अयोध्या: डायरिया ने पसारे पांव, हर 24 घंटे में एडमिट हो रहे छह बच्चे

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अयोध्या। मई-जून के बजाय इस बार हीटस्ट्रोक की शुरुआत अप्रैल में ही हो गई है। इससे बड़े तो परेशान हैं ही छोटे बच्चे भी इसका शिकार हो रहे हैं, जिससे डायरिया ने अपने पांव पसारने शुरू कर दिए हैं। इसी कारण उल्टी, दस्त व पेट में दर्द के लक्षण वाले बच्चों की संख्या में इजाफा …

अयोध्या। मई-जून के बजाय इस बार हीटस्ट्रोक की शुरुआत अप्रैल में ही हो गई है। इससे बड़े तो परेशान हैं ही छोटे बच्चे भी इसका शिकार हो रहे हैं, जिससे डायरिया ने अपने पांव पसारने शुरू कर दिए हैं। इसी कारण उल्टी, दस्त व पेट में दर्द के लक्षण वाले बच्चों की संख्या में इजाफा होने लगा है।

आलम यह है कि जिला अस्पताल में हर 24 घंटे में पांच से छह बच्चे एडमिट हो रहे हैं, जिसमें दो साल से भी कम उम्र के बच्चे अधिक आ रहे हैं। राहत भरी खबर यह है कि तीन दिन बाद बच्चों को डिस्चार्ज कर दिया जा रहा है, लेकिन आफत बनी गर्मी से बच्चों को बचाने के लिए कुछ एहतियात बरतने जरूरी है।

प्राइवेट अस्पताल व क्लीनिक की बात करें तो वहां भी प्रतिदिन हीटस्ट्रोक का शिकार हुए बच्चे पहुंच रहे हैं। परेशानी अधिक होने पर उन्हें एडमिट भी किया जा रहा है। जिला अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ का मानना है कि होली के बाद से मौसम में बड़ा बदलाव आया है।

गर्मी बढ़ने से डायरिया मरीजों की संख्या भी बढ़ी है। हफ्ते भर की बात करें तो हर 24 घंटे में पांच से छह बच्चे एडमिट हो रहे हैं, जिसमें दो वर्ष से कम के बच्चों की संख्या अधिक है। मौजूदा समय में 7 से 8 बच्चे एडमिट हैं। ओपीडी में भी ऐसे लक्षण वाले बच्चे आ रहे हैं। कुछ दवाओं से ठीक हो जाते हैं, लेकिन कुछ की परेशानी अधिक होने पर उन्हें भर्ती किया जाता है। रविवार को ही चार बच्चे एडमिट किए गए हैं। उन्होंने बताया कि तीन तरह के वायरस से डायरिया फैलता है। इसमें नोरो व रोटा-वायरस पांच साल से कम उम्र के बच्चों में और एडेनो वायरस हर उम्र के लोगों में डायरिया का कारण बन सकता है।

बच्चे अधिक आते हैं चपेट में

बच्चे डायरिया की चपेट में सबसे ज्यादा आते हैं, क्योंकि इनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। साफ-सफाई में असावधानी डायरिया का कारण बन जाती है। दिन में तीन या इससे अधिक बार पतले दस्त, पेट में तेज दर्द, मरोड़, उल्टी आने के साथ बुखार आना व कमजोरी महसूस होना इसका मुख्य लक्षण है।

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