लीला चिटनिस: हिंदी सिनेमा की पहली अदाकारा, जिसने समाज की भ्रांतियों को तोड़ लक्स साबुन के विज्ञापन के लिए किया था काम
हल्द्वानी, अमृत विचार। हिंदी सिनेमा की पहली ब्लॉकब्लस्टर कही जाने वाली फिल्म ‘कंगन’ में अशोक कुमार के साथ जो खूबसूरत अदाकारा दिखी थीं, यह वही थीं…जिन्होंने साल 1941 में लक्स साबुन के पहले विज्ञापन के लिए काम किया था। ‘लीला चिटनिस’ का नाम पुरानी अभिनेत्रियों में चर्चित हैं। आज उनकी पुण्यतिथि के मौके पर जानेंगे …
हल्द्वानी, अमृत विचार। हिंदी सिनेमा की पहली ब्लॉकब्लस्टर कही जाने वाली फिल्म ‘कंगन’ में अशोक कुमार के साथ जो खूबसूरत अदाकारा दिखी थीं, यह वही थीं…जिन्होंने साल 1941 में लक्स साबुन के पहले विज्ञापन के लिए काम किया था। ‘लीला चिटनिस’ का नाम पुरानी अभिनेत्रियों में चर्चित हैं। आज उनकी पुण्यतिथि के मौके पर जानेंगे उनकी जिंदगी से जुड़े कुछ पहलुओं को…

9 सितंबर 1909 को जन्मी लीला चिटनिस की शादी 16 साल की उम्र में हो गई थी। उनके चार बच्चे थे, लेकिन पति के साथ उनकी अक्सर अनबन रहती थी, जिसकी वजह से उनकी शादी लंबी नहीं चली। पति से अलग होने के बाद बच्चों की परवरिश के लिए उन्हें स्कूल टीचर की नौकरी भी की। एक्टिंग का शौक रखने वाली लीला नौकरी के साथ-साथ नाटकों में भी काम करने लगीं। उन्हें नाटकों में अभिनय के कारण एक फिल्म में काम करने का मौका मिल गया था। इसके बाद उन्हें फिल्म ‘जेंटलमैन डाकू’ में अपना हुनर दिखाने का मौका मिला। इस फिल्म में वो लड़कों की पोशाक में नजर आईं थीं। इसके बाद साल 1936 में फिल्म ‘छाया’ से उन्हें पहचान मिली। इस फिल्म के बाद हिंदी सिनेमा में उनकी अदाकारी का सिलसिला चलता ही रहा।

लीला की अदाकारी से प्रभावित होकर ‘बॉम्बे टॉकीज’ ने उन्हें सुपरस्टार अशोक कुमार के साथ फिल्म ‘कंगन’ में काम करने का मौका दिया था। इस फिल्म की लोकप्रियता के बाद अशोक कुमार और लीला चिटनिस की जोड़ी भी काफी लोकप्रिय हुई। लीला ने फिल्मों में जो मां के किरदार निभाए, उससे उनकी पहचान हिंदी सिनेमा की मां के आइकन के तौर पर हुई।
‘आवारा’ (1951) में वह राज कपूर की मां बनीं, ‘गंगा जमना’ (1961) में वे दिलीप कुमार की मां बनीं और ‘गाइड’ (1965) में देव आनंद की मां। 1909 में 9 सितंबर को जन्मीं लीला कर्नाटक से थीं। मगर मराठी भाषी में उनकी पकड़ काफी थी। वह उस जमाने की पढ़ी लिखीं अदाकाराओं में शामिल थीं, जो पुरुष प्रधान समाज की भ्रांतियों को तोड़ अभिनय के क्षेत्र से जुड़ी थीं, क्योंकि उस समय अभिनेत्रियों के अभिनय के क्षेत्र में काम करने का मतलब वेश्यावृत्ति से जोड़ा जाता था। उनकी शैक्षिक योग्यता ही थी कि लीला को महाराष्ट्र की पहली ग्रेजुएट सोसायटी लेडी का तमगा भी मिला था।

लीला चिटनिस को आखिरी बार साल 1987 में आई फिल्म ‘दिल तुझको दिया’ में देखा गया था, उसके बाद वो फिल्मी दुनिया को अलविदा कह अपने बड़े बेटे के साथ अमेरिका में रहने लगीं। 14 जुलाई साल 2003 को वहीं उन्होंने अपनी अंतिम सांसे भी लीं।
