बरेली: रंगों में सराबोर हुए लोग, जगह-जगह बजने लगे होली के गीत
अमृत विचार, बरेली। होली के दिन सब मिल जाते है, रंगों में रंग खिल जाते हैं। रंग बरसे भीगे चुनर वाली रंग बरसे। जोगिरा सारा रारा, जैसे गाने कल शहर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में होली के पर्व पर गूंजेगे। सुबह होते ही रंगों की बौछार का जो क्रम शुरू होगा, वह दिन में दोपहर बाद …
अमृत विचार, बरेली। होली के दिन सब मिल जाते है, रंगों में रंग खिल जाते हैं। रंग बरसे भीगे चुनर वाली रंग बरसे। जोगिरा सारा रारा, जैसे गाने कल शहर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में होली के पर्व पर गूंजेगे। सुबह होते ही रंगों की बौछार का जो क्रम शुरू होगा, वह दिन में दोपहर बाद तक जारी रहेगा।
होली के रंग में शहर सराबोर दिखेगा। होली का पर्व जिले में इस वर्ष 29 मार्च को (आज) मनाया जाएगा। सुबह होते ही बच्चों और युवाओं की टोली सड़कों पर निकल पड़ेगी। इस टोली में हर कोई होली के रंग में रंगा नजर आएगा। टोलियां जिधर से भी निकलेंगी, रास्ते में मिलने वाले लोगों पर रंगों की बौछार करते चलेंगी।
टोलियों के रंगों के वार से कोई बच नहीं पाएगा। श्यामगंज, कुतबखाना, पुराना शहर, कांकरटोला, किला, बड़ी बमनपुरी समेत कई जगहों पर टोलियों में जहां ढोल-मंजिरा की आवाज सुनाई देंगी, वहीं कई जगह डीजे की धुन पर युवा होली की मस्ती में चूर नजर आएंगे। घरों में और बाहर छोटे-छोटे बच्चे भी एक-दूसरे को लाल और पीला करेंगे।
कई स्थानों पर मटकी फोड़ प्रतियोगिता का आयोजन भी किया जाएगा। दोपहर बाद तक होली खेलने का क्रम जारी रहेगा। लोग नहाकर रंगों को साफ करेंगे। शाम को नए कपड़े पहनकर लोगों को पर्व की बधाई देने के लिए एक-दूसरे के घरों को आने-जाने का सिलसिला शुरू होगा, जो देर रात तक जारी रहेगा।
छोटी होली से ही छाई त्योहार की खुमारी
रविवार को छोटी होली से ही लोग त्योहार की खुमारी में डूब गए। सड़कों पर बाइकों और पैदल जाने वाले अधिकांश लोगों के चेहरे पर गुलाल लगा दिखाई दिया। रंगों से नहाए युवा तरह-तरह की टोपी व मुखौटा लगाकर वाहनों से फर्राटा भरते नजर आए। मोहल्लों में युवक डीजे पर बज रहे होली गीतों पर ठुमका लगाते हुए होली की मस्ती में चूर दिखे।
बुरा न मानो होली है… के सुनाई पड़ रहे थे बोल
जनपद में वैसे होली का त्योहार सोमवार को मनाया जाएगा, लेकिन रविवार को होली की पूरी रंगत बमबम कर रही थी। कस्बों के अलावा शहरों में भी रोज जैसी चहलपहल नहीं थी। दुकानें खुली थीं मगर कई जगह सन्नाटा था। बाहर से घरों को लौट रहे लोग टैक्सी स्टैंडों पर वाहनों का इंतजार करते दिखे।
छोटे-छोटे बच्चे हाथ में पिचकारी लेकर गुजरने वाले राहगीरों पर रंगों की बौछार कर रहे थे। होली में युवा, बुजुर्ग सभी उत्साहित थे। साथियों का नाम बदलकर आदत के अनुरूप कमेंट किए जा रहे थे। एक- दूसरे के मुंह में रंग पोतने और कपड़ा फाड़ देने का दौर भी चला। हुडदंगई की हद यह भी रही कि गोबर फेंककर कपड़े गंदे किए गए। इसके बाद ये भी बोले कि भाई बुरा न मानो होली है।
तड़के बेला में आखत डालना शुभ
होली पर आखत डालने की पुरानी परंपरा है। होली पर आखत सुबह डालना शुभ होगा। होली की आग घर में लाना भी घर और परिवार की सुख, संपन्नता के लिए शुभ माना गया है। आचार्य महेश शास्त्री ने बताया कि पड़वा के दिन आखत डालने के लिए शास्त्रों में तो कुछ नहीं कहा गया है लेकिन प्रात: बेला में ही आखत डालने की पुरानी परंपरा रही है। आखत डालने की क्रिया प्रात: वेला में दस बजे से पूर्व कर लेनी शुभकर होगी।
