ग्लोबल वार्मिंग की चुनौती

Amrit Vichar Network
Published By Moazzam Beg
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ग्लोबल वार्मिंग की वजह से जलवायु परिवर्तन हो रहा है और इसके चलते पृथ्वी के तापमान में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। भयंकर गर्मी से लेकर बाढ़ लाने वाली बारिश तक झेल रहे हैं। वहीं समुद्र का स्तर भी तेजी से बढ़ रहा है। जलवायु परिवर्तन किसानों के लिए बड़ी समस्या है। जलवायु परिवर्तन की वजह से अब मॉनसून भी 10 से 15 दिनों तक देरी से पहुंचता है। मानसून कब आएगा यह मौसम विभाग भी नहीं बता रहा और इसके चलते  जो लोग खेती पर निर्भर हैं, वे परेशान हैं। जलवायु परिवर्तन शताब्दी के सबसे बड़े खतरे के रूप में सामने आ रहा है। 

विश्व मौसम विज्ञान संगठन की एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2016 में विश्व का औसत तापमान करीबन एक डिग्री से ज्यादा बढ़ गया था। ग्लोबल वॉर्मिंग की वजह से हो रहे जलवायु परिवर्तन को लेकर गुरुवार को राज्यसभा में  दलगत राजनीति से ऊपर उठकर सभी दलों के सदस्यों ने चिंता जाहिर की और जोर दिया कि जलवायु में हो रहे परिवर्तन को रोकने के लिए कुछ ठोस कदम उठाने होंगे। वास्तव में ‘ग्लोबल वार्मिंग’ कोई राजनीति का मुद्दा नहीं है। यह सभी लोगों से जुड़ा हआ है।

चर्चा में सभी ने माना कि कदम उठाने की जिम्मेदारी किसी एक राजनैतिक दल, सांसद या मंत्रालय की नहीं बल्कि देश के हर एक नागरिक की है जिससे भविष्य में इसके चलते ऐसे हालात न बन जाएं कि आने वाली पीढ़ी को उसका खामियाजा उठाना पड़े। बुधवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस के मौके पर कहा कि प्रकृति और विकास के बीच संतुलन बनाए रखना होगा। 

ग्लोबल वार्मिंग मुद्दे पर दुनिया भर की नजर भारत की ओर है। सरकार का लक्ष्य 2070 तक नेट जीरो का है और इस पर काम जारी है। देश 2030 तक कार्बन उत्सर्जन को 45 प्रतिशत तक कम करने के लक्ष्य की ओर लगातार बढ़ रहा है। यानि भारत कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य समय से पहले हासिल करने के रास्ते पर है और ये लगभग 33 प्रतिशत उत्सर्जन पहले ही कम कर चुका है।

आज व्यवसायीकरण के चलते पर्यावरण की अनदेखी हो रही है। पर्यावरण को बचाने के लिए कुछ कठिन फैसले लेने होंगे। सरकार को जैव ईंधन पर निर्भरता को कम करना चाहिए। पर्यावरण संरक्षण के लिए जरूरी है कि सभी लोग अपनी जीवनचर्या में बदलाव लाएं। जब तक वह बदलाव नहीं होगा तब तक कोई भी कदम कारगर साबित नहीं होगा।