बरेली: जब नौशाद को सोमा घोष में दिखाई दी थी बेगम अख्तर की रूह
बिस्मिल्लाह खां की दत्तक पुत्री सोमा घोष पहुंचीं खानकाह-ए-नियाजिया, गजल के मौजूदा हालात पर याद किए बेगम अख्तर के कहे शब्द, 2016 में सोमा घोष को किया गया था पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित
बरेली, अमृत विचार, मोनिस खान। संगीत की दुनिया से जुड़े दुनिया भर के फनकारों की ख्वाहिश होती है कि खानकाह-ए-नियाजिया में अपने फन का नजराना पेश करें। यही वजह है कि पूरी अकीदत के साथ शास्त्रीय संगीत के बड़े-बड़े नाम खानकाह पर अपनी अकीदत का नजराना पेश करने पहुंचते हैं।
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भारत रत्न और मशहूर शहनाई वादक उस्ताद बिस्मिल्लाह खां बरेली की विश्व प्रसिद्ध खानकाह-ए-नियाजिया में गहरी आस्था रखते थे। जब कभी भी मौका लगा तो खानकाह का रुख कर लिया। कभी रिक्शा में बैठकर खानकाह तक पहुंचे तो कभी मन हुआ तो शहनाई की धुन खानकाह के बुजुर्गों के लिए छेड़ी।
बिस्मिल्लाह खां की उसी शहनाई की धुन को खानकाह में महसूस करने उनकी दत्तक पुत्री पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित सोमा घोष बरेली पहुंचीं। सोमा घोष जिनके अंदर संगीतकार नौशाद को महान गजल गायिका बेगम अख्तर की रूह नजर आई थी।
तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी मुरादाबाद में आयोजित एक कार्यक्रम से वापस लौटते समय गायिका सोमा घोष ख्वाजाकुतुब स्थित खानकाह-ए-नियाजिया पहुंचीं। यहां उन्होंने हजरत शाह नियाज बेनियाज अहमद की दरगाह पर हाजिरी दी। सज्जादानशीन मेहंदी मियां व प्रबंधक शब्बू मियां नियाजी के साथ मुलाकात की।
उनके साथ तबला वादक नाजिश हुसैन नियाजी भी मौजूद रहे। गजल के साथ-साथ सोमा घोष को बनारसी संगीत की परंपरा अनुसार चैती, कजरी, टप्पा, ठुमरी, दादरा में महारथ हासिल है। उन्होंने यहां शास्त्रीय संगीत को लेकर भी चर्चा की। वहीं गजल के मौजूदा हालात को लेकर उन्होंने बेगम अख्तर के अल्फाज दोहराते हुए कहा कि ''आज का लड़का क्या गजल गाएगा, मैंने 40 साल दगा खाई है, मेरा कलेजा रोता है मैं गाती नहीं।''
बातचीत के दौरान सोमा घोष ने अपने उस किस्से को भी साझा किया जब एक कार्यक्रम के दौरान संगीतकार ने उनकी गजल सुनकर कहा था कि उन्होंने बेगम अख्तर की रूह पाई है। सोमा ने बताया कि बाबा ( उस्ताद बिस्मिल्लाह खां ) ने अपने सगे बच्चों से बढ़कर उन्हें प्यार दिया।
अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जिन बिस्मिल्लाह खां ने बीड़ा उठाया था कि महान सितार वादक पंडित रविशंकर और विलायत खां के सिवा किसी के साथ नहीं बजाएंगे, उन्होंने सोमा के साथ जुगलबंदी की। सोमा एक लंबे अरसे तक बिस्मिल्लाह खां के साथ साये की तरह रहीं। खानकाह से निकलते वक्त सोमा कहकर गईं कि वह यहां से झोली भरकर जा रही हैं।
संसद में प्रस्तुति देने वाली पहली गायिका: सोमा घोष पहली ऐसी भारतीय गायिका हैं जिन्होंने संसद के अंदर भी प्रस्तुति दी है। साल 2003 में उन्होंने उस्ताद बिस्मिल्लाह खां के साथ प्रस्तुति दी थी। इस प्रस्तुति के बाद तत्कालीन राष्ट्रपति डा. एपीजे अब्दुल कलाम ने उन्हें मिलने के लिए बुलाया और फिर राष्ट्रपति भवन के मुगल गार्डन में उन्होंने लाइव प्रस्तुति दी।
उन्होंने बताया कि यह कार्यक्रम बाबा ( उस्ताद बिस्मिल्लाह खां) का अंतिम कार्यक्रम था। भविष्य में अपनी योजनाओं पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि हमेशा उन्होंने बॉलीवुड के आइटम सॉन्ग से परहेज किया। लेकिन अब उनकी इच्छा है कि कुछ फिल्मी गीतों को भी अपनी आवाज दें।
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