महबूबा मुफ्ती ने जम्मू-कश्मीर प्रशासन से मारी गई टीवी अभिनेत्री के परिजनों की मदद का अनुरोध किया

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श्रीनगर। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने शुक्रवार को कहा कि वह इस बात से स्तब्ध हैं कि जम्मू-कश्मीर प्रशासन से कोई भी टेलीविजन कलाकार अमरीन भट्ट के परिवार से नहीं मिला है। कलाकार की बुधवार को बडगाम जिले में आतंकवादियों द्वारा गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। चदूरा में भट्ट …

श्रीनगर। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने शुक्रवार को कहा कि वह इस बात से स्तब्ध हैं कि जम्मू-कश्मीर प्रशासन से कोई भी टेलीविजन कलाकार अमरीन भट्ट के परिवार से नहीं मिला है। कलाकार की बुधवार को बडगाम जिले में आतंकवादियों द्वारा गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। चदूरा में भट्ट के परिवार से मिलने के बाद एक ट्वीट में मुफ्ती ने कहा, “अमरीन भट्ट के परिवार से मुलाकात की।

यह जानकर हैरानी हुई कि उपराज्यपाल (एलजी) प्रशासन से किसी ने भी उनसे मिलने की जहमत नहीं उठाई। वह परिवार में एकमात्र कमाने वाली थीं, उन्होंने जरूरतों को पूरा करने के लिए संघर्ष किया। उम्मीद है कि सरकार उनकी (परिवार की) परिस्थितियों को ध्यान में रखेगी और मदद करेगी।” उन्होंने कहा कि ‘टिकटॉक’ कलाकार एक शहीद थीं क्योंकि उन्होंने अपने परिवार की रक्षा के लिए अपनी जान गंवा दी। मुफ्ती ने कहा, “हमारा मानना है कि रोजी-रोटी की तलाश में मरने वाला कोई भी व्यक्ति शहीद होता है।

” पुलिस के भट्ट की हत्या में शामिल आतंकवादियों को मार गिराए जाने के दावे के बारे में पूछे जाने पर जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, “यह अजीब है कि एक नागरिक की हत्या के 12 से 24 घंटों के भीतर, वे दावा करते हैं कि अपराधी मारे गए हैं। मैं इस पर और कुछ नहीं कह सकती।” मुफ्ती ने कहा कि अमरीन भट्ट, कश्मीरी पंडित कर्मचारी राहुल भट्ट और नागरिक शोएब गनी जैसे निर्दोष लोग दिन-ब-दिन मारे जा रहे हैं, फिर भी केंद्र पूरे जोर-शोर से जम्मू-कश्मीर में सामान्य स्थिति लौटने के दावे कर रहा है।

उन्होंने कहा, “स्थिति केवल बद् से बद्तर हुई है क्योंकि सरकार पुरजोरी से अपनी उत्पीड़न और दमन की नीति को आगे बढ़ा रही है।” पीडीपी प्रमुख ने आरोप लगाया कि केंद्र की भाजपा नीत सरकार जम्मू-कश्मीर को सुरक्षा और धार्मिक मुद्दे के रूप में देख रही है। उन्होंने कहा, “उन्हें लगता है कि यह मुस्लिम बहुल जगह है, अगर लोग मर रहे हैं, तो उन्हें मरने दो। इससे स्थिति में सुधार करने में मदद नहीं मिलेगी।

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