अटकी बुलेट ट्रेन चलाने व अधूरे स्टेशन चमकाने के लिए तीन मंत्री

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संजय सिंह, नई दिल्ली। रेलवे में नए कैबिनेट मंत्री अश्विनी वैष्णव के साथ राज्य मंत्री के दो रिक्त पदों पर रावसाहब दानवे तथा श्रीमती दर्शना विक्रम जरदोश की नियुक्तियां यही बताती हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अब रेलवे की कुछ ढीली चल रही परियोजनाओं को पूरा करने के लिए व्यग्र हैं। इनमें अहमदाबाद-मुंबई हाईस्पीड ट्रेन …

संजय सिंह, नई दिल्ली। रेलवे में नए कैबिनेट मंत्री अश्विनी वैष्णव के साथ राज्य मंत्री के दो रिक्त पदों पर रावसाहब दानवे तथा श्रीमती दर्शना विक्रम जरदोश की नियुक्तियां यही बताती हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अब रेलवे की कुछ ढीली चल रही परियोजनाओं को पूरा करने के लिए व्यग्र हैं। इनमें अहमदाबाद-मुंबई हाईस्पीड ट्रेन और स्टेशन विकास की परियोजनाएं शामिल हैं।

अहमदाबाद-मुंबई हाईस्पीड ट्रेन या बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट के पूरा होने की समय सीमा दिसंबर, 2023 है। लेकिन गुजरात और महाराष्ट्र में भूमि अधिग्रहण की अड़चनों और कोरोना के कारण प्रोजेक्ट इतना पिछड़ गया है कि इसके 2027 में पूरा होने की आशंकाएं जताई जाने लगी हैं।हाईस्पीड रेल कारपोरेशन के पूर्व एमडी अचल खरे ने परियोजना का आधार खड़ा करने में अहम भूमिका निभाई।

अब नए एमडी सतीश अग्निहोत्री, जो की रेल विकास निगम के सीएमडी के रूप में काफी अनुभव हासिल कर चुके हैं, को अधूरे प्रोजेक्ट को पूरा करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। प्रधानमंत्री के नेतृत्व में कैबिनेट मंत्री अश्विनी वैष्णव, जिन्हें आइटी और संचार मंत्रालयों का अतिरिक्त प्रभार भी दिया गया है, गुजरात की दर्शना विक्रम दानवे और महाराष्ट्र के राव साहब दानवे अपने दोनो सहयोगी राज्यमंत्रियों के साथ मिलकर उनका मार्गदर्शन करेंगे।

अहमदाबाद-मुंबई बुलेट ट्रेन पीएम मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट है। जापान के सहयोग वाली इस परियोजना का भूमि पूजन 14 सितंबर , 2017 को स्वयं उन्होंने जापान के तत्कालीन प्रधानमंत्री के साथ मिलकर किया था। करीब 1.10 लाख करोड़ रुपये की अनुमानित लागत के इस प्रोजेक्ट के लिए जापान ने 88,000 करोड़ रुपये का अति सस्ता कर्ज (0.1 फीसद सालाना ब्याज) दिया है।

जबकि 17,000 करोड़ रुपये भारत सरकार तथा शेष 5000 करोड़ रुपये की रकम महाराष्ट्र और गुजरात की राज्य सरकारें मिलकर लगाएंगी। यदि ये परियोजना वक्त पर पूरी नहीं हुई तो सरकार के लिए जापानी कर्ज की अदायगी करना मुश्किल हो जाएगा।
बुलेट ट्रेन कॉरिडोर की लंबाई तकरीबन 508 किलोमीटर है। इसका करीब 70 फीसद हिस्सा गुजरात में और बाकी महाराष्ट्र में पड़ता है।

अब तक गुजरात के 384 किमी हिस्से के 94 फीसद सिविल कांट्रेक्ट दिए जा चुके हैं। लेकिन केवल 23 फीसद भूमि अधिग्रहण के कारण महाराष्ट्र के 198 किमी हिस्से में कोई सिविल वर्क शुरू नहीं हो सका है। पूर्व एमडी अचल खरे ने कहा था कि ” हम 2023 तक सूरत और बिलिमोरिया के बीच 50 किमी हिस्से को चालू करने की कोशिश कर रहे हैं।”

स्टेशनो का पुनर्विकास
बुलेट ट्रेन की भांति स्टेशन पुनर्विकास परियोजना भी जबरदस्त देरी का शिकार है। अब तक 27 प्रस्तावित स्टेशनों में केवल हबीबगंज भोपाल (मप्र) स्टेशन का विकास ही कुछ हद तक हो सका है। जबकि गुजरात के गांधी नगर स्टेशन के आधुनिकीकरण में लेटलतीफी दिखाई दे रही है।

यही हाल कानपुर सेंट्रल, चारबाग व गोमतीनगर लखनऊ (सभी उप्र); आनंद विहार, बिजवासन, सफदरजंग व सराय रोहिल्ला (सभी दिल्ली); चंडीगढ़ व अमृतसर ( दोनों पंजाब); गांधीनगर, सूरत व साबरमती (तीनों गुजरात); गांधीनगर (जयपुर) व कोटा (दोनों राजस्थान) तथा नागपुर, शियाजी नगर-पुणे व ठाकरली-मुंबई (सभी महाराष्ट्र) एवं अन्य स्टेशनों का है। लेकिन मोदी की नजर खासतौर पर गुजरात व राजस्थान में गांधी जी के नाम से जुड़े तीन स्टेशनों को 2022 में आजादी की 75वीं वर्षगांठ से पहले पूरा करने पर है। राजस्थान व गुजरात के मंत्री इस लक्ष्य को पूरा करने में मददगार साबित होंगे।

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