मुरादाबाद: ‘भूमाफिया’ के आगे ‘नतमस्तक’ हो चुके हैं अफसर
मुरादाबाद, अमृत विचार। सरकारी सिस्टम की अनदेखी का शिकार आखिरकार एक और मजबूर किसान हो गया। करीब नौ साल से अपने हक के लिए लड़ रहे किसान शेर सिंह की किसी ने भी सुनवाई नहीं की। थाना-अदालत के चक्कर काटने के बाद थक चुके शेर सिंह ने गांधी गिरी का रास्ता चुना। सेवानिवृत्त सिपाही महेंद्रपाल …
मुरादाबाद, अमृत विचार। सरकारी सिस्टम की अनदेखी का शिकार आखिरकार एक और मजबूर किसान हो गया। करीब नौ साल से अपने हक के लिए लड़ रहे किसान शेर सिंह की किसी ने भी सुनवाई नहीं की। थाना-अदालत के चक्कर काटने के बाद थक चुके शेर सिंह ने गांधी गिरी का रास्ता चुना।
सेवानिवृत्त सिपाही महेंद्रपाल के खिलाफ कार्रवाई के लिए वह अपने घर पर ही आमरण अनशन पर बैठ गए। गांधीगिरी द्वारा किए जा रहे अपने अनशन की हर जानकारी उन्होंने पुलिस-प्रशासनिक अफसरों को दी लेकिन किसी ने सुध नहीं ली। हालत बिगड़ी तो उनकी पत्नी ने इसकी सूचना भी अफसरों को दी लेकिन कोई हाल-चाल लेने नहीं पहुंचा। लिहाजा वही हुआ जिसका अंदेशा जताया जा रहा था, सिस्टम के आगे हार चुका शेर सिंह शुक्रवार को जिंदगी की जंग भी हार गया। इसके बाद भी अफसर यह कहकर पल्ला झाड़ रहे हैं कि तीन दिसंबर को शेर सिंह ने हालत बिगड़ने पर अनशन खत्म करने की जानकारी दी थी।
दरअसल तथाकथित भू माफिया महेंद्र पाल लंबे समय से गरीबों की जमीन पर कब्जा कर रहा है। यह पहला मामला नहीं हैं कि महेंद्रपाल के सताए शेर सिंह ने अपनी जान गंवाई है, इससे पहले भी उसके उत्पीड़न से तंग आकर लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। करीब दस साल पहले उसने मझोला थाना क्षेत्र में रहने वाले अर्जुन शर्मा ने खुद को गोली मारकर खुदकुशी कर ली थी।
सुसाइड नोट में उसने एक दीवान का जिक्र किया था। बाद में जांच में यह दीवान महेंद्रपाल निकला था। इसके अलावा ग्राम शेरुआ धर्मपुर निवासी रामप्रसाद की जमीन का भी उसने धोखाधड़ी करके अपनी पत्नी के नाम करा दिया था। यह जमीन भी करोड़ों की बताई जा रही थी। इस मामले में भी महेंद्रपाल का नाम सामने आया था। सिविल लाइंस कोतवाली में महेंद्रपाल व उसकी पत्नी के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। थाने के चक्कर काटकर थक गया रामप्रसाद भी अन्न-जल त्याग दिया था। हालत बिगड़ने पर परिजन उसे मेरठ ले गए थे। वहां से वापस आने के कुछ दिनों बाद इंसाफ के लिए लड़ रहा राम प्रसाद जिंदगी की जंग हार गया था। इसके अलावा भी तमाम लोगों ने महेंद्रपाल पर करोड़ों रुपए की जमीन हड़पने के आरोप लगाए थे।
काफी हो-हल्ले के बाद भी नहीं घोषित हुआ भू माफिया
तमाम मामलों में मुकदमा दर्ज होने के साथ ही काफी हो-हल्ला मचा। लोगों ने सड़कों पर उतरकर आंदोलन भी किया लेकिन नतीजा सिफर रहा। आलम यह था कि बसपा की सरकार पर दलितों का शोषण करने वाला महेंद्रपाल पुलिसिया कार्रवाई से बचा रहा। यही वजह रही कि अभी तक उसे सरकारी रिकार्ड में भू माफिया घोषित नहीं किया गया है। यह कहने में गुरेज नहीं हैं कि अधिकतर मामलों में सेवानिवृत्त सिपाही के आगे अफसर ‘नतमस्तक’ नजर आए। इस मामले में एसपी सिटी अमित आनंद का कहना है कि महेंद्रपाल को भू माफिया घोषित करने की कार्रवाई चल रही है।
