इंडियन रोड कांग्रेस 2022: हाइवे पर रुकेंगे हादसे, इंजीनियरों ने गहन मंथन कर लिया निर्णय, नई परिषद का हुआ गठन
लखनऊ। लखनऊ के इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में पिछले चार दिनों से आयोजित इंडियन रोड कांग्रेस 2022 (Indian Road Congress 2022) के अधिवेशन में गहन मंथन के बाद इंजीनियरों ने तय किया कि हाइवे पर हादसे रोकने के लिए हर तकनीक का विशेष प्रयोग किया जायेगा। इसके साथ ही 224वीं बैठक में इंडियन रोड कांग्रेस की …
लखनऊ। लखनऊ के इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में पिछले चार दिनों से आयोजित इंडियन रोड कांग्रेस 2022 (Indian Road Congress 2022) के अधिवेशन में गहन मंथन के बाद इंजीनियरों ने तय किया कि हाइवे पर हादसे रोकने के लिए हर तकनीक का विशेष प्रयोग किया जायेगा। इसके साथ ही 224वीं बैठक में इंडियन रोड कांग्रेस की नई परिषद गठन भी कर दिया गया है। ऐसे में अब जो भी हाइवे बनेंगे उसमें नई तकनीकों का प्रयोग तो होगा ही साथ ही विशेषज्ञों के पैनल भी अपनी उचित राय देगा। ताकि हाइवे पर होने वाले हादसों को रोका जा सके।
मंगलवार को अधिवेशन के समापन के मौके पर इंडियन रोड कांग्रेस परिषद की 224 वीं बैठक में काउंसिल सदस्यों ने बढ़ते सड़क हादसों के मद्देनजर सड़क सुरक्षा और आईआरसी कोड को धरातल पर लाने के अहम सुझाव दिए। बैठक में काउंसिल के नव निर्वाचित अध्यक्ष एसबी वासवा ने हाइवे पर सड़क हादसों को रोकने के लिए सुरक्षा के हरसंभव उपाय किए जाने की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने कहा कि आईआरसी कोड को वर्तमान परिस्थतियों में व्यावहारिक और आसान किया जा रहा है ताकि फील्ड इंजीनियर हाइवे निर्माण में इनके मानकों को सहजता से लागू कर सके। वासवा ने कहा कि हाइवे पर ब्लैक स्पॉट की पहचान कर उसे स्थानीय प्रशासन की मदद से दूर किेए जाने में मदद ली जाएगी। समापन के मौके पर आईआरसी काउंसिल में आज अध्यक्ष पद पर एसबी बासवा और उप्र लोनिवि के इंजीनियर इन चीफ अरविंद कुमार जैन, आरके मेहरोत्रा, मनोरंजन पारीदा और प्रणव कपूर को उपाध्यक्ष चुना गया। एसके निर्मल डीजी (आरडी) दोबारा आईआरसी के महासचिव चुने गए। बैठक में परिषद के पूर्व अध्यक्ष सीपी जोशी समेत वर्तमान काउंसिल सदस्य मौजूद रहे।

मौत के आकड़ों पर इंजीनियरों ने भी जताई चिंता
भारतीय रोड कांग्रेस परिषद के चुने गए नये पदाधिकारियों और काउंसिल सदस्यों की पहली बैठक इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में मंगलवार को हुई। काउंसिल सदस्यों ने हाइवे पर होने वाले हादसों पर चिंता जताई। साथ ही इन्हें रोकने के कुछ प्रभावी उपाय भी बताए। रात के अंधेरे में मवेशियों के कारण होने वाले वाहन हादसों को रोकने के लिए गाय-भैसों के कानों को पेंट करने का सुझाव आया। ताकि भारी वाहन चालकों को दिक्कत न हो।
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इंजीनियरों की सलाह ओवर लोड पर सख्ती से लगे विराम
अंतिम दिन विशेष मंथन में सड़के खराब होने के कारण ओवरलोड भी बताया है। इस संबंध में अधिकारियों ने कहा कि ओवरलोड वाहनों पर शिंकजा कसने के लिए सख्ती का पालना करन होगा। इसके लिए सभी राज्यों के आरटीओ पर भी नकेल कसने की जरूरत है। इंजीनियरों ने माना ओवरलोडेड ट्रकों और बेतहाशा सवारियों को ढोने वाले ट्रैक्टर-ट्रॉली के संचालन पर स्थानीय पुलिस और परिवहन प्रशासन को भी अंकुश लगाना होगा।
लोक निर्माण विभाग दूर करेगा सड़कों की खामियां
बैठक में नए सदस्यों ने सड़क सुरक्षा और आईआरसी कोड की बारीकियों को आईआईटी व एनआईटी जैसे उच्च तकनीकी संस्थानों के कोर्स में शामिल किए जाने को वक्त की जरूरत बताया। एमटेक और पीएचडी रिसर्च कर रहे छात्रों को लाइव हाइवे प्रोजेक्ट से जोड़ने का सुझाव भी आया। ताकि छात्र फील्ड एक्टिविटी के माध्यम से हाइवे निर्माण की तकनीकी दक्षता सीखकर निजी क्षेत्र में भी नौकरी हासिल कर सके। मीटिंग में काउंसिल सदस्यों को सुझावों और चिंताओं को लिखित रूप से भेजने का आग्रह किया गया। आईआरसी काउंसिल की मध्यावधि बैठक में इन बिन्दुओं पर मंथन किया जाएगा।

नितिन गडकरी और सीएम योगी ने जताई थी बड़ी उम्मीद
81वां अधिवेशन का उद्घाटन बीते शनिवार को केंद्रीय सड़क, परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने किया था। इस मौके पर उनके साथ केंद्रीय मंत्री वीके सिंह, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, लोक निर्माण विभाग के मंत्री जितिन प्रसाद, मुख सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा शामिल हुए थे। जिसमें नितिन गडकरी ने कहा था कि सड़क हादसे में हर साल पांच लाख मौते हो रही हैं, इससे कहीं- कहीं सड़के बनाने में चूक हो रही है, मुझे उम्मीद है कि इस इंडियन रोड कांग्रेस में इंजीनियर समाधान निकालेंगे। वहीं योगी आदित्यनाथ ने भी यूपी में हर साल सड़क हादसों की मौत की तुलना कोरोना महामारी से भी अधिक बताया था। साथ ही इंजीनियरों को सलाह दी थी कि सड़के ऐसी हो जो कम लागत में बनें और उनकी गुणवत्ता बेहतर हो।
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