लखनऊ : राहुल की यात्रा से भाजपा की पेशानी पर पड़ गए बल

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Published By Vinay Shukla
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कहने को तो तीन जिलों में है यात्रा पर प्रदेश में व्यापक असर पड़ने की संभावना

अमृत विचार, लखनऊ। राहुल गांधी की मंगलवार से उत्तर प्रदेश में शुरू हुई भारत जोड़ो यात्रा पर भाजपा की पैनी नजर है। भाजपा ने इस यात्रा को लेकर नफा-नुकसान का आकलन करना शुरू कर दिया है। सोमवार को मुख्यमंत्री आवास पर हुई भाजपा कोर कमेटी की बैठक में राहुल की इस यात्रा को लेकर मिशन 2024 पर पड़ने वाले प्रभाव पर मंथन हुआ।

राहुल गांधी ने मंगलवार को दिल्ली से चलकर लोनी से होते हुए गाजियाबाद में प्रवेश किया। कहने को तो उत्तर प्रदेश में उनकी 130 किलोमीटर की यात्रा है। यात्रा तीन जिलों गाजियाबाद, बागपत और शामली के 11 विधानसभा क्षेत्रों से गुजरेगी। लेकिन जानकारों का कहना है कि इसका प्रदेश खासतौर से पश्चिमी उत्तर प्रदेश में व्यापक प्रभाव पड़ सकता है।

 राहुल गांधी ने महंगाई, बेरोजगारी, आर्थिक असमानता, नफरत छोड़ो सबको जोड़ो व राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे मुद्दों को उठाया है। इन मुद्दों को लेकर कांग्रेस, भाजपा के खिलाफ आक्रामक मोड़ में है तो जनसामान्य भी राहुल के इस बदले हुए रूप में कायदे से देख रहा है। इसको लेकर भाजपा की पेशानी पर बल पड़ना स्वाभाविक है।

भाजपा इसलिए है परेशान

 भाजपा इसलिए परेशान है कि पश्चिम उत्तर प्रदेश की जिन तीन जिलों यानि गाजियाबाद, बागपत और शामली से यह यात्रा गुजरेगी, उसमें मुस्लिम आबादी सबसे ज्यादा है। दूसरे नंबर पर दलितों की आबादी और तीसरे नंबर पर जाट समुदाय के लोग आते हैं। इस समय राज्य में मुस्लिम सपा के साथ है तो दलित में जाटव बसपा के साथ बाकी अन्य ज्यादातर दलित बिरादरियां भाजपा के साथ हैं। किसान आंदोलन के बावजूद जाटों का एक बड़ा तबका भाजपा के साथ है।

चुनाव में निर्णायक भूमिका अदा करते हैं जाट

 एक आकलन के मुताबिक पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 17 फीसदी जाट हैं। ये जाट समुदाय ही चुनाव में निर्णायक भूमिका अदा करते हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव के लिहाज से देखा जाए तो एक सर्वे के मुताबिक चुनाव में 91 फीसदी जाटों ने भाजपा को वोट दिया। पश्चिम के मेरठ, सहारनपुर और मुरादाबाद मंडल के 14 लोकसभा क्षेत्र हैं।

जाटों के ही वोट से सात सीट पर भाजपा जीती थी और सात (सहारनपुर, अमरोहा, बिजनौर, नगीना, मुरादाबाद, संभल व रामपुर) पर विपक्ष जीता था। वैसे भाजपा के पास वर्तमान में आठ सीट हैं और छह सीट विपक्ष के पास बची हैं। इनमें रामपुर सीट पर हुए उप चुनाव में भाजपा जीती थी। अब राहुल की यात्रा से भाजपा को अपने वोट बैंक को बचाने की चुनौती है। हालांकि, यह यात्रा के भाजपा के मिशन 2024 पर कितना असर डालती है, यह तो समय ही बताएगा।

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