अयोध्या: कागजों में ही पोषित हो रहे कुपोषित, पोषण पुनर्वास केन्द्रों पर अब तक मात्र 36 ही कराए गए भर्ती
अमृत विचार, अयोध्या। केंद्र और प्रदेश की भाजपा सरकार के एजेंडे में शीर्ष के जिलों में शामिल अयोध्या में कुपोषण के खिलाफ लड़ी जाने वाली जंग लापरवाही की शिकार हो गई है। बच्चों को कुपोषण मुक्त करने के लिए विभिन्न विभागों द्वारा अलग-अलग अभियान चलाए जा रहे इसके बाद भी यहां बच्चों में कुपोषण की …
अमृत विचार, अयोध्या। केंद्र और प्रदेश की भाजपा सरकार के एजेंडे में शीर्ष के जिलों में शामिल अयोध्या में कुपोषण के खिलाफ लड़ी जाने वाली जंग लापरवाही की शिकार हो गई है। बच्चों को कुपोषण मुक्त करने के लिए विभिन्न विभागों द्वारा अलग-अलग अभियान चलाए जा रहे इसके बाद भी यहां बच्चों में कुपोषण की भयावह तस्वीर सामने आ रही है। गंभीर बात यह है कि अति कुपोषित बच्चों को लेकर हद दर्जे की लापरवाही बरती जा रही है, जिसके चलते कुपोषण के खिलाफ सरकार की मंशा को पलीता लग रहा है।
कुपोषण पर नियंत्रण के प्रयासों में लापरवाही की जंग लग रही है। जिम्मेदारों की अनदेखी से कागजों में ही कुपोषित बच्चे पोषित हो रहे हैं। हालात यह है कि यहां चिह्नित 1612 अति कुपोषित बच्चों में तीन माह में सिर्फ 36 बच्चों को ही कुछ दिनों के लिए पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती कराया जा सका है। इससे अफसरों की कार्यशैली पर सवालिया निशान लगा है। बीते दिनों जनपद में 8,260 कुपोषित बच्चे चिह्नित किए गए हैं।
इनमें 1612 बच्चे अति कुपोषित श्रेणी के पाए गए। इस साल अप्रैल व मई माह में 404 कुपोषित बच्चे मिले। इनमें 254 बच्चे पीली श्रेणी व 150 बच्चे लाल श्रेणी के पाए गए। अति कुपोषित बच्चों में से अब तक जिला अस्पताल में संचालित पोषण पुनर्वास केंद्र में केवल 36 बच्चे ही भर्ती कराए जा सके। यह हाल तब है जब स्वास्थ्य विभाग, विकास विभाग, जिला कार्यक्रम विभाग तक इस अभियान में शामिल हैं।
इस अभियान के तहत आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों के साथ ही हेल्थ एंड वलनेस सेंटर में तैनात सीएचओ, एएनएम व बीएचएनडी टीमों को कुपोषित बच्चों को चिह्नित कर पोषण पुनर्वास क्रेंद्र में भर्ती कराने की जिम्मेदारी दी गई है। इसके बाद भी कुपोषण के खिलाफ अभियान जिले में कारगर साबित नहीं हो रहा है।
5 साल से कम उम्र के 50 % बच्चे कुपोषण के शिकार
आंकड़ों के मुताबिक अयोध्या में पांच साल से कम उम्र के 50 फीसदी बच्चे कुपोषण के शिकार हैं। जिले में बच्चों के अविकसित होने का आंकड़ा 52.25 प्रतिशत है। इसकी पुष्टि सीएमओ भी करते हैं।
अभिभावक को दुधारू गाय देने की योजना भी फेल
शासन के निर्देश पर बाल विकास व पुष्टाहार विभाग द्वारा कुपोषित बच्चों के उचित पोषण के लिए अभिभावकों को गोशाला से दुधारू पशु दिलवाने का अभियान चलाया जा रहा है। इसके तहत अब तक केवल 22 अभिभावकों को ही दुधारू पशु मिल सका है, जबकि जिले में चिन्हित अन्य कुपोषित बच्चों के अभिभावकों को इसका लाभ अभी नहीं मिल सका है।
बाल विकास परियोजना अधिकारी रवि श्रीवास्तव का कहना है कि गोशालाओं से सम्पर्क कर दुधारू पशु उपलब्ध कराने का कार्य चल रहा है। इच्छुक लाभार्थियों के परिजनों को चिन्हित कर लिया गया है। चारे के लिए 900 रुपये की धनराशि अलग से दी जाती है।
क्या है कुपोषण
शरीर के लिए आवश्यक संतुलित आहार लम्बे समय तक नहीं मिलना ही कुपोषण है। कुपोषण के कारण बच्चों और महिलाओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है, जिससे वे आसानी से कई तरह की बीमारियों के शिकार बन जाते हैं। कुपोषण प्राय: पर्याप्त सन्तुलित अहार के आभाव में होता है।
क्या है समाधान
कुपोषण की समस्या से निजात के लिए जन्म होते ही शिशु को 6 माह तक माता का दूध पिलाना चाहिए। साथ ही उसका टीकाकरण करवाना चाहिए। घरेलू खानपान को बढ़ावा देना और बाहर के फास्ट फूड को कम करना भी आवश्यक है। इसके साथ-साथ नियमित व्यायाम करना जरूरी है।
कुपोषण को लेकर विभाग गंभीरता से कार्य कर रहा है। सभी विभागों के समन्वय से कुपोषित व अति कुपोषित को पोषित किया जा रहा है। इसके सार्थक परिणाम सामने आ रहे हैं। – डॉ. अजय राजा, मुख्य चिकित्सा अधिकारी, अयोध्या
पढ़ें-लखनऊ : थारू जनजाति के अनुवांशिक बीमारी को जांच से रोकने की तैयारी
