मुरादाबाद : हाइड्रोलिक प्लेटफार्म के लिए भटक रहा अग्निशमन विभाग, कर्मचारियों का भी टोटा

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Published By Bhawna
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अलविदा 2022 : महानगर में हैं 15 मंजिला भवन, ऊंचे भवनों में लगी आग बुझाने के लिए नहीं हैं पर्याप्त इंतजाम

मुरादाबाद,अमृत विचार। स्मार्ट सिटी का दर्जा मिलने के बावजूद जिले में अग्निशमन विभाग की व्यवस्थाएं दोयम दर्जे की हैं। महानगर में 15 मंजिला इमारतें हैं मगर अग्निशमन विभाग के पास इन ऊंचे भवनों में आग बुझाने के लिए कोई संसाधन नहीं हैं। हाइड्रोलिक प्लेटफार्म ( Hydraulic Platform) के लिए विभाग वर्षों से प्रयासरत है मगर इस वर्ष भी कमी पूरी नहीं हो सकी। मात्र 20 मीटर की सीढ़ी के सहारे विभाग घिसट रहा है। इतना ही नहीं आत्महत्या के इरादे से ऊंचाई पर चढ़ने वालों को उतारने के लिए भी जाल और फोम के गद्दों का इंतजाम नहीं है। कर्मचारियों का भी टोटा है। इस वर्ष जिले में दो नए अग्निशमन केंद्र तो बने मगर कर्मचारियों के आवास भी अभी तक नहीं बन पाए। इससे कर्मियों को जिला मुख्यालय की दौड़ लगानी पड़ती है।

अग्निशमन विभाग के पास संसाधनों के नाम पर दो फोम टेंडर, 6 फायर टेंडर, तीन वाटर मिस्ट और तीन रेस्क्यू व्हीकल तथा तीन फायर फाइटर बाइक हैं। इसके अलावा 42 मीटर की सीढ़ी भी है। हेलेट रोड फायर स्टेशन पर चार, कटघर में दो और कांठ-बिलारी तथा ठाकुरद्वारा में एक-एक फायर टेंडर हैं। फोम टेंडर का प्रयोग मुख्यमंत्री के कार्यक्रम में ही किया जाता है। यहां एक मुख्य अग्निशमन अधिकारी (सीएफओ), दो अग्निशमन अधिकारी (एफएसओ), तीन अग्निशमन केंद्र द्वितीय अधिकारी (एफएसएसओ), 12 हवालदार, 14 चालक और 57 दमकल कर्मी (फायर मैन) हैं। जबकि पांच एफएसओ, छह एफएसएसओ की नियुक्ति होनी चाहिए। 

विभाग के पास बहुमंजिला इमारतों में लगी आग को बुझाने के लिए कोई इंतजाम नहीं है। ऐसे में यदि इनमें आग लगती है तो बड़े हादसे से इनकार नहीं। विभाग कई वर्ष से हाइड्रोलिक प्लेटफार्म की मांग कर रहा है। रेस्क्यू वाहन का भी अभाव है। तीन छोटी गाड़ियों को ही रेस्क्यू वाहन बना रखा है। हाइड्रोलिक प्लेटफार्म न होने से ऊंचाई पर चढ़े लोगों को बचाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। 

संसाधन न होने से टूट गई थी जिंदगी की डोर
करीब 12 साल पूर्व पाकबड़ा में एक युवक आत्महत्या के इरादे से 220 केवी लाइन के टावर पर चढ़ गया था। उसने वहीं से छलांग लगा दी थी, जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई थी। अगर उस समय हाइड्रोलिक प्लेटफार्म होता तो शायद युवक बच जाता। कटघर क्षेत्र में मोबाइल टावर पर चढ़े युवक को उतारने के लिए दमकल की टीम को 13 घंटे लगे थे। जिला अस्पताल में पानी की टंकी पर चढ़ी महिला को उतारने में भी विभाग को पसीने आ गए थे। विभाग को टंकी के नीचे बिछाने के लिए टेंट हाउस के गद्दों का इस्तेमाल करना पड़ा था। जाल के स्थान पर वालीबॉल का नेट लगा कर काम चलाया गया था। कुल मिलाकर ऊंचाई पर चढ़े लोगों को उतारने के लिए विभाग के पास इंतजाम नहीं है। कर्मचारियों और अधिकारियों को ऐसे लोगों की मनुहार ही करनी पड़ती है। 

इस वर्ष अप्रैल से 26 दिसंबर तक जिले में आग लगने की 400 घटनाएं हुईं। पांच भीषण थीं। जबकि 35 घटनाएं मध्य और 350 मामूली आग लगने की थीं। कर्मियों ने आग में फंसे 18 लोगों और तीन पशुओं की जान बचाई। इसके अलावा गड्ढों में गिरे या ऊंचाई पर चढ़े 15 मनुष्यों और 40 पशुओं को भी सुरक्षित बचाया। स्कूलों, सिनेमाघरों व अन्य स्थानों पर लोगों को आग से बचाव के लिए जागरूक किया गया। उन्हें रसोई गैस में लगी आग को बुझाने और अग्निसुरक्षा उपकरण चलाने का प्रशिक्षण दिया गया। जिले में 950 अग्निमित्र भी बनाए गए हैं। -सुभाष कुमार मुख्य अग्निशमन अधिकारी

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