मुरादाबाद : नगर निगम की टीम ने विरोध के बीच हटाया अतिक्रमण, नोकझोंक

व्यापारियों की ढिलाई के बाद अवैध निर्माण ध्वस्त करा रहा नगर निगम प्रशासन, बुध बाजार में अपर नगर आयुक्त, सहायक नगर आयुक्त के नेतृत्व में टीमों ने की कार्रवाई, कई जगह व्यापारी खुद कराते रहे अतिक्रमण ध्वस्त

मुरादाबाद : नगर निगम की टीम ने विरोध के बीच हटाया अतिक्रमण, नोकझोंक

मुरादाबाद, अमृत विचार। बुध बाजार में बुधवार को भी नगर निगम की टीम ने दुकानों के सामने अवैध निर्माण को ध्वस्त कराया। व्यापारियों के विरोध के बावजूद निगम प्रशासन ने अतिक्रमण हटाने में कोई कसर नहीं छोड़ा। वहीं व्यापारियों के विरोध को दरकिनार कर टीम आगे बढ़ती रही। कई व्यापारी टीम के तेवर देखकर विरोध की बजाय खुद का मजदूर लगाकर अवैध निर्माण ढहाने में लगे रहे। इस दौरान व्यापारियों की अधिकारी एवं टीम के सदस्यों के साथ नोकझोंक भी हुई।

अपर नगर आयुक्त अनिल कुमार सिंह की निगरानी में सहायक नगर आयुक्त, स्मार्ट सिटी के मुख्य अभियंता एके मित्तल, राजस्व निरीक्षक उमेश कुमार तोमर आदि और निगम के प्रवर्तन दल के सदस्यों ने बुधबाजार में सड़क की दोनों पटरियों पर से अतिक्रमण हटाने का काम किया। स्थानीय पुलिस बल भी सुरक्षा बनाने में लगी रही। व्यापारी प्रथम तल और द्वितीय तल से भी लोहे के शटर आदि को कटवाने के साथ ही व्यावसायिक प्रतिष्ठान निर्माण में आगे बढ़कर बनाए गए छज्जे और नाली पर किए निर्माण को जो लाल निशान के दायरे में रहा उसे तोड़ने में लगे रहे।

 कई जगह टीम के कार्य को रोकने के लिए व्यापारी आए लेकिन तेवर देख वह किनारे हट गए। व्यापारी नेताओं का कहना है कि व्यापारियों को पर्याप्त समय दिए बिना नगर निगम प्रशासन जेसीबी से अतिक्रमण तोड़ने में लग गई। जबकि व्यापारियों ने खुद ही बैनर लगा रखा है कि वह अतिक्रमण तोड़ रहे हैं। कई दशक से दुकानदार यहां अपने प्रतिष्ठान चला रहे हैं लेकिन, अचानक निर्माण पर लाल निशान लगाकर अवैध बता देने में उसके आर्थिक, सामाजिक और व्यक्तिगत लगाव के पहलुओं को भी देखा जाना चाहिए। व्यापारी सरकार के कार्य में अड़ंगा नहीं डाल रहे हैं लेकिन, उनका हित भी देखने की जरूरत सरकार और नगर निगम प्रशासन को है।

अपर नगर आयुक्त अनिल कुमार सिंह का कहना है कि नियमानुसार ही अतिक्रमण हटाने का काम चल रहा है। कई महीने पहले ही अतिक्रमण चिह्नित कर लाल निशान लगाए गए थे। फिर व्यापारियों ने इस अनुरूप बढ़ाकर किए गए निर्माण को क्यों नहीं हटवाया। सरकार की मंशा के अनुरूप ही निगम प्रशासन अपना काम कर रहा है। किसी के उत्पीड़न का सवाल ही नहीं है।

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