बरेली: जैविक खादों ने किसानों की बढ़ाई आमदनी

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बरेली, अमृत विचार। खरीफ के बाद जैविक खाद से रबी फसल की तैयारी में भी किसान जुट गए हैं। बिथरीचैनपुर के रजपुरा माफी निवासी प्रगतिशील किसान ओमप्रकाश, हाफिजगंज के सत्यपाल गांव के अन्य लोगों को भी जागरूक कर रहे हैं। वह बताते हैं कि रसायनिक खाद की अपेक्षा जैविक खाद सस्ता और बेहतर विकल्प है। …

बरेली, अमृत विचार। खरीफ के बाद जैविक खाद से रबी फसल की तैयारी में भी किसान जुट गए हैं। बिथरीचैनपुर के रजपुरा माफी निवासी प्रगतिशील किसान ओमप्रकाश, हाफिजगंज के सत्यपाल गांव के अन्य लोगों को भी जागरूक कर रहे हैं। वह बताते हैं कि रसायनिक खाद की अपेक्षा जैविक खाद सस्ता और बेहतर विकल्प है।

रसायनिक खाद व कीटनाशक लगाने पर फसलें रोगग्रस्त हो जाती थीं जब पैदावार कम होने लगी तो कृषि वैज्ञानिकों की सलाह पर जैविक खाद का उपयोग शुरू किया। शुरुआत में जैविक खाद से धान की फसल की। फसल अच्छी हुई, कीट भी नहीं लगे। कुछ किसान पाली हाउस में जैविक खेती कर रहे हैं। मशरूम की खेती को बढ़ावा देने के लिए भी तमाम किसान आगे आ चुके हैं।

…तो इसलिए बढ़ी जैविक उत्पाद की मांग
कोरोना महामारी ने बता दिया कि शारीरिक रूप से स्वस्थ होना कितना जरूरी है। चिकित्सक भी पौष्टिक आहार का सेवन कर शरीर में रोग प्रतिरोध क्षमता बढ़ाने की सलाह देते हैं। कीमतें भी सामान्य के मुकाबले अधिक नहीं हैं। अफसरों का दावा है कि जैविक खाद से न सिर्फ फसलों की गुणवक्ता में सुधार होगा, बल्कि भूमि की उर्वरा शक्ति भी बढ़ेगी।

ऐसे बचाएं खेतों की उर्वरता
जिला कृषि अधिकारी धीरेंद्र सिंह ने बताया कि रसायनों के अत्याधिक प्रयोग से मिट्टी में जरूरी पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं। फसल की पैदावार मिट्टी में पोषक तत्वों की उपलब्धता, जीवांश कार्बन की मात्रा और सूक्ष्म जीवों की क्रियाशीलता पर निर्भर करती है। मिट्टी में जीवांश कार्बन की मात्रा 0.80 फीसद से अधिक होनी चाहिए, है 0.30 फीसद से भी कम। मित्र कीट नष्ट हो रहे हैं। जैविक खेती से इन्हें बचाया जा सकता है।

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