बरेली: अंतिम दिन सपा पार्षद ने लगाई नगर निगम वार्डों के आरक्षण में आपत्ति

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Published By Vishal Singh
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नियमों की अनदेखी कर शासन द्वारा मनमाने तरीके से किया गया है, नगर निगम के वार्डों में महिला आरक्षण: गौरव सक्सेना

बरेली, अमृत विचार। समाजवादी पार्टी के निवर्तमान महानगर महासचिव और पार्षद गौरव सक्सेना ने नगर निगम के वार्ड आरक्षण पर आपत्ति के अंतिम दिन जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचकर आपत्ति दर्ज कराई। उन्होंने बताया कि वर्तमान प्रस्तावित आरक्षण में किसी भी वर्ग में महिला का आरक्षण गलत तरीके से किया गया।

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उन्होंने आरोप लगाया कि जब नगर निगम में 2017 के निकाय चुनाव में वार्ड के आरक्षण में उन वार्डों को महिला आरक्षित नहीं किया गया। वार्ड पूर्व के 2012 निकाय चुनाव में किसी भी वर्ग के लिए महिला आरक्षित किए गए थे जबकि वर्तमान प्रस्तावित आरक्षण में उन वार्डों को भी फिर से महिला के लिए आरक्षित कर दिया गया है।

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गौरव सक्सेना ने कहा कि जो वार्ड 2017 निकाय चुनाव में किसी वर्ग में महिला हेतु आरक्षित थे बस उस वर्ग की महिला के अतिरिक्त अन्य वर्ग की महिला के लिए आरक्षित किया गया जबकि उन सभी वार्डों को 2012 निकाय चुनाव के समान महिला आरक्षण से हटाकर नए वार्डों को महिला आरक्षण हेतु शामिल किया जाना चाहिए था।

उन्होंने कहा कि जब वार्डो के आरक्षण में नगर निगम अधिनियम के अनुसार चक्रानुक्रम आरक्षण किया जाता है तो 2017 के बाद 2022 के चुनाव में आरक्षण के लिए दूसरा नियम लागू नहीं किया जा सकता वही नियम लागू होगा जो 2017 के चुनाव में लागू कर वार्डों का आरक्षण किया गया था। आगे कहा कि अधिनियम में भी स्पष्ट है कि जो वार्ड पूर्व के चुनाव में महिला के लिए आरक्षित हैं अनुवर्ती चुनाव में महिला के लिए आरक्षित नहीं होंगे। इस नियम को भाजपा सरकार में नया शासनादेश निकालकर गलत तरीके से न्याय विभाग की विधिक राय लेते अपने हिसाब से परिभाषित कर लिया है।

उन्होंने बताया कि नगर निगम बरेली में कुल 9 वार्डों में जो पिछली बार भी किसी भी वर्ग में महिला हेतु आरक्षित थे उन्हें फिर से इस बार भी महिला के लिए आरक्षित कर दिया गया है, लेकिन इसका प्रभाव इन 9 वार्डों के अतिरिक्त अन्य वार्डों पर भी पड़ रहा है इसीलिए जिलाधिकारी कार्यालय मे आपत्ति लगाई है। अगर जिलाधिकारी द्वारा आपत्ति का निस्तारण सही प्रकार से कर वार्डो के आरक्षण में विसंगति दूर नहीं की जाती तो फिर वार्डों में महिला आरक्षण को ठीक कराने के लिए आवश्यकता पड़ने पर न्यायालय की भी शरण ली जाएगी।

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