पीलीभीत : शहर की बदहाली कैसे बताएं...जरा सी बारिश में उफनाते हैं नाले

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Published By Sakshi Singh
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अमृत विचार ने 'हमारा चेयरमैन कैसा हो' अभियान के तहत वरिष्ठ अधिवक्ताओं से वार्तालाप की। अधिवक्ता बोले- जो समस्याओं का समाधान करेगा वही होगा कुर्सी का हकदार।

अमृत विचार ने 'हमारा चेयरमैन कैसा हो' अभियान के तहत वरिष्ठ अधिवक्ताओं से वार्तालाप की। उन्होंने बताया कि हर कोई प्रत्याशी वादों का पिटारा लिए घूम रहा है। सब लंबे-लंबे वादे कर रहे हैं। लेकिन इस बार मतदाता मुद्दों पर वोट देगा...वादों पर नहीं।

पीलीभीत,अमृत विचार। निकाय चुनाव का बिगुल बज चुका है। इस जंग में प्रत्याशियों की लंबी-चौड़ी फौज खड़ी है। हर कोई लंबे-लंबे वादे करके मतदाताओं को रिझाने का प्रयास कर रहा है। अब मतदाताओं के सामने सवाल है कि आखिर...किसको चुना जाए? 

सोमवार को अमृत विचार ने 'हमारा चेयरमैन कैसा हो' अभियान के तहत वरिष्ठ अधिवक्ताओं से वार्तालाप की। उन्होंने बताया कि हर कोई प्रत्याशी वादों का पिटारा लिए घूम रहा है। सब लंबे-लंबे वादे कर रहे हैं। लेकिन इस बार मतदाता मुद्दों पर वोट देगा...वादों पर नहीं। मतदाता चाहते हैं कि वही प्रत्याशी कुर्सी संभाले जो जनता की समस्याओं का निदान कर सके।

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शहर में स्वच्छ वातावरण बना सके, गलियों-सड़कों की दशा सुधरवा सके। शहर में हर सड़क अतिक्रमण से व्याप्त है जोकि रोजाना ही जाम का कारण बनता है। उसका समाधान करवा सके। पार्क तो हैं लेकिन वर्षों से सौंदर्यीकरण न होने से बदहाल हो गए हैं। उनका सौंदर्यीकरण करवा सके। अमृत योजना के नाम पर शहर को खोदकर दुर्दशा कर दी गई। जरा सी बारिश होती है तो नाले तालाब बन जाते हैं। इन सभी समस्याओं का जो समाधान करेगा वही इस बार कुर्सी का हकदार होगा।

चेयरमैन बनने को तो तमाम प्रत्याशी लालायित हैं। लेकिन इस बार वही चेयरमैन बनेगा जो मूलभूत दिक्कतों का समाधान करेगा। जो गंदगी से निजात दिलाएगा। सड़कों की दुर्दशा को सुधरवाएगा। शहर से अतिक्रमण खत्म करवाएगा। जनता की हर दिक्कत परेशानी का समाधान करवाए। जो यह सारे काम करेगा। वही प्रत्याशी चेयरमैन बनेगा। - अशोक शर्मा, वरिष्ठ अधिवक्ता।

चेयरमैन ऐसा हो जो ईमानदार, कर्मठ और बात का धनी हो। लंबे-लंबे वादे तो पिछले 15 वर्षों से देख रहे हैं। लेकिन अब वादों पर नहीं धरातल पर करने वाले काम पर वोट होगा। पिछले पांच वर्षों में शहर में क्या-क्या हुआ यह हर कोई जानता है। अब शहर की जनता बदलाव चाहती है। अब समस्याओं का समाधान चाहिए...लुभाने वादे नहीं। - विद्याराम वर्मा, वरिष्ठ अधिवक्ता।

इस बार ऐसे प्रत्याशी को वोट देना है जिसे विकास की परिभाषा मालूम हो। शहर में पिछले पांच वर्षों में विकास कहां हुआ यह किसी ने देखा ही नहीं। अमृत योजना के तहत सड़कों की दुर्दशा करके पाइप लाइन तो पड़ी लेकिन घरों तक पानी नहीं पहुंचा। अतिक्रमण ने दिनों दिन वृद्धि की। साफ-सफाई मानो...शहर के कहीं चली गई हो। - मोहत्शिम मलिक, वरिष्ठ अधिवक्ता।

जरा सी बारिश हुई नहीं कि शहर तालाब हो जाता है। जिसमें से गोदावरी कालोनी में कमर तक पानी भर जाता है। इस समस्या के समाधान के लिए न जाने कितने चेयरमैन को पत्र लिखे गए लेकिन कोई समाधान नहीं हुआ। शहर में जितने भी पार्क हैं उनका वर्षों से सौंदर्यीकरण नहीं हुआ। जिससे उनकी दुर्दशा और हो गई। विकास के आने वाला पैसा कहीं खर्च ही नहीं किया गया। - अशोक बाजपेयी, वरिष्ठ अधिवक्ता।

अब शहर गंदगी और अतिक्रमण से मुक्त चाहिए। मेन बाजार में ऐसी कोई सड़क नहीं जहां अतिक्रमण न हो। थोड़ी-थोड़ी दूरी पर दिन भर जाम लगता रहता है। शहर की सड़कें ऐसी हैं कि पसलियां हिल जाएं। चेयरमैन ऐसा हो जो कल्याणकारी योजनाओं का लाभ प्रत्येक पात्र व्यक्ति को दिलवा सके, ऐसे प्रत्याशी को ही इस बार वोट दिया जाएगा। - तेज सिंह, वरिष्ठ अधिवक्ता।

शहर में किसी भी मोहल्ले में देख लिया जाए...हर एक नाली ओवरफ्लो है। अक्टूबर में हुई बारिश ने अच्छे से पालिका की पोल खोली थी। सड़कों पर गंदगी बह रही थी। तली झाड़ सफाई सिर्फ कागजों में सिमट कर रह गई। पिछले 15 वर्षों में शहर के हालात और बदतर हो गए। विकास कागजों में तो हो रहा है लेकिन धरातल पर नहीं आ रहा है। इस सभी मुद्दों पर वोट होगा। - विवेक, वरिष्ठ अधिवक्ता

शहर से अगर अतिक्रमण खत्म हो जाए तो 50 फीसदी जाम से निजात मिल जाए। सुबह, दोपहर और शाम जाम लगने का मुख्य कारण अतिक्रमण है। इसके साथ ही शहर में समुचित पार्किंग की व्यवस्था हो, जिससे आम नागरिक के वाहन चोरी का भी खतरा खत्म हो जाए। होली के बाद अभियान चलाकर तलीझाड़ सफाई होनी चाहिए। इन सभी मुद्दों पर काम करने वाला चेयरमैन चाहिए। - कुलदीप अवस्थी, वरिष्ठ अधिवक्ता 

शहर में मुख्य बाजार में सामुदायिक शौचालय की व्यवस्था नहीं है। जिससे आम जनता को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। पहले एक शौचालय बना था उसको तोड़ दिया गया। पार्किंग की व्यवस्था न होना भी बड़ी समस्या है। इसका समाधान अति आवश्यक है। अबकि बार इन सभी मुद्दों पर वोट किया जाएगा। शहर की नालियों की बात करें तो...पालिका की बदहाली कैसे बताएं, जरा सी बारिश में बोलते हैं नाले। - मोहम्मद नदीम, वरिष्ठ अधिवक्ता

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