर्मचारी नेताओं ने 110 दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों की बहाली की मांग की। मुरादाबाद विकास प्राधिकरण कर्मचारी संयुक्त संगठन के अध्यक्ष संजय सत्संगी ने बताया कि हमारी सिर्फ एक ही मांग है कि नौकरी से निकाले गए 110 कर्मचारियों को बहाल किया जाये। धरने में मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश मुरादाबाद विकास प्राधिकरण के प्रांतीय महांमत्री वृंदावन दोहरे, इनाम अजीज, राजाराम, सुभाष वाल्मीकि, राधेश्याम, सूर्याक्ष खन्ना, चंद्रमोहन पांडे समेत अन्य कर्मचारी मौजूद रहे।

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