मेरठ: कैसे हो भ्रष्टाचार पर वार, जांच आदेशों के लिए करना पड़ा चार महीने का इंतजार

अगस्त में रामपुर के पूर्व भाजपा जिलाध्यक्ष ने कृषि विज्ञान केंद्र पर हो रहे भ्रष्टाचार की शिकायत की थी

मेरठ: कैसे हो भ्रष्टाचार पर वार, जांच आदेशों के लिए करना पड़ा चार महीने का इंतजार

मिलक रामपुर के पूर्व जिलाध्यक्ष सुरेश चंद्र गंगवार ने सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि विवि के अधीन धमोरा रामपुर स्थित कृषि विज्ञान केंद्र में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था।

मेरठ, अमृत विचार। यूपी के मेरठ जनपद के धमोरा रामपुर स्थित कृषि विज्ञान केंद्र में भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री से की गई शिकायत में जांच के आदेश जारी किए गए। लेकिन, लखनऊ से चले इन आदेशों को मेरठ के मोदीपुरम स्थित कृषि विश्वविद्यालय में आते आते चार माह लग गए। हाल, तब है जब रामपुर के पूर्व भाजपा जिलाध्यक्ष सुरेश चंद्र गंगवार ने पत्र लिखकर मुख्यमंत्री से शिकायत की थी। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि अधिकारी आम जनता की शिकायत का निस्तारण करने के लिए कितने संजीदा है।  आदेश मिलते ही कुलपति ने प्रसार निदेशालय को जांच कर रिपोर्ट जल्द सौंपने के निर्देश दिए। 

क्या है मामला ?
मिलक रामपुर के पूर्व जिलाध्यक्ष सुरेश चंद्र गंगवार ने सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि विवि के अधीन धमोरा रामपुर स्थित कृषि विज्ञान केंद्र में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था। उन्होंने इस मामले की शिकायत 01 अगस्त को मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर की थी।  जिसमें उन्होंने कार्यदायी संस्था के ठेकेदारों पर घटिया सामग्री लगाए जाने व कृषि विज्ञान केंद्र में तैनात दो अधिकारियों पर मिलीभगत का आरोप लगाया था।

उन्होंने केंद्र की छत की लाखों रुपये से मरम्मत कराए जाने का आरोप लगाया था, जबकि छत की मरम्मत की जरुरत नहीं थी। साथ ही लाखों कीमत से नलकूप लगाए जाने जो चंद घंटों में ही खराब हो गई। इसके अलावा घटिया रेत, बजरी, ईंट से बनी बाउंड्री बनाए जाने जो अधूरी पड़ी है।

आरोपों में बताया गया है कि इसको लेकर केंद्र पर तैनात फार्म प्रबंधक डा रामाश्रय एवं लेखाकार सेवारात आर्य और  वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ मनोज सिंह ने आपत्ति की तो गलत तरीके से उनका स्थानांतरण कर दिया गया। 

ऐसे चले जांच रिपोर्ट के आदेश
भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष रामपुर सुरेश चंद्र गंगवार ने कृषि विज्ञान केंद्र पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए 01 अगस्त को मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर शिकायत की थी। परंतु जांच के आदेश कछुआ गति से चले। मुख्यमंत्री के उपसचिव ने 17 अक्तूबर को मेरठ मंडल के आयुक्त को जांच कराने के आदेश जारी कर पत्र भेजा। यहां से जांच के आदेश 15 नवंबर को रिसीव किए गए और सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि विवि के कुलपति को भेजे गए। 21 नवंबर को कुलपति डॉ केके सिंह को आदेश प्राप्त हुए जिस पर उन्होंने 22 नवंबर को जांच कराने के लिए प्रसार निदेशालय को जिम्मा सौंपा।

निर्माण प्रभारी अधिकारी पर भी लगे आरोप
शिकायत कर्ता पूर्व जिलाध्यक्ष सुरेश चंद्र गंगवार ने विवि के निर्माण प्रभारी अधिकारी पर गंभीर आरोप लगाए है। आरोप में कहा गया है कि उन्होने भ्रष्टाचार करने के लिए उन्होने ठेकेदार से सांठगाठ की है। वह ठेकेदार भी उनकी ही बिरादरी का है, जिस कारण से कृषि विज्ञान केंद्र पर भ्रष्टाचार हुआ है। निर्माण प्रभारी पर लगाए गए आरोपों के चलते वह भी संदेह के घेरे में आ गए है। 

क्या बोले अधिकारी?
डॉ. पीके सिंह (निदेशक प्रसार, कृषि विवि मोदीपुरम (मेरठ)) ने बताया कि कृषि विज्ञान केंद्र धमोरा पर हुई शिकायत के मामले में जांच चल रही है। वहां पर एक लेखाकार का ट्रांसफर किया गया था, वह पिछले कई वर्षो से जमा हुआ था, जिसकी शिकायत मिल रही थी। ट्रांसफर होने के बाद से एक ही शिकायत तीन जगह से आई है, जिसकी जांच की जा रही है। निर्माण कार्यों को लेकर लगाए गए आरोपों की भी जांच कमेटी ही करेगी, जो डीएम के यहां पर बनाई जाती  है। 

क्या बोले कुलपति?
 प्रोफेसर केके सिंह (कुलपति, कृषि विवि) ने बताया कि एक शिकायत कृषि विज्ञान केंद्र की आई है। शिकायत के संबध में निदेशक प्रसार को निर्देश दिए है कि इस पूरे प्रकरण की जांच कर रिपोर्ट दे। आदेश आने में समय जरुर लगा है। परंतु, जांच जल्द पूरी कर शासन को भेज दी जाएगी। 

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