डॉ. धर्मपाल सिंह यादव के भाजपा में शामिल होने से आगरा में चढ़ा सियासी पारा
आगरा। विधानसभा चुनाव से पहले तेज हुए दलबदल का असर सियासी दलों में आपसी तनातनी के रूप में दिखने लगा है। इस कड़ी में आगरा जिले की एत्मादपुर विधानसभा सीट से समाजवादी पार्टी (सपा) से पूर्व विधायक डॉ. धर्मपाल सिंह यादव के भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हो जाने के साथ ही आगरा का …
आगरा। विधानसभा चुनाव से पहले तेज हुए दलबदल का असर सियासी दलों में आपसी तनातनी के रूप में दिखने लगा है। इस कड़ी में आगरा जिले की एत्मादपुर विधानसभा सीट से समाजवादी पार्टी (सपा) से पूर्व विधायक डॉ. धर्मपाल सिंह यादव के भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हो जाने के साथ ही आगरा का सियासी पारा चढ़ गया है।
आगरा से तीन बार विधायक रहे डॉ.धर्मपाल सिंह यादव पिछले चुनाव में एत्मादपुर सीट पर भाजपा विधायक रामप्रताप सिंह के हाथों शिकस्त खा चुके हैं। यह माना जा रहा है कि डॉ.धर्मपाल सिंह यादव को एत्मादपुर से टिकट देने के वादे के साथ भाजपा अपने साथ लेकर आई है।
डॉ.धर्मपाल को भाजपा में शामिल किए जाने पर उन्होंने पार्टी में गहरी नाराजगी जाहिर कर दी। यही नहीं, विधायक के समर्थकों ने बुधवार को भाजपा के ब्रज क्षेत्र के कार्यालय पर पहुंच कर हंगामा भी किया। इससे नाराज सिंह समर्थक अनेक स्थानीय नेताओं ने पार्टी से इस्तीफे की भी पेशकश कर दी है।
डॉ.धर्मपाल सिंह यादव का कहना है कि ऐसी क्या मजबूरी रही जो जनमोर्चा, बसपा, कांग्रेस और सपा में रहने वाले नेता को भाजपा में शामिल कराया गया। उन्होंने कहा कि पार्टी के लिए मेरी तीन पीढ़ियां लगी रही हैं। पार्टी को मैंने मां की तरह माना है, लेकिन कुछ बाहरी लोग मां से बेटे को दूर कर रहे हैं। मुझे कष्ट है कि पार्टी ने अपने मूल कार्यकर्ता को भुला दिया है।
डॉ. धर्मपाल की छवि जमीन से जुड़ा कद्दावर नेता की है। हालांकि कभी बसपा कभी सपा, जनमोर्चा या कांग्रेस जैसी पार्टियों से जुड़ाव रहने के कारण उनकी राजनीतिक दलों को लेकर प्रतिबद्धता सवालों के घेरे में रही है।
लेकिन, मतदाताओं पर उनकी मजबूत पकड़ को देखते हुए राजनीतिक दल इस पहलू को नजरअंदाज ही करते रहे हैं। इलाके में यह चर्चा जोरों पर रही कि इतने जमीनी नेता को हराने वाले सिंह की जगह भाजपा ने उनके ही हाथों हारने वाले पर अधिक भरोसा क्यों किया।
सूत्रों का दावा है कि भाजपा को आंतरिक सर्वे में विधायक रामप्रताप सिंह की रिपोर्ट अच्छी नहीं मिली थी। भाजपा में दावा तो यह भी किया जा रहा है कि इस बार जिले में कम से कम साठ विधायकों के टिकट काट सकते हैं।
चर्चा यह भी है कि भाजपा डा धर्मपाल को एत्मादपुर की बजाय मैनपुरी या खेरागढ़ से भी चुनाव लड़ा सकती है। हालांकि डा धर्मपाल की कर्मभूमि एत्मादपुर रही है इसलिये वे सीट बदलने के लिए आसानी से तैयार नहीं होंगे।
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