मुरादाबाद : पुरानी पेंशन, सरकार की टेंशन, विरोधियों को मिला अवसर

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विनोद श्रीवास्तव/अमृत विचार। कर्मचारी सरकार की रीढ़ होते हैं। उनके अच्छे कार्यों पर ही सरकारी योजनाओं की प्रगति का दारोमदार होता है। उनकी जरा सी नाराजगी सरकार के लिए मुसीबत बन जाती है। ऐसा ही माहौल वर्तमान में बन चुका है। पुरानी पेंशन बहाली को लेकर प्रदेश व्यापी आंदोलन के बाद सरकार झुकी नहीं तो …

विनोद श्रीवास्तव/अमृत विचार। कर्मचारी सरकार की रीढ़ होते हैं। उनके अच्छे कार्यों पर ही सरकारी योजनाओं की प्रगति का दारोमदार होता है। उनकी जरा सी नाराजगी सरकार के लिए मुसीबत बन जाती है। ऐसा ही माहौल वर्तमान में बन चुका है। पुरानी पेंशन बहाली को लेकर प्रदेश व्यापी आंदोलन के बाद सरकार झुकी नहीं तो आक्रोशित संगठन परिणाम भुगतने की चेतावनी दे चुके हैं। उनके इस एलान का चुनावी फायदा उठाते हुए विरोधी मरहम लगाने का आश्वासन दे रहे हैं।

प्रदेश में 16 लाख से अधिक कर्मचारी, शिक्षक व शिक्षामित्र विभिन्न विभागों में कार्यरत हैं। कर्मचारी संगठनों ने पुरानी पेंशन बहाली को लेकर लंबे समय से आंदोलन का बिगुल बजा रखा है। चुनाव से पहले तक प्रदेश व्यापी आंदोलन से कर्मचारी संगठन सरकार को ललकार रहे थे।  आचार संहिता लगी तो उन्होंने सड़क पर उतरने के बजाय सोशल साइट्स पर आंदोलन को धार देना शुरू कर दिया। जिले में भी राज्य कर्मचारी, प्राथमिक व माध्यमिक शिक्षक अपने मुद्दे को गणतंत्र दिवस के दिन भी धार देते रहे। यह सरकार के लिए खतरे की घंटी साबित हो सकती है। पुरानी पेंशन बहाल न करने से सरकार से नाराज कर्मचारी-शिक्षक संगठनों को मरहम का भरोसा सपाध्यक्ष अखिलेश यादव दे चुके हैं। ऐसे में पेंशन की टेंशन सरकार के गले की हड्‌डी बनी हुई है। यदि कर्मचारी अपने मुद्दों को लेकर वोट डालने के समय अडिग रहे तो नया गुल खिलने से भी इनकार नहीं किया जा सकता।

जिले में 7000 प्राथमिक शिक्षक, 4000 शिक्षामित्र
बात करें बेसिक शिक्षा विभाग की तो जिले में 7000 प्राथमिक शिक्षक हैं। परिषदीय स्कूलों में 2500 अनुदेशक, 4000 के करीब शिक्षामित्र भी हैं, जो पुरानी पेंशन बहाली के अलावा कैशलेस चिकित्सा सुविधा और पदोन्नति व स्थायीकरण की मांग को लेकर आंदोलन का बिगुल बजाए हैं।

13 साल से लड़ रहे पुरानी पेंशन बहाली की लड़ाई
पुरानी पेंशन की लड़ाई 13 साल से जारी है। इस आंदोलन को कर्मचारी संगठनों ने कभी ठंडा नहीं होने दिया। मगर अभी भी परिणाम उनके पक्ष में नहीं आया है। मगर इस बार कर्मचारी नेता पुरानी पेंशन बहाल करने वाले दल को ही समर्थन देने पर अडिग हैं। ऐसे में यह हठ क्या रंग दिखाएगा, यह तो 10 मार्च को ईवीएम का लॉक खुलने पर ही पता चलेगा, मगर पेंशन बहाली की लड़ाई को लेकर दलों में तीरंदाजी जारी है।

26 को चलाया ट्विटर अभियान
इस समस्या को लेकर गणतंत्र दिवस के दिन कर्मचारी-शिक्षक समन्वय मंच ने ट्विटर पर अभियान चलाया। संगठन के नेताओं का दावा है कि उनकी मुहिम को नौ लाख व्यूज मिले, जो एक दिन में रिकॉर्ड है।

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