जालौन: 169 साल पुरानी है कोंच की ऐतिहासिक रामलीला, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज है नाम
जालौन। जिले के कोंच नगर में होने वाली ऐतिहासिक अनुष्ठानी रामलीला का विधि-विधान के साथ शुभारंभ किया गया। कोंच नगर की 169 वर्ष पुरानी रामलीला लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज है। यह अनुपम रामलीला अपनी परंपराओं और अनुष्ठानों को लेकर जानी जाती है। सबसे महत्वपूर्ण यह है कि, 169 वर्ष पूर्व स्थापित परंपराएं …
जालौन। जिले के कोंच नगर में होने वाली ऐतिहासिक अनुष्ठानी रामलीला का विधि-विधान के साथ शुभारंभ किया गया। कोंच नगर की 169 वर्ष पुरानी रामलीला लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज है। यह अनुपम रामलीला अपनी परंपराओं और अनुष्ठानों को लेकर जानी जाती है।
सबसे महत्वपूर्ण यह है कि, 169 वर्ष पूर्व स्थापित परंपराएं और अनुष्ठान आज भी उन्हीं मान्यताओं के साथ कायम हैं, जो निश्चित रूप से इस रामलीला की बहुमूल्य धरोहर है। इन्हीं अनुष्ठानों और स्थापित परंपराओं के कारण ही कोच की रामलीला लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में स्थान पाने में सफल हुई है।
69 साल पुरानी है रामलीला
बता दें कि कोंच नगर की रामलीला की अलग-अलग विशेषताएं भी हैं। कुछ लीलाएं मंच पर ना होकर मैदानों में आयोजित की जाती हैं, जिनको देखने के लिए हजारों की संख्या में भीड़ भी उमड़ती है। यह परंपरा पिछले 169 वर्षों से अनवरत चली आ रही है। इस रामलीला में अभिनय करने वाले पात्र किसी भी प्रकार का कोई भी पारिश्रमिक नहीं लेते हैं और सारे अभिनय बिल्कुल जीवंत-रूप में स्थानीय लोग ही निभाते हैं, और श्री राम, लक्ष्मण, भरत व शत्रुघ्न 10 से 15 वर्ष के बीच के ही ब्राह्मण बालकों को बनाया जाता है, जिनकी पूरे नगर में भक्ति भाव से पूजा अर्चना भी की जाती है। कोंच की रामलीला में पारसी रंगमंच शैली बिल्कुल स्पष्ट दिखाई देती है।
इतना ही नहीं वर्ष 2008 में अयोध्या शोध संस्थान की ओर से इस रामलीला का आद्यंत कवरेज कराया गया था और देश भर की रामलीलाओं के किए गए सर्वेक्षण में इस रामलीला को देश की सर्वश्रेष्ठ मैदानी रामलीला का खिताब भी संस्थान की ओर से प्रदान किया गया था। कोंच की रामलीला की खास बात यह है कि स्थानीय जन सहयोग से ही अपनी पहचान बनाए रखने में अब तक सफल सिद्ध हुई है।
लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड में दर्ज है नाम
वहीं, कमेटी के पदाधिकारी पुरुषोत्तम रिछारिया ने बताया कि, यह रामलीला 169 वर्ष पुरानी है। चौधरी चरण सिंह गौड़ इस रामलीला को लेकर कोंच आए थे और आज उनके वंशज पूरी विधि विधान से पूजा अर्चना कर इस रामलीला का शुभारंभ किया गया है। कोविड काल की वजह से कुछ लीलाओं का मंचन होगा और कुछ का सांकेतिक रूप से की जाएगी। यहां की रामलीला लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज है। क्योंकि यहां पर कार्य करने वाले स्थानीय कलाकार होता है, जो नि: शुल्क सेवा भाव से रामलीला का मंचन करता है।
