हर चुनाव में महमूदाबाद को जिला बनाने का उछलता है मुद्दा, कांग्रेस के इस गढ़ पर अब है सपा का कब्जा
सीतापुर। कांग्रेस का गढ़ रही महमूदाबाद विधानसभा सीट राजनीतिक दृष्टकोण से बेहद अहम है। आजादी के बाद से अब तक यहां आठ दफा कांग्रेस ने अपना परचम लहराया। उसके बाद जनसंघ व भाजपा के पाले में भी यह सीट रही। पिछले तीन विधान सभा चुनावों से इस सीट पर सपा का कब्जा है। इस बार …
सीतापुर। कांग्रेस का गढ़ रही महमूदाबाद विधानसभा सीट राजनीतिक दृष्टकोण से बेहद अहम है। आजादी के बाद से अब तक यहां आठ दफा कांग्रेस ने अपना परचम लहराया। उसके बाद जनसंघ व भाजपा के पाले में भी यह सीट रही। पिछले तीन विधान सभा चुनावों से इस सीट पर सपा का कब्जा है। इस बार सपा का कब्जा बरकरार रहता है, या नहीं, ये बात 2022 चुनाव परिणाम आने के बाद ही तय होगा। फिलवक्त इस सीट से किसी बड़ी पार्टी ने अपने उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है।
सपा के मौजूदा विधायक व पूर्वमंत्री नरेंद्र सिंह वर्मा का सपा से चुनाव लड़ना तकरीबन तय माना जा रहा है। अन्य पार्टियों के उम्मीदवार भी टिकट की तलब के साथ ही चुनाव लड़ने की हुंकार भरे हुए हैं। इस कड़ाके की ठंड के बीच चुनावी गर्मी चरम पर है। सभी उम्मीदवार जनता के बीच अपने दावे और वादे कर रहे हैं। पर आजादी से लेकर अब तक इस विधान सभा क्षेत्र की जनता से नेताओं द्वारा किए गए कई वादे अधूरा ख्वाब ही साबित हो रहे हैं। चुनाव आते गए, पार्टी और नेताओं के चेहरे बदलते गए, लेकिन गांजर की इस विधान सभा क्षेत्र के बाशिंदों की तस्वीर कुछ खास नहीं बदली।
बारिश के मौसम में बाढ़ की विभीषिका और गर्मी के दिनों में पूरे-पूरे गांव साफ कर देने वाली अग्निकांड की घटनाओं से जूझना शायद इस क्षेत्र के लोगों की किस्मत बन गई है। जिला मुख्यालय के बजाय प्रदेश की राजधानी लखनऊ से करीब होने वाले महमूदाबाद कस्बे को जिला बनाने का तकरीबन हर विधान सभा चुनाव में नेताओं ने जनता से वादा किया, लेकिन हर-बार नेताओं का यह वादा झूठा ही साबित हुआ। अब चुनाव आया है तो एकबार फिर यह मुद्दा गर्मा गया है। साथ ही शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार जैसे कई अन्य मुददे भी जनता की जुबान पर तैर रहे हैं। विकास के नजरिए से भी यह इलाका बेहद पिछड़ा हुआ है। औद्योगिक इकाईयों का अभाव, गरीबी और पिछड़ापन इस क्षेत्र की तस्वीर है। जनता के मुददे और मांगे, कब और कितनी पूरी होंगी, यह आने वाला वक्त तय करेगा।
ये भी जानें- महमूदाबाद विधान सभा सीट स्वतंत्र रूप से वर्ष 1962 में अस्तित्व में आई। इससे पूर्व यह क्षेत्र सिधौली तहसील का हिस्सा हुआ करता था। सन् 1952 और 1957 के चुनाव में यहां के मतदाताओं ने सिधौली विधायक के लिए मतदान किया था। सूत्रों के मुताबिक इन दोनों चुनाव में यहां से कांग्रेस के ताराचंद्र महेश्वरी चुनाव जीते थे। इस सीट पर जीत की हैट्रिक लगाने वाली कांग्रेस इकलौती पार्टी है। मौजूदा विधायक नरेंद्र सिंह वर्मा इस सीट से सर्वाधिक पांच बार चुनाव जीते हैं। उन्होंने बतौर प्रत्याशी यहां से हैट्रिक भी बनाई है। इस बार फिर नरेंद्र वर्मा को सपा से चुनाव लड़ना लगभग तय माना जा रहा है।
ये हुए विधायक
- 1952 – तारा चंद्र महेश्वरी – कांग्रेस
- 1957 – तारा चंद्र महेश्वरी – कांग्रेस
- 1962 – कुंवर शिवेंद्र प्रताप सिंह जनसंघ
- 1967 – भगौती प्रसाद सोशलिस्ट पार्टी
- 1969 – श्याम सुंदर लाल गुप्ता – कांग्रेस
- 1974 – डॉ. अम्मार रिजवी कांग्रेस
- 1977 – राम नारायण वर्मा – जनता पार्टी
- 1980 – डॉ. अम्मार रिजवी – कांग्रेस
- 1985 – राजा मो. अमीर मो. खान – कांग्रेस
- 1989 – राजा मो. अमीर मो. खान – कांग्रेस
- 1991 – नरेंद्र सिंह वर्मा – भाजपा
- 1993 – नरेंद्र सिंह वर्मा – भाजपा
- 1996 – डॉ. अम्मार रिजवी – कांग्रेस
- 2002 – नरेंद्र सिंह वर्मा – भाजपा
- 2007 – नरेंद्र सिंह वर्मा- सपा
- 2012 – नरेंद्र सिंह वर्मा – सपा
विस चुनाव 2017 का परिणाम
प्रत्याशी – दल – स्थान प्राप्त मत
नरेंद्र सिंह वर्मा – सपा – विजेता- 81469
आशा मौर्या- भाजपा – दूसरा स्थान- 79563
प्रदुम्न वर्मा – बसपा – तीसरा स्थान- 45050
जातीय मत प्रतिशत लगभग -ब्राह्मण 11.6, क्षत्रिय 8, वैश्य 1.8, कायस्थ 1, पिछड़ा 34.4, दलित 29.6, अन्य 1.3 और मुस्लिम 20 प्रतिशत।
क्षेत्र के प्रमुख मुद्दे – महमूदाबाद को अलग जिला बनाना, बंद पड़े कताई मिल को चालू कराना, यातायात के संसाधनों की कमी, बाढ़ व अग्निकांडों की घटनाएं, बदहाल शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाएं, बेरोजगारी व गरीबी आदि।
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