शरद पवार ने किया ऐलान- मार्गरेट अल्वा होंगी विपक्ष की उप-राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार

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नई दिल्ली। विपक्षी दलों ने उपराष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए राजस्थान की पूर्व राज्यपाल मार्गरेट अल्वा को अपना संयुक्त उम्मीदवार बनाने का रविवार को फैसला किया। अल्वा (80) अपना नामांकन पत्र 19 जुलाई दाखिल करेंगी, जो छह अगस्त को होने वाले चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि है। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन …

नई दिल्ली। विपक्षी दलों ने उपराष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए राजस्थान की पूर्व राज्यपाल मार्गरेट अल्वा को अपना संयुक्त उम्मीदवार बनाने का रविवार को फैसला किया। अल्वा (80) अपना नामांकन पत्र 19 जुलाई दाखिल करेंगी, जो छह अगस्त को होने वाले चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि है। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) ने उपराष्ट्रपति पद के लिए पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ को अपना उम्मीदवार बनाया है।

अल्वा को मैदान में उतारने का फैसला राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के अध्यक्ष शरद पवार के आवास पर 17 विपक्षी दलों के नेताओं की बैठक में लिया गया। पवार ने दो घंटे की बैठक के बाद घोषणा करते हुए कहा, ‘‘हमने सर्वसम्मति से मार्गरेट अल्वा को उपराष्ट्रपति पद के लिए अपने संयुक्त उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतारने का फैसला किया है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हमारी सामूहिक सोच है कि अल्वा मंगलवार को उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के तौर पर नामांकन पत्र दाखिल करेंगी।’’ पवार ने कहा कि कुल 17 दलों ने सर्वसम्मति से अल्वा को मैदान में उतारने का फैसला किया है और तृणमूल कांग्रेस तथा आम आदमी पार्टी के समर्थन से वह कुल 19 पार्टियों की संयुक्त उम्मीदवार होंगी।

बैठक में कांग्रेस के मल्लिकार्जुन खड़गे और जयराम रमेश, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के सीताराम येचुरी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के डी राजा और बिनॉय विश्वम, शिवसेना के संजय राउत, द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के टी आर बालू और तिरुचि शिवा, समाजवादी पार्टी के रामगोपाल यादव, एमडीएकमे के वाइको तथा तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के केशव राव शामिल हुए।

राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के ए डी सिंह, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईएमयूएल) के ई टी मोहम्मद बशीर और केरल कांग्रेस (एम) के जोस के मणि भी बैठक में मौजूद थे। दरअसल, राष्ट्रपति चुनाव में विपक्षी दलों ने राजग द्वारा द्रौपदी मुर्मू की उम्मीदवारी का ऐलान किए जाने से पहले ही यशवंत सिन्हा को अपना संयुक्त उम्मीदवार घोषित कर दिया था। इससे शिवसेना और झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) सहित कई गैर-भाजपा दलों ने बाद में सिन्हा के बजाय आदिवासी नेता मुर्मू को समर्थन देने की घोषणा की थी।

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