बहराइच : समरसता सेवा संस्कार है संघ के कार्य का आधार
संघ के सर संघ चालक बाला साहब के जन्मदिन गोष्ठी आयोजित
अमृत विचार, बहराइच। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तृतीय सरसंघचालक बाला साहब देवरस की जन्म जयंती के अवसर पर संघ कार्यालय राजेंद्र भवन में विचार गोष्ठी का आयोजन हुआ। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जिला प्रचारक दीना नाथ रहे।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य वक्ता जिला प्रचारक दीनानाथ ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की कार्यपद्धति के निर्माण एवं विकास में जिनकी प्रमुख भूमिका रही है, उन मधुकर दत्तात्रेय देवरस का जन्म 11 दिसम्बर, 1915 को नागपुर में हुआ था। वे बालासाहब के नाम से अधिक परिचित हैं।
बालासाहब देवरस बचपन से ही खुले विचारों के थे। वे कुरीतियों तथा कालबाह्य हो चुकी परम्पराओं के घोर विरोधी थे और सामाजिक समरसता के प्रबल पक्षधर थे।पूज्य बाला साहब देवरस जी का जीवन राष्ट्र जीवन रहा है जो भी व्यक्ति उनके संपर्क में आ जाता था वह संघ का हो जाता था। बाला साहब समरस समाज के प्रबल पक्षधर थे और उसी दिशा में लगातार कार्य करते थे।
उन्होंने कहा कि हम सभी लोगों का सौभाग्य है कि हम सभी संघ के स्वयंसेवक हैं। संघ कार्यक्रमों के माध्यम से व्यक्ति का मानस पटल तैयार होता है अगर संघ समझना है तो पत्रक व पुस्तक पढ़कर संघ नहीं समझा जा सकता संघ को समझने के लिए शाखा में आना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि बाला साहब ने कहा था कि यदि छुआछूत अगर पाप नहीं है तो दुनिया में कोई पाप नहीं है और सभी हिंदू सहोदर भाई हैं ऐसे दृष्टिकोण में कार्य करना चाहिए ।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रांत सामाजिक समरसता प्रमुख राज किशोर ने कहा कि संघ की स्थापना का उद्देश्य हिंदू समाज का संगठन करना था और हिंदू समाज का संगठन बिना सामाजिक समरसता के नहीं हो सकता। समरसता, सेवा, संस्कार संघ में स्थापना के समय से ही है।
गोष्ठी में जिला कार्यवाह भूपेंद्र, जिला सामाजिक समरसता संयोजक रजनीश, जिला प्रचार प्रमुख अतुल गौड़, जिला पर्यावरण गतिविधि संयोजक डॉ देवेंद्र उपाध्याय ,जसवीर सिंह, शुभम तिवारी, विकास, मनीष शर्मा आदि उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन जिला सामाजिक समरसता संयोजक रजनीश ने किया।
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