लखनऊ विश्वविद्यालय में मेडल पर सबसे अधिक बेटियों का रहा कब्जा, जानकीपुरम कैंपस में 65वां दीक्षांत आयोजित
अमृत विचार लखनऊ। दीवार पर लटकाने के लिए नहीं, बल्कि समाज मे बदलाव लाने के लिए है। यह कहना है राज्यपाल व कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल का। वह शनिवार को लखनऊ विश्वविद्यालय के 65वें दीक्षांत समारोह में डिग्री व पदक धारकों को संबोधित कर रहीं थीं। लविवि ने पहली बार अपना दीक्षांत समारोह जानकीपुरम स्थित द्वितीय परिसर में आयोजित किया। आनंदीबेन पटेल ने सफलतापूर्वक अपनी डिग्री प्राप्त करने के लिए छात्रों को बधाई दी और कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए इसरो के पूर्व चेयरमैन व राष्ट्रीय शिक्षा नीति(एनईपी) ड्रॉफ्टिंग कमेटी के अध्यक्ष रहे के. कस्तूरीरंगन के प्रयासों की सराहना की।
इसके अलावा उन्होंने समारोह में मौजूद डॉ. संजय सिंह के प्रयासों की भी सराहना की, उन्हे आरएनए आधारित कोविड वैक्सीन के आविष्कार के संबंध में मानद उपाधि से सम्मानित किया गया। इसके अलावा उन्होंने डिग्री धारकों से कहा कि वे अपने ज्ञान को समाज में फैलाएं। उन्होंने कहा कि अस्सी प्रतिशत स्वर्ण पदक महिलाओं ने जीते हैं। उन्होंने सभी महिला स्वर्ण पदक विजेता को स्टैंडिंग ओवेशन देने का आग्रह किया और कहा कि यह "महिला सशक्तिकरण" का आदर्श उदाहरण है।
छात्रों की तुलना में छात्राएं क्यों बेहतर, शोध की आवश्यकता
आनंदीबेन पटेल ने कहा कि विश्वविद्यालय को शोध करना चाहिए कि क्यों केवल छात्राएं ही छात्रों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन कर रही हैं। उन्होंने कहा कि छात्र और छात्राओं दोनों को समान प्रदर्शन करना चाहिए। उन्होंने अनुसंधान, खेल और संस्कृति जैसे हर क्षेत्र में बुनियादी ढांचा विकसित करने की बात कही। इसके अलावा लुप्तप्राय प्रवृत्तियों को फिर से जीवंत करने पर जोर दिया और कहा कि विश्वविद्यालय को गांवों तक पहुंचना चाहिए और समाज के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए। विश्वविद्यालय को अपने विश्वविद्यालय के छात्रों को प्रशिक्षित नहीं करना चाहिए, बल्कि स्कूली बच्चों और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं पर भी ध्यान देना चाहिए।
गांवों को गोद लेने पर दिया जोर
कुलाधिपति ने बताया कि उत्तर प्रदेश का प्रत्येक कॉलेज और विश्वविद्यालय यदि एक गांव को गोद लेंगे तो आने वाले 10 वर्षों में राज्य का प्रत्येक गांव चमकेगा और विकसित होगा। इस मौके पर उन्होंने छह स्वर्ण पदक जीतने वाली एक छात्रा के प्रयासों की भी सराहना की। इसके अलावा विश्वविद्यालय को निर्देश दिए कि वर्ष 2023 जो कि “ईयर ऑफ मिलेट” है, में मिलेट पर अध्ययन कर मिलेट के विभिन्न व्यंजन तैयार करें। उन्होंने यह भी कहा कि विश्वविद्यालय महिला ग्राम प्रधानों और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को बाजरा के विभिन्न व्यंजन तैयार करने के लिए प्रशिक्षित करने के लिए आमंत्रित करेगा।
संस्कृति का करे प्रचार-प्रसार
कुलाधिपति ने कहा विश्वविद्यालय को संस्कृत में 100 वाक्य तैयार करने चाहिए और संस्कृत के प्रसार के लिए गोद लिए गए गांव के सभी स्कूलों में इसका आदान-प्रदान करना चाहिए। इसके अलावा उन्होंने मौजूद लोगों से भी संस्कृति को बढ़ावा देने की अपील की। इस मौके पर कुलाधिपति ने नए परिसर में गंगा छात्रावास और कर्मचारी क्वार्टरों का उद्घाटन किया। इसके अलावा देवरी गजा एवं शंकरपुर प्रखंड लखनऊ के प्राथमिक विद्यालय के छात्रों को पुस्तकें एवं उपहार भेंट किए। उन्होंने "आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं" को किट और छोटे उपहार भी भेंट किए और उन्हें अपने क्षेत्र में बेहतर करने के लिए प्रेरित किया। इससे पूर्व लविवि के कुलपति प्रो.आलोक कुमार राय ने विश्वविद्यालय की प्रगति रिपोर्ट पेश की। इसके अलावा मंत्री उच्च शिक्षा योगेन्द्र उपाध्याय और राज्य मंत्री, उच्च शिक्षा, रजनी तिवारी ने भी बतौर विशिष्ट अतिथि छात्र-छात्राओं को संबोधित किया।
अमृत विचार से बातचीत में बोले मेधावी