लखीमपुर-खीरी: इंग्लैंड के बकिंघम पैलेस की तर्ज पर बना है सिंगाही का राजमहल

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लखीमपुर-खीरी, अमृत विचार। जिले में तमाम ऐसे ऐतिहासिक, पौराणिक स्थल हैं जो समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को अपने में समेटे हैं। सरकारी स्तर पर इन स्थलों पर ध्यान दिया जाए तो पर्यटकों और श्रद्धालुओं को आकर्षित करने की पूरी क्षमता है। इन्हीं में सिंगाही का राजमहल, तुलसीदास की कर्मस्थली रामवाटिका, छोटी काशी के रूप में विख्यात …

लखीमपुर-खीरी, अमृत विचार। जिले में तमाम ऐसे ऐतिहासिक, पौराणिक स्थल हैं जो समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को अपने में समेटे हैं। सरकारी स्तर पर इन स्थलों पर ध्यान दिया जाए तो पर्यटकों और श्रद्धालुओं को आकर्षित करने की पूरी क्षमता है। इन्हीं में सिंगाही का राजमहल, तुलसीदास की कर्मस्थली रामवाटिका, छोटी काशी के रूप में विख्यात गोला का शिवमंदिर, मेढक मंदिर आदि विख्यात हैं।

मंडूकतंत्र के आधार पर बना ओयल का मेढक मंदिर।

सिंगाही कस्बा तराई क्षेत्र की सबसे प्राचीन और समृद्ध खैरीगढ़ स्टेट की राजधानी रहा है। आज के दुधवा नेशनल पार्क का अधिकांश जंगल कभी इसी साम्राज्य का हिस्सा हुआ करता था। सिंगाही राजमहल अपनी अनूठी वास्तुकला, विशालता और सुंदरता के कारण दर्शनीय है। छह एकड़ क्षेत्र में बना यह राजमहल इंग्लैंड के शाही महल बकिंघम पैलेस की तर्ज पर बना है। राजमहल और करीब तीन किलोमीटर दूर भूलभुलैया मंदिर का निर्माण रियासत की महारानी सुरथकुमारी ने 1924 के दशक में सरयू नदी के तट पर कराया था।

राजमहल के सामने मां काली का विशाल मंदिर है। राजमहल और भूलभुलैया को देखने के लिए आज भी बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं। देखरेख के अभाव में भूलभुलैया जीर्णशीर्ण हालत में पहुंच गयी है। विषेले जीवों के खतरे की आशंका के कारण लोग अंदर जाने का साहस नहीं कर पाते हैं। इसके बाद भी प्रतिदिन बड़ी संख्या में लोग आते जाते हैं। प्रदेश सरकार की नई हैरिटेज पर्यटन नीति के तहत सिंगाही के राजमहल का चयन किया गया है।

सिंगाही में बनी भूलभुलैया

वहीं लोगों ने कई बार सरकार से भूलभुलैया मंदिर को भी पर्यटन स्थलों की सूची शामिल किए जाने की मांग की है, लेकिन अभी तक इसमे सफलता नहीं मिल सकी है। इसके अलावा खैरीगढ़ के पास जंगल में किला गौरी शाह, काली माता मंदिर, भूमिसरन बाबा भी ऐतिहासिक स्थल हैं। दुधवा जंगल में स्थित किला गौरी शाह की मजार पर लगने वाला मेला किला मेले के नाम से प्रसिद्ध है। हालांकि दुधवा नेशनल पार्क ने इस मेले पर बंदिश लगा रखी है।

मंडूकतंत्र पर बना है ऐतिहासिक मेढक मंदिर
ओयल स्थित ऐतिहासिक मेढक मंदिर मंडूक मंत्र पर बना है। जो स्थापत्य कला का केंद्र है। यह मंडूक मंत्र पर बना प्रदेश का इकलौता शिवमंदिर है। इस मंदिर का निर्माण ओयल और कैमहरा स्टेट के राजाओं ने कराया था। मंदिर को देखने के लिए दूर-दूर से भारी संख्या में श्रद्वालु और पर्यटक आते हैं। यह मंदिर मेढक की पीठ पर बना हुआ दिखता है।

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