अयोध्या: जयंती पर अटल को दी गई काव्यांजलि, हास्य, गीत, ओज व श्रृंगार के साथ करुणा की बही रसधार
अमृत विचार,अयोध्या। पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न की जयंती पर राजकीय इंटर कालेज में आयोजित कवि सम्मलेन में अटल बिहारी वाजपेयी को कव्याजंलि दी गई। सांसद लल्लू सिंह द्वारा आयोजित कवि सम्मेलन में देश के नामचीन कवियों ने पाठ किया। मैदान में हास्य, गीत, ओज व श्रृंगार के साथ करुणा की रसधार बहती रही और देर रात तक श्रोता ताली बजा व दाद देकर आनंदित होते रहे।
अटल की जीवंत तस्वीरों से सजे पंडाल में मणिरामदास छावनी के उत्तराधिकारी महंत कमलनयनदास महाराज ने दीप प्रज्जवलित कर सम्मेलन का उद्घाटन किया। कवियों का स्मृति चिह्न व अंग वस्त्र भेंटकर स्वागत हुआ। कवि सम्मेलन की अध्यक्षता जनकवि जमुना प्रसाद उपाध्याय व संचालन शिवओम अम्बर ने किया।
उद्घाटन अवसर पर महंत कमलनयनदास ने कहा कि सभी का प्रयास राष्ट्र की उन्नति के लिए होना चाहिए। राष्ट्र की उन्नति से ही प्रत्येक व्यक्ति का विकास हो सकता है। अटल का सरल व्यक्तित्व हम सभी के लिए पथ प्रदर्शक की तरह है। हमें उनका अनुसरण करना चाहिए।
आयोजक सांसद लल्लू सिंह ने बताया कि भारतीय साहित्य, संस्कृति व लोक परम्पराओं के संगम को प्रदर्शित करते हुए पिछले 25 वर्षो से देश के प्रख्यात कवियों की रचनाओं से आम जनता को अवगत कराने के लिए कवि सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है। जयंती पर इसको अटल को समर्पित किया गया है। उन्होंने कहा कि अटल जी की प्रेरणादायक कविताएं लोगो के भीतर सदा आत्मविश्वास का संचार करती रहेंगी।
सम्मेलन में हास्य कवि विकास बौखल ने पढा.. एक छंद लिखने में नानी मर जायेगी, इमरान मिंया बिन मारे मर जायेंगे, कवि राजीव राज ने सुनाया... हलाहल खुद पी गये अटल जी, मर्यादा प्रतिरुप राम, यादे झीनी रे, श्रंगार रस की कवियत्री सुमित्रा ने मोहब्बत गा रही हू मै, मेरे हर लम्हे में तेरा होना जरुरी है, सबको बाहरवाली प्यारी जैसे कविताएं सुनाकर भावविभोर किया।
वीर रस के कवि अशोक चारण ने शर्म वाला नहीं गर्व वाला रंग है, सैनिकों के हाथ में बन्दूक होनी चाहिए, मै श्रद्धा के हत्यारे आफताब पर बोलूंगा, मेरी मौत को मिले तिरंगा मर कर भी जी जाउंगा तथा अशोक टाटम्बरी ने... बांधती हैं जो राखियां अटल को, तौ समझौ बसंत है, भुवन मोहिनी ने वो रेखा पार मत करना तो रावण क्या बिगाड़ेगा, अगर मंदोदरी की कोख में बेटी हुई होती, चल परदेशी चल चल, राजस्थान के रमेश शर्मा ने क्या लिखते हो यूं ही, गीत जिसके गाता हूं एक आम लड़की थी की प्रस्तुति किया।
काशी के हास्य कवि अनिल चौबे ने... जिसका वीजा कैसिंल होता है वह प्रधानमंत्री होता है व ट्यूबवेल गांव का शराब फेके लगा, प्रियांशु गजेन्द्र ने रोज मिलौ यमुना तट पर, भोजपुरी रचना उमरिया सरकै धीरे धीरे से दर्शकों की तालियां बटोरी। कवियत्री सुमन दूबे ने हिंदी तथा अवधी में अपनी रचना सबके चेहरे खिले खिले, बगिया में कोयलिया बोलै, जगदीश सोलंकी ने वरना तिरंगा सीमा पर लेकर जाता मै, जो बगैरत गुजारी न होती, विष्णु सक्सेना ने वो बदले तो मजबूरी है, तुने जुल्फें संवारी सवेरा हुआ और संचालन कर रहे शिवओम अम्बर ने जिगर के जख्म चौराहे पर दिखाये नहीं जाते तथा जमुना उपाध्याय ने जरा थक कर सुस्ताने लगे, हर एक हाथ में खंजर दिखाई देता है की प्रस्तुति से दर्शकों को भाव विभोर किया।
इस अवसर पर म. जनमेजय शरण, म.अवधेश दास, म. गिरीश पति त्रिपाठी, राजू दास, रामदास, विहिप के राष्ट्रीय महामंत्री पंकज जी, राज्यमंत्री सतीश शर्मा, महापौर ऋषिकेश उपाध्याय, -कमिश्नर गौरव दयाल, डीएम नितीश कुमार, जिला पंचायत अध्यक्ष रोली सिंह, विधायकों वेद प्रकाश गुप्ता, रामचन्दर यादव, अमित सिंह चौहान, प्रदेश मंत्री ममता पाण्डेय, जिलाध्यक्ष संजीव सिंह, महानगर अध्यक्ष अभिषेक मिश्रा, कमलाशंकर पाण्डेय, अवधेश पाण्डेय बादल, ओम प्रकाश सिंह, स्त्री रोग विशेषज्ञ मंजूषा पाण्डेय, डा चन्द्र प्रकाश त्रिपाठी, पूर्व विधायक रामू प्रियदर्शी, अशोका द्विवेदी, आशा गौड़, स्मृता तिवारी, शंकुतला त्रिपाठी, आलोक सिंह रोहित, आदित्य मिश्रा उपस्थित रहे।
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