लखनऊ: वरिष्ठ छापा कलाकार गोपाल दत्त शर्मा का 80 वर्ष की उम्र में निधन
लखनऊ। राजधानी में लंबे समय से बीमार चल रहे वरिष्ठ छापा कलाकार गोपाल दत्त शर्मा (80 वर्ष) का गुरुवार की सुबह निधन हो गया। उन्होंने अंतिम सांस अपने इंदिरा नगर आवास में ली। उनकी मौत की सूचना मिलते ही कलाकारों के बीच शोक की लहर दौड़ गई। इस पर वरिष्ठ कलाकार जय कृष्ण अग्रवाल ने …
लखनऊ। राजधानी में लंबे समय से बीमार चल रहे वरिष्ठ छापा कलाकार गोपाल दत्त शर्मा (80 वर्ष) का गुरुवार की सुबह निधन हो गया। उन्होंने अंतिम सांस अपने इंदिरा नगर आवास में ली। उनकी मौत की सूचना मिलते ही कलाकारों के बीच शोक की लहर दौड़ गई। इस पर वरिष्ठ कलाकार जय कृष्ण अग्रवाल ने कहा कि यह एक अत्यंत दुखद समाचार है, हमने एक अच्छा इंसान और कलाकार खोया है। वह एक कर्मनिष्ठ छात्र फिर अध्यापक और कलाकार रहे थे, उनका देहावसान प्रदेश की कलाजगत की अपूर्ण क्षति हैं। अपने साथियों में वे ‘ताऊ’ के नाम से जाने जाते थे ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दें, और उनके परिवार को इस अपार दुख को सहन करने की शक्ति प्रदान करें।
इस पर उनके साथी कलाकार भूपेंद्र कुमार अस्थाना ने बताया कि उनके निधन सूचना पर उन्हें भरोसा ही नहीं हुआ, इसकी पुष्टि उन्होंने उनके दामाद से की। उनके निधन से केवल प्रदेश ही नहीं अन्य प्रांत के कलाकारों में भी शोक की लहर दौड़ गई है। जिसके बाद सभी ने शर्मा को अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनसे जुड़े संस्मरण को सोशल मीडिया और फोन पर साझा किया।
चित्रकार व लेखक अवधेश मिश्रा के एक लेख के अनुसार वरिष्ठ कलाकार गोपाल दत्त शर्मा जो ग्राफिक कलाकार के रूप में देश व विदेशों में पहचान रखते थे शर्मा ग्राफिक विधा के स्तम्भ कलाकारों में से एक रहे हैं। इनकी प्रारंभिक कला यात्रा एक लैंडस्केप पेंटर के रूप में छवि उभर कर आई। उनका चित्रों से अधिक मूर्तियों में रुझान था। वरिष्ठ प्रिंटमेकर मनोहर लाल भुंगरा ने कहा कि वे एक अच्छे कलाकार रहे। उन्होंने कई विधाओं में प्रयोग किए। यह कभी न भरने वाला दुःख है, उनका स्थान कोई नहीं ले सकता।
शिष्यों ने किया याद
वरिष्ठ मूर्तिकार रमेश बिष्ट ने भी उनके कला में किए गए योगदान को याद करते हुए इस शोक में गोपाल दत्त के समस्त शिष्यों ने भी अपने गुरु के संस्मरण को याद करते हुए अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की। नई दिल्ली से चित्रकार नवल किशोर रस्तोगी ने उन्हें याद करते हुए कहा कि गोपाल दत्त शर्मा जिन्होंने मुझे पढ़ाया वह मेरे परम प्रिय शिक्षकों में से एक थे, हम हॉस्टल में रहते थे तो वह सदैव हॉस्टल के विद्यार्थियों से अपार स्नेह रखते थे।
अपने घर में या वह हनुमान सेतु पर सेवा करते थे तो हम लोगों को उसमें बुलाते थे और हम अक्सर वहां जाया करते थे। उन्होंने हमें म्यूरल और ग्राफिक्स दोनों पढ़ाते थे और इसके अलावा जब भी हमारे स्कूल में खेल हुआ करते थे तो एक खेल हुआ करता था रस्साकशी तो रस्साकशी के खेल में वह हमेशा हॉस्टल के विद्यार्थियों के साथ रहते थे और उनको प्रोत्साहन देते थे।
