बाराबंकी: किसानों ने समझे सोयाबीन की खेती के तरीके और महत्व

हैदरगढ़/ बाराबंकी, अमृत विचार। कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कुमारगंज अयोध्या से संचालित कृषि विज्ञान केंद्र हैदरगढ़ की विज्ञानी डॉ रूपन रघुवंशी ने यहां आए किसानों को फार्म पर बोई सोयाबीन की फसल को दिखाया। और इसके बारे में उन्हें बताया। डॉ रुपन ने कहा कि प्रदेश सरकार ने पहले किसानों को सोयाबीन का बीज देकर …

हैदरगढ़/ बाराबंकी, अमृत विचार। कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कुमारगंज अयोध्या से संचालित कृषि विज्ञान केंद्र हैदरगढ़ की विज्ञानी डॉ रूपन रघुवंशी ने यहां आए किसानों को फार्म पर बोई सोयाबीन की फसल को दिखाया। और इसके बारे में उन्हें बताया।

डॉ रुपन ने कहा कि प्रदेश सरकार ने पहले किसानों को सोयाबीन का बीज देकर इसकी खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया है इसी के तहत केवीके हैदरगढ़ में खरीफ की फसल में किसानों को बीज बांटे गए थे, विज्ञानी डॉ रुपन ने किसानों को बताया कि तिलहनी फसलों में सोयाबीन को महत्वपूर्ण फसल माना गया है, देश में खरीफ के सीजन में बड़े पैमाने पर सोयाबीन की खेती की जाती है। उन्होंने बताया की देश में एमपी व राजस्थान में 95 प्रतिशत सोयाबीन की खेती की जाती है। सोयाबीन की खेती रेतीली व हलकी भूमि को छोड़कर किसी भी तरह की जमीन पर की जा सकती है।

उन्होंने कहा सोयाबीन की खेती करते वक्त किसान यह जरूर ध्यान दें, कि जैसे ही इसकी बुवाई करें, वहां पर जल निकासी की समुचित व्यवस्था होनी चाहिए। खेतों में पानी रुकने से इसकी फसल बर्बाद हो जाती है। डॉ रूपम ने बताया कि सोयाबीन में प्रोटीन कैल्शियम , विटामिन ए, बी, कंपलेक्स, थाईमीन, राइबोफ्लेविन, अमीनो एसिड , सोपोनिन, साईटोस्टेरांल जैसे तत्व पाए जाते हैं ।

यह सभी पोषक तत्व पाए जाते हैं, ये शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं, इसके अलावा मौजूदा आयरन एनीमिया जैसी बीमारी से छुटकारा दिलाता है। डॉक्टर रुपन ने किसानों को बताया कि जिनके पास खेती ऊंची है व रेतीली जमीन नहीं है और जल निकासी की व्यवस्था है वह किसान सोयाबीन की खेती कर सकते हैं।

यह भी पढ़ें-11वीं नेशनल वोविनाम मार्शल आर्ट चैंपियनशिप में दमखम दिखाएंगे हल्द्वानी के 19 खिलाड़ी