Chhoti Diwali 2022: आज नरक चतुर्दशी के दिन करें ये उपाय, यमराज भी होंगे प्रसन्न, आएगी सुख-संपन्नता
छोटी दिवाली (Naraka Chaturdashi 2022): हिंदू धर्म में दिवाली के एक दिन पहले छोटी दिवाली का त्योहार होता है। इसे नरक चतुर्दशी और रूप चौदस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन घर के बाहर यम के नाम का दीप करने से अकाल मृत्यु से बचा जा सकता है। छोटी दिवाली यानी नरक चतुर्दशी …
छोटी दिवाली (Naraka Chaturdashi 2022): हिंदू धर्म में दिवाली के एक दिन पहले छोटी दिवाली का त्योहार होता है। इसे नरक चतुर्दशी और रूप चौदस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन घर के बाहर यम के नाम का दीप करने से अकाल मृत्यु से बचा जा सकता है। छोटी दिवाली यानी नरक चतुर्दशी पर किसी पवित्र नदी में स्नान करने से नरक की यातनाओं से मुक्ति मिलती है। इस दिन कुछ खास उपाय करने से घर में सुख-शांति और समृद्धि का वास होता है।
आज नरक चतुर्दशी का पहला कार्य है- तेल मालिश करके स्नान करना। माना जाता है कि- चतुर्दशी को लक्ष्मी जी तेल में और गंगा सभी जलों में निवास करती हैं। लिहाजा आज तेल मालिश करके जल से स्नान करने पर मां लक्ष्मी के साथ गंगा मैय्या का भी आशीर्वाद मिलता है और व्यक्ति को जीवन में तरक्की मिलती।
शास्त्रों के अनुसार, कुछ ग्रन्थों में अपामार्ग के साथ लौकी के टुकड़े को भी सिर पर घुमाने की परंपरा का जिक्र किया गया है। कहते हैं ऐसा करने से स्वास्थ्य अच्छा रहता है और व्यक्ति को नरक का भय नहीं रहता। दरअसल आज नरक चतुर्दशी को जो भी कार्य किये जाते हैं, वो कहीं न कहीं इसी बात से जुड़े हुए हैं कि व्यक्ति को नरक का भय न रहे और वह अपना जीवन खुशहाल तरीके से, बिना किसी भय के जी सके।
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तर्पण करने का है महत्व
आज यम देवता के निमित्त तर्पण और दीपदान का भी विधान है। आज तर्पण करते समय दक्षिणाभिमुख होकर, यानि दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके, तिल युक्त जल से यमराज के निमित्त तर्पण करना चाहिए और ये मंत्र बोलना चाहिए।
मंत्र
यमाय नम: यमम् तर्पयामि।
साथ ही बता दें कि- तर्पण करते समय यज्ञोपवीत को अपने दाहिने कंधे पर रखना चाहिए और तर्पण करने के बाद यमदेव को नमस्कार करना चाहिए।
दीपदान से ऊर्जा का संचार
आज नरक चतुर्दशी के दिन शाम के समय दीपदान करने का भी महत्व है। कहते हैं आज दीपदान करने से व्यक्ति के अन्दर एक नयी ऊर्जा का संचार होता है और उसे निगेटिविटी से छुटकारा मिलता है। लिहाजा आज दीपदान जरूर करना चाहिए, दीये जरूर जलाने चाहिए। ग्रन्थों में इस दिन नरकासुर के निमित्त चार दीपक जलाने की भी परंपरा है। ये दीपक दक्षिण दिशा में जलाये जाने चाहिए।
मंदिर-मठों में जलाएं दिए
साथ ही भविष्योत्तर पुराण के अनुसार ब्रह्मा, विष्णु और शिव आदि देवी-देवताओं के मन्दिरों में, मठों में, अस्त्रागारों में, यानि जहां पर अस्त्र आदि रखे जाते हों, बाग-बगीचों में, घर के आंगन में और नदियों के पास दीपक जलाने चाहिए।
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