लखीमपुर-खीरी: राजनीति चमकी, लेकिन धौरहरा के लोगों की किस्मत नहीं
धौरहरा खीरी, अमृत विचार। आजादी के कई बाद क्षेत्रीय नेताओं की तस्वीर और तकदीर बदलती रही, लेकिन क्षेत्रीय जनता की तकदीर में कोई भी बदलाव नहीं हो सका। स्थानीय लोग जनता को सब्जबाग दिखाकर वोट हासिल करते रहे, लेकिन क्षेत्रीय विकास की ओर ध्यान नहीं दिया गया। यही वजह है कि क्षेत्र के अधिकांश गांव …
धौरहरा खीरी, अमृत विचार। आजादी के कई बाद क्षेत्रीय नेताओं की तस्वीर और तकदीर बदलती रही, लेकिन क्षेत्रीय जनता की तकदीर में कोई भी बदलाव नहीं हो सका। स्थानीय लोग जनता को सब्जबाग दिखाकर वोट हासिल करते रहे, लेकिन क्षेत्रीय विकास की ओर ध्यान नहीं दिया गया। यही वजह है कि क्षेत्र के अधिकांश गांव आज भी स्वास्थ्य, सड़क और शिक्षा से अछूते हैं। वहीं दूसरी ओर यहां के लोगों पर नदियां सितम ढाह रही हैं। सैलाब के कारण यहां के कई गांवों के लोग पलायन कर गए।
वहीं कई गांव नदियों की कोख में समा गए। नेताओं से यहां के लोगों को आश्वासन ही मिला है। नेताओं की उपेक्षा का शिकार स्थानीय लोगों का भरोसा अब जनप्रतिनिधियों से उठ गया है। क्षेत्र में परिवहन व्यवस्था भी बद से बदतर हो गई है। यही वजह है कि यहां अपराध भी बढ़ गए हैं। क्षेत्र में न तो उच्च शिक्षा के लिए स्कूल हैं और न ही इलाज के लिए बेहतर अस्पताल हैं। लोगों को इलाज के लिए लखीमपुर सहित अन्य कस्बों का सहारा लेना पड़ता है।
स्कूल हैं पर शिक्षक नहीं
क्षेत्र में कहने को तो कई स्कूल हैं, लेकिन पिछड़ा क्षेत्र होने के कारण यहां शिक्षक आना नहीं चाहते हैं। स्थानीय लोगों ने बताया कि क्षेत्र में करीब एक दर्जन माध्यमिक स्कूल हैं। इनमें करीब 3000 छात्र-छात्राएं पढ़ते हैं, लेकिन शिक्षक न होने के कारण इनका भविष्य अंधेरे में है। इसके लिए कोशिश न अधिकारियों ने की और न ही जनप्रतिनिधियों ने इस ओर ध्यान दिया। क्षेत्र में कन्या कॉलेज भी नहीं है। क्षेत्र में डिग्री कॉलेज भी नही है।
तहसील के नक्शे से हट गए एक दर्जन गांव
क्षेत्र में शारदा और घाघरा नदियों से होने वाली तबाही प्रतिवर्ष होती है। हर साल नदियों की कटान से कम से कम एक गांव का बजूद खत्म होता रहा है। ऐसे अब तक तहसील के नक्शे से दो दर्जन से ज्यादा गांवों का वजूद समाप्त हो गया है। इनकी आबादी अब सड़क के किनारे या फिर बांध पर बसी है। घर और खेतों को सैलाब समेट ले गया। नेताओं ने भी वादे किए, लेकिन जीतने के बाद वह भी भूल गए। इससे लोगों में रोष है।
सरकारी अस्पताल हैं बदहाल
क्षेत्र में अस्पतालों की स्थित अत्यन्त ही दयनीय है । कहने को तो धौरहरा विधान सभा क्षेत्र में एक दर्जन अस्पताल हैं। जिसमें तीन सामुदायिक और नौ प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र हैं। यहां डाक्टर है तो दवाएं नहीं और जहां हैं वहा डॉक्टर नहीं है। इस तरह क्षेत्र को 21 विशेषज्ञ डॉक्टर चाहिए, लेकिन है एक अकेला वह भी अधीक्षक। क्षेत्र के किसी सरकारी अस्पताल में कोई एमबीबीएस डॉक्टर नहीं है। लोगों को इलाज के लिए लखीमपुर तक का सफर करना होता है।
क्षेत्रीय विधायक ने आमजनमास के लिए कोई ठोस पहल नहीं की है । चुनाव के समय जनता के हित के लिए किए गए वादों को पूरा नहीं किया गया है। -अजय वर्मा- ग्राम माहरिया
भाजपा सरकार के वादे सिर्फ हवाहवाई हैं, इनकी कथनी और करनी में जमीन आसमान का फर्क है ,यह सरकार युवाओं से उनका रोजगार छीन रही है ,पढ़े लिखे युवाओ से पकौड़ा तलने की बात करती है जिसे अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। – वरुण यशपाल चौधरी सपा नेता
विधानसभा क्षेत्र में विधायक निधि से खमरिया कस्बे में व ईसानगर कस्बें में सड़कों का उच्चीकरण करवाकर उनका निर्माण करवाया गया। कोड़री रुप गांव में नदी बीच में पड़ने के चलते वहां बिजली नहीं पहुंच पा रही थी इसलिए वहां सोलर लाइट से बिजली लगाई गई। पांच विद्युत उपकेंद्र बनने है जिनमें से तीन बन गए हैं दो पर काम चल रहा है। सुजई कुण्डा पंण्डितपुरवा मार्ग पर टूटा पड़ा पुल बनना अभी शेष है जिसके लिए सरकार को पत्र लिखा गया है । – बाला प्रसाद अवस्थी विधायक धौरहरा
