हल्द्वानी: लाल बत्ती पर लाखों बर्बाद, पटरी से उतरा यातायात
हल्द्वानी, अमृत विचार। संकरी सड़कों पर बढ़ते यातायात के बोझ ने शहर में ओवरब्रिज की मांग तेज की। ओवरब्रिज तो बना नहीं, लेकिन यातायात को सुचारू रखने के लिए ट्रैफिक लाइट्स को विकल्प के तौर पर तलाश लिया गया। शहर के 13 चौराहों पर ट्रैफिक लाइट्स लगा दीं गईं, लेकिन कारगर साबित नहीं हुईं। अंतत: …
हल्द्वानी, अमृत विचार। संकरी सड़कों पर बढ़ते यातायात के बोझ ने शहर में ओवरब्रिज की मांग तेज की। ओवरब्रिज तो बना नहीं, लेकिन यातायात को सुचारू रखने के लिए ट्रैफिक लाइट्स को विकल्प के तौर पर तलाश लिया गया। शहर के 13 चौराहों पर ट्रैफिक लाइट्स लगा दीं गईं, लेकिन कारगर साबित नहीं हुईं। अंतत: इन्हें बंद करना पड़ा।
बता दें कि हल्द्वानी और रुद्रपुर की यातायात व्यवस्था के लिए दो करोड़ 30 लाख के करीब रुपया खर्च किया गया। हल्द्वानी में नारीमन तिराहा, हाइडिल तिराहा, डिग्री कॉलेज तिराहा, नैनीताल ड्रिस्ट्रिक्ट कोऑपरेटिव बैंक तिराहा, आईटीआई तिराहा, टीपीनगर तिराहा, अल्मोड़ा अर्बन तिराहा, पीलीकोठी तिराहा, लालडांठ तिराहा, सेंट्रल अस्पताल तिराहा, कुसुमखेड़ा तिराहा, ओके होटल और सिंधी तिराहे पर ट्रैफिक लाइट लगाई गई हैं। जबकि मुखानी चौराहे पर ट्रैफिक लाइट पहले से ही लगी हुई थी।
इन्हें लगाने का जिम्मा सरकार ने एक कंपनी को दिया। पूरे कुमाऊं सिर्फ हल्द्वानी और रुद्रपुर को ट्रैफिक लाइट के लिए चुना गया और ये पुलिस ने लिए नया अनुभव था। टेंडर होने के साथ ही बगैर स्थानीय पुलिस की राय लिए हल्द्वानी के उपरोक्त 13 तिराहों और चौराहों को ट्रैफिक लाइट से लैस कर दिया।
लंबे अंतराल के बाद इनका संचालन हुआ और व्यवस्था धड़ाम हो गई। मसलन जिन चौराहों पर पहले यातायात सामान्य था, वहां जाम लगने लगा और जहां कभी जाम नहीं लगता था वहां लोगों को चौराहा पार करने के लिए बेवजह इंतजार करना पड़ा। आलम यह हुआ कि पुलिस ने ट्रैफिक लाइट्स को बंद करने का फैसला कर लिया।
हालांकि ये इनका जलना बदस्तूर जारी है और अब इनका बिल भी भरना पड़ रहा है। अच्छी बात यह है कि इस बिल को फिलहाल अभी पुलिस नहीं बल्कि लाइट्स लगाने वाली कंपनी भरेगी। बता दें कि इन लाइट्स का चार माह में बिल आएगा और पहला बिल 50 हजार के करीब है।
केवल मुखानी चौराहे की लाइट का हो रहा था इस्तेमाल
हल्द्वानी। मुखानी शहर का एक मात्र ऐसा चौराहा था, जहां ट्रैफिक लाइट का इस्तेमाल हो रहा था, लेकिन अब इस लाइट को भी बंद कर दिया गया है। दरअसल, लाइट्स को मानकों के तहत लगाया ही नहीं गया था। जिसकी वजह से छोटी सड़क पर रेड लाइट जलते ही कुछ सेकेंड में वाहनों का लंबा रेला लग जाता था। इससे आम लोगों को दिक्कत होती थी। अब इस चौराहे की लाल बत्ती को भी बंद कर दिया गया है। फिलहाल तो अब चौराहे का यातायात रामभरोसे है, लेकिन जाम मुक्त भी।
लाइट्स में सेंसर की योजना भी धरी की धरी रह गई
हल्द्वानी। व्यवस्थाएं धड़ाम हो रही थीं और पुलिस इन्हें दुरुस्त करने की जुगत में लगी थी। इसी दुरुस्तीकरण के दौरान लाइट्स को सेंसर से लैस करने की योजना बनी। ये सेंसर लाइट्स में ही लगाए जाने थे और कहा यह गया कि सेंसर चौराहों पर मौजूद यातायात को भांप कर खुद-ब-खुद अपनी टाइमिंग सेट कर लेंगे और फिर उसी हिसाब से चेंलेंगे। हालांकि ऐसा हो नहीं पाया और अब शहर में जगह-जगह लगी लाइट्स सिर्फ मुंह चिढ़ा रही हैं।
