काशीपुर: कोयले की रैक पहुंचने से उद्योगों को मिली राहत

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Published By Shobhit Singh
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15 जनवरी के अंक में अमृत विचार अखबार ने कोयले की समस्या को उठाया था प्रमुखता से

काशीपुर, अमृत विचार। कोयले की आपूर्ति शुरू होने से उद्योगों को राहत मिलना शुरू हो गया है। इस महीने की पहली रैक पहुंचने से उद्योग प्रबंधन ने राहत की सांस ली है। दरअसल, सरकार की ओर से स्थानीय उद्योगों को आवश्यकता के अनुरूप कोयले की आपूर्ति नहीं हो पा रही है। जिसके चलते काफी समय से उद्योग इस समस्या से जूझ रहे हैं। 

उद्योग निजी स्रोतों से कोयला मंगाकर या अन्य संसाधनों पर निर्भर होने को विवश है। उद्योगों में स्टीम प्रोडक्शन में नॉन कोकिंग कोयले का प्रयोग होता है। कोकिंग कोयले का प्रयोग स्टील उद्योग में होता है। यहां अधिकांश नॉन कोकिंग कोयले की मांग अधिक रहती है। इस कोयले की खपत सबसे अधिक बाजपुर रोड स्थित आईजीएल उद्योग में होती है। 

इस उद्योग में स्टीम प्रोडक्शन में प्रयोग किया जाता है। जिसके चलते सबसे अधिक नॉन कोकिंग कोयले की जरूरत पड़ती है। आईजीएल सरकार से इस कोयले की डिमांड करती आ रही है, लेकिन पर्याप्त रूप से कोयला उपलब्ध नहीं हो पा रहा था। 15 जनवरी के अंक में दैनिक अमृत विचार अखबार ने 'उद्योगों पर गहराया कोयले का संकट, बंद होने की कगार पर' शीर्षक से प्रमुखता से समाचार प्रकाशित किया था। जिसका संज्ञान लेने के बाद कोयले की आपूर्ति शुरू हो गई है। शुक्रवार को चार दिन बाद ही एक कोयले की रैक पहुंची। इससे आईजीएल ने राहत की सांस ली है। 

बता दें, कि आईजीएल की पिछले साल की अभी तक 65 रैक लंबित चल रही है। उद्योगों के मुताबिक करीब डेढ़ साल पहले सरकार ने कोयला पावर हाउस को देने के लिए कहा था। सरकार के पास काफी समय से कोयले का अभाव बना हुआ है। जिसके चलते उद्योगों को जाने वाला कोयले पर रोक लगा दी गई थी। 

साथ ही दाम भी बढ़ा दिए गए हैं। पिछले साल से रैक की लोडिंग नहीं हो पा रही है। डिमांड पर रेलवे के माध्यम से रैक में लादकर कोयला काशीपुर पहुंचता है। इससे रेलवे की आय में काफी हद तक इजाफा होता है। उधर, रेलवे के मुताबिक इस महीने कोयले की पांच रैक आई है।  

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