मुरादाबाद : जिला अस्पताल समेत 99 फीसदी अस्पतालों के पास नहीं है फायर एनओसी, अग्निशमन विभाग की रिपोर्ट में हुआ खुलासा

Amrit Vichar Network
Published By Amrit Vichar
On

सौरभ सिंह/अमृत विचार। जिले के 99 फीसदी अस्पतालों में आग बुझाने के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं हैं। इनमें जिला अस्पताल समेत कई बड़े निजी अस्पताल भी शामिल हैं। ऐसे में यदि किसी अस्पताल में आग लगी तो यहां मरीजों की जान पर बन सकती है। कई अस्पतालों में अग्निशमन संयंत्र लगे तो हैं, लेकिन मॉकड्रिल …

सौरभ सिंह/अमृत विचार। जिले के 99 फीसदी अस्पतालों में आग बुझाने के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं हैं। इनमें जिला अस्पताल समेत कई बड़े निजी अस्पताल भी शामिल हैं। ऐसे में यदि किसी अस्पताल में आग लगी तो यहां मरीजों की जान पर बन सकती है। कई अस्पतालों में अग्निशमन संयंत्र लगे तो हैं, लेकिन मॉकड्रिल में फेल हो चुके हैं। इनमें जिला अस्पताल भी हैं। यह खुलासा अग्निशमन विभाग की रिपोर्ट में हुआ है। जिले में कुल 4600 छोटे-बड़े अस्पताल हैं। इनमें करीब एक दर्जन अस्पताल हाईराइज (ढाई मंजिल से अधिक) की श्रेणी में आते हैं। वहीं, 100 से अधिक अस्पताल दो मंजिल की ऊंचाई वाले हैं, लेकिन इनमें से फायर एनओसी कुल 36 अस्पतालों के पास ही है। बाकी सभी अस्पताल यहां आने वाले मरीजों की जान से खिलवाड़ कर रहे हैं।

बिना एनओसी नहीं हो सकती ओपनिंग
किसी भी अस्पताल की ओपनिंग बिना फायर एनओसी के नहीं हो सकती। अस्पताल संचालन की औपचारिकताओं में फायर एनओसी को प्राथमिकता दी गई है। बावजूद इसके जिले के ज्यादातर अस्पतालों को बिना एनओसी के ही लाइसेंस जारी कर दिया गया। इस तरह की लापरवाही लाइसेंसिंग अथॉरिटी सीएमओ कार्यालय से हुई है।

जिला अस्पताल की एनओसी के लिए पत्राचार
जिला अस्पताल में अग्निशन के लिए जरूरी संसाधनों की व्यवस्था करने और विधिवत फायर एनओसी हासिल करने के लिए लंबे समय से मुख्य अग्निशमन अधिकारी कार्यालय पत्राचार कर रहा है। मुख्य अग्निशमन अधिकारी मुकेश कुमार के मुताबिक अभी यह प्रक्रिया पत्राचार के बाहर नहीं आ सकी है। ऐसे में यदि किसी कारणवस अस्पताल के अंदर कोई आग की घटना होती है तो मरीजों की जान पर खतरा हो सकता है।

फायर एनओसी के लिए मानक निर्धारित
बहुमंजिला इमारत, स्कूल-कॉलेज, सरकारी विभाग या फिर अस्पताल हों, सभी के लिए फायर एनओसी लेना जरूरी है। नेशनल बिल्डिंग कोड के तहत सुरक्षा की दृष्टि से यह बेहद जरूरी है, लेकिन सर्वाधिक अनदेखी इसकी होती है।

अस्पताल के लिए ये हैं मानक
एरिया – 1000 वर्ग मीटर और 15 मीटर तक ऊंचाई
अग्निशामक यंत्र, मैन्युअल इलेक्ट्रिक फायर अलार्म सिस्टम, स्प्रिंकलर सिस्टम (बेसमेंट हो तो), पानी टैंक क्षमता 5000 लीटर और 450 एलपीएम क्षमता का पंप।
एरिया – 1000 वर्ग मीटर और 15 मीटर तक ऊंचाई (बिना बेड)

  • अग्निशामक यंत्र, हौजरील, मैन्युअल इलेक्ट्रिक फायर अलार्म सिस्टम, स्प्रिंकलर सिस्टम (बेसमेंट हो तो), दो टैंक क्षमता 5-5 हजार लीटर और 450 एलपीएम क्षमता के दो पंप।
  • वेटराइजर, ऑटोमेटिक स्प्रिंकलर सिस्टम, ऑटोमेटिक स्मॉग डिटेक्शन अलार्म, 75 हजार लीटर का अंडरग्राउंड टैंक, 10 हजार लीटर का टेरिस टैंक, 1620 एलपीएम का एक डीजल, एक इलेक्ट्रिक और 180 एलपीएम का एक जॉकी पंप और अग्निशामक यंत्र।

15 मीटर से 24 मीटर तक ऊंचाई वाले अस्पताल
अग्निशामक यंत्र, हौजरील, वेटराइजर, यार्ड हाईड्रेंट, ऑटोमेटिक स्प्रिंकलर सिस्टम, मैन्यूअल और ऑटोमेटिक स्मॉग डिटेक्शन अलार्म सिस्टम, 1.5 लाख लीटर क्षमता का अंडर ग्राउंड वाटर टैंक, 20 हजार लीटर क्षमता का टैरिस टैंक, 2280 एलपीएम क्षमता के एक इलेक्ट्रिक और एक डीजल पंप के अलावा 180 एलपीएम के दो जॉकी पंप।
(नोट – यदि ऊंचाई 24-45 मीटर हो तो उसमें टैंक की और पंप की क्षमता बढ़ जाती है)

सीएमओ कार्यालय से अस्पतालों को बिना एनओसी के ही लाइसेंस जारी कर दिया जाता है। इसलिए ज्यादातर अस्पताल तो हमारे पास एनओसी के लिए आते ही नहीं है। हालांकि इसमें कुल 36 अस्पताल ऐसे हैं, जिन्होंने या तो एनओसी लिया है या फिर एनओसी के लिए आवेदन किया है। -मुकेश कुमार, मुख्य अग्निशमन अधिकारी

ये भी पढ़ें : मुरादाबाद : जिले के छह केंद्रों पर जांची जाएंगी बोर्ड परीक्षा की कॉपी, मूल्यांकन की तैयारी शुरू

संबंधित समाचार