बरेली: बरतें सावधानी, बदला मौसम बढ़ा रहा है निमोनिया की परेशानी
12 बच्चे निमोनिया से ग्रसित, वार्ड में चल रहा इलाज
बरेली, अमृत विचार। बदलता मौसम व ठंड निमोनिया के संक्रमण की गंभीरता को बढ़ा सकता है। इसलिए यदि आप इसकी चपेट में आते हैं तो उपचार में देरी न करें। आमतौर निमोनिया का संक्रमण दो से पांच साल के बच्चों को जल्दी अपनी चपेट में लेता है, लेकिन कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले बुजुर्ग व वयस्क भी इससे ग्रसित हो सकते हैं। जिला अस्पताल के बच्चा वार्ड में डेढ़ माह में 20 से अधिक बच्चों में निमोनिया की पुष्टि हो चुकी है। वर्तमान में वार्ड में निमोनिया से ग्रसित 12 बच्चों का इलाज चल रहा है।
टीकाकरण कराएं, होगा बचाव
जिला अस्पताल के वरिष्ठ फिजिशियन डा. अजय मोहन अग्रवाल के अनुसार निमोनिया से बचने के लिए ठंड के मौसम में हल्के गर्म कपड़े पहनकर रहें। निमोनिया से बचने के लिए टीकाकरण काफी प्रभावी उपाय है। इंफ्लूएंजा न्यूमोकोकल टीके निमोनिया के संक्रमण की आशंका को काफी हद तक कम करते हैं। इसलिए समय पर टीकाकरण जरूर करवाना चाहिए। अनियंत्रित शुगर निमोनिया की आशंका को बढ़ा सकती है। आमतौर पर बैक्टीरियल, वायरल, मक्रोप्लाज्मा और फंगल निमोनिया का संक्रमण ज्यादा होता है।
बच्चों को स्तनपान कराएं, निमोनिया से बचाएं
मिलिट्री हॉस्पिटल की डाइटिशियन शुभी मेहरोत्रा ने बताया कि बच्चे के जन्म के बाद 1 घंटे के अंदर दूध जरूर पिलाना चाहिए। अगले 6 माह तक सिर्फ दूध पिलाना चाहिए। इसके अलावा पानी व शहद का सेवन बिलकुल नहीं कराना चाहिए। इस दूध से दस्त, निमोनिया, पीलिया और संक्रमण की गंभीरता कम हो जाती है। मां के दूध में एनर्जी, प्रोटीन, मिनरल्स, विटामिन ए, सी भरपूर मात्रा में होती है।
बच्चों में ये लक्षण दिखें तो तुरंत लें डॉक्टर की सलाह
जिला महिला अस्पताल की सीएमएस एवं वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डा. अलका शर्मा के अनुसार निमोनिया से ज्यादातर चार से पांच साल की उम्र के बच्चे प्रभावित होते हैं। इसके गले में खराश, खांसी, हल्का बुखार, नाक में कफ जमना, दस्त, भूख कम लगना और थकान या एनर्जी कम महसूस होना आदि लक्षण हैं। अगर बच्चों के नाखूनों में ढीलापन दिखाई दे तो तुरंत ही उसे डॉक्टर के पास ले जाना चाहिए।
लक्षण:-
कमजोरी महसूस होना
उल्टी आना या महसूस होना
ब्लड प्रेशर कम होना
बेचैनी होना
कई दिन तक सर्दी व जुकाम रहना
फेफडों का संक्रमण
तेज सांस फूलना
सीने में दर्द
तेज बुखार आना
खांसी आना
कभी-कभी खांसी में खून आना
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