बहराइच: साक्षरता का हक हमारा है, ग्रामीण महिलाओं का नारा है, घर-घर जाकर महिलाआों के किया जा रहा जागरूक

Amrit Vichar Network
Published By Deepak Mishra
On

अमृत विचार, बहराइच। सरकार की पहल पढ़ना-लिखना अभियान के तहत महिलाओं को साक्षर करने का प्रयास किया जा रहा है। इस अभियान में 15-80 वर्ष के बीच की महिलाओं को शिक्षित करने का कार्य किया जा रहा है। घर घर जाकर पिरामल टीम के सदस्य लोगों को जागरूक कर रहे हैं। जिले में यह बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा हर गांव तक शिक्षा पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है। 

जिसमें पिरामल फाउंडेशन कई कार्ययोजनाओं व गतिविधियों के माध्यम से इस कार्य को सफल बनाने में विभाग को सहयोग दे रही है। ग्रामीण इलाकों में समूह सखी तथा स्वयं सेवकों की मदद से यह कार्य किया जा रहा है। पिरामल फाउंडेशन के स्वयं सेवक महिलाओं को हस्ताक्षर करना और अपना नाम लिखना सिखा रहे हैं। यह कार्य महिला शशक्तिकरण पर बल देती है और महिलाओं को शिक्षा और साक्षरता से जोड़ने का काम करती है। 

Image Amrit Vichar

इसी क्रम में अन्तराष्ट्रिय मानवाधिकार दिवस के अवसर पर फखरपुर के टेडवा अल्पी मिश्र में आयोजित " पढ़ना-लिखना अभियान" कार्यक्रम में ग्रामीण महिलाओं को हस्ताक्षर करना सिखाया गया। यहां अभिभावकों को गूगल रीड अलोंग एप के प्रयोग और निपुण लक्ष्य प्राप्त करने के लिए जागरूक किया गया। 

इसी के साथ रोज़ाना स्कूल जाने वाले और कक्षा में अच्छे नम्बर लाने वाले छात्रों को कॉपी, पेंसिल आदि से पुरस्कृत कर उनका मनोबल बढ़ाया गया। इस पूरे कार्यक्रम में सहयोग देने के लिए ज़िले के पूर्व एसआरजी शिव कुमार चौधरी मौजूद रहे। उन्होंने कार्यक्रम का प्रारंभ “एक महिला शिक्षित होती है तो समाज शिक्षित होता है” इस कहावत के साथ किया। 

यहां पिरामल टीम से मौजूद देवयानी, कृति और शगुफ्ता ने कार्यक्रम में आई सभी महिलाओं को साक्षरता कितनी ज़रूरी है। इसका महत्व बताते हुए महिलाओ को हस्ताक्षर करना सिखाया। जिसमे सभी गाँव की महिलाओं ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। इतना ही नहीं उनसे ये भी शपथ ली गई कि वो अगले 15 दिन तक रोज़ाना अपने नाम को लिखने का अभ्यास भी करती रहेंगी। 

पिरामल टीम से बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि इस मुहिम में लगभग 500 महिलाओं को हस्ताक्षर करना सीखाया जा चुका है। यह महिलाओं को अपने परिवार में बैंक खाता, सरकारी सेवाओं का लाभ लेने आदि के समय अपने हस्ताक्षर का ही प्रयोग करने को सबल बनाती है। 

Image Amrit Vichar(2)

ये मुहीम न केवल महिलाओं को शिक्षित कर रही है बल्कि ये भी संदेश दे रही है कि पढ़ने लिखने की कोई उम्र नहीं होती और अगर व्यक्ति के अंदर जज़्बा हो तो वो क्या कुछ नहीं कर सकता। यह मुहिम महिलाओं के अंदर खुद के प्रति स्वाभिमान की संवेदना भी प्रकट करती है और खुद के व्यक्तित्व को लेकर जागरूक भी कर रही हैं।

यह भी पढ़ें:-BJP को वोट चाहिए तो मुफ्त में राशन देती है: भाजपा पर बरसे अखिलेश यादव

संबंधित समाचार