मुरादाबाद : खनन माफिया जफर के बयान से तय हो सकेगा उत्तराखंड के खनन किंग गुरताज भुल्लर का भविष्य

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मुरादाबाद, अमृत विचार। खनन माफिया जफर अली की गिरफ्तारी से उन सफेदपोशों के दिलों की धड़कन बढ़ गई है, जो पर्दे की आड़ में रहकर खनन की मलाई वर्षों से चट करते रहे हैं। सीने में दफन राज जफर ने उगला तो वह लोग बेनकाब होंगे, जो गुर्गों को मोहरा बनाकर यूपी व उत्तराखंड की सीमा …

मुरादाबाद, अमृत विचार। खनन माफिया जफर अली की गिरफ्तारी से उन सफेदपोशों के दिलों की धड़कन बढ़ गई है, जो पर्दे की आड़ में रहकर खनन की मलाई वर्षों से चट करते रहे हैं। सीने में दफन राज जफर ने उगला तो वह लोग बेनकाब होंगे, जो गुर्गों को मोहरा बनाकर यूपी व उत्तराखंड की सीमा में खनन का खेल करते रहे हैं। जफर के इकबालिया बयान ही जसपुर के जेष्ठ उप ब्लाक प्रमुख का कानूनी भविष्य तय करेगा। यही वजह है कि जफर की गिरफ्तारी को मुरादाबाद पुलिस बड़ी कामयाबी बता रही है।

उत्तराखंड के भरतपुर गांव में 12 अक्टूबर की शाम फायरिंग के दौरान मुरादाबाद पुलिस को चकमा खनन माफिया जफर फरार हो गया। कुछ ही देर में पुलिस का सिरदर्द तब और बढ़ गया, जब जसपुर के ब्लाक प्रमुख ने मुरादाबाद पुलिस को निशाना बनाते हुए कुंडा थाने में हत्या का मुकदमा दर्ज कराया।

जसपुर के जेष्ठ उप ब्लाक प्रमुख गुरताज भुल्लर ने पत्नी गुरप्रीत भुल्लर की हत्या का आरोप मुरादाबाद पुलिस के सिर मढ़ा। गुरप्रीत की मौत व उत्तराखंड पुलिस कार्रवाई से मुरादाबाद पुलिस बैकफुट पर आ गई। दामन पर लगे खून के धब्बे को छुड़ाने में जरूरत साक्ष्य व सबूत की थी। गुरताज भुल्लर के घर में छिपकर फायर झोंकने वाला जफर ही एक मात्र वह व्यक्ति था, जिसे यूपी पुलिस पूर्व से पहचानती है। पुलिस के सामने एक साथ दोहरी चुनौती खड़ी हो गई। एक तरफ जहां 50 हजार के इनामी फरार जफर को अविलंब गिरफ्तार करना था, तो अभियुक्त की मदद से ही दामन पर लगे खून के छींटे भी धोने हैं।

जफर के सीने में सुलग रहे राज
मुरादाबाद। 18 डंपर का मालिक बताए जा रहे जफर के सीने में कई राज दफन हैं। जफर को भली भांति पता है कि जसपुर के जेष्ठ उप ब्लाक प्रमुख के घर में छिपने की उसकी असल मंशा क्या थी। जफर के पीछे से पुलिस पर कवर फायरिंग करने वाले लोग कौन थे? गुरताज भुल्लर की बीवी गुरप्रीत भुल्लर को गोली कैसे लगी? गोली लगने के पीछे कोई और खेल तो नहीं? वह कौन लोग हैं जो उत्तराखंड व यूपी में खनन माफियाओं के संरक्षक हैं? शासन की मंशा खनन माफियाओं की जड़ पर प्रहार करने की है।

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