
अब भारत में अब नहीं चलेगी Google की दादागिरी, बदलने पड़े प्ले स्टोर के नियम, जानिए पूरा मामला
नई दिल्ली। आज हर व्यक्ति के पास एक स्मार्टफोन तो होता ही हैं, उसमें से करीब 97 प्रतिशत मोबाइल एंड्रॉयड के होते हैं। एंड्रॉयड एक ऑपरेटिंग सिस्टम है जिसे गूगल चलाता हैं। आज देश में बिकने वाले 97 फीसदी फोन में एंड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम होता हैं।
ऐसे में जब आप किसी भी कंपनी का एंड्रॉइड फोन खरीदते हैं तो उसके में आपको गूगल की प्रीइंस्टॉल्ड एप्स जैसे अब यूट्यूब, फोटो, जीमेल आदि मिलती हैं। दरअसल गूगल इन एप्स को स्थाई रूप से इंस्टॉल करने की अनिवार्यता लागू करता है। अब गूगल के ये एप्स अनिवार्य नहीं होंगे। गूगल प्ले स्टोर में इसी संबंध में बदलाव किया गया है।
गूगल ने कहा है कि अब यूट्यूब, फोटो, जीमेल जैसे इन कंपल्सरी एप्स को रखना जरूरी नहीं होगा। गूगल ने बुधवार को कहा कि वह भारत में एंड्रॉयड आधारित स्मार्टफोन उपयोग करने वालों को डिफॉल्ट फीचर्स की सुविधा मुहैया कराने जा रहा है। यानि कि अब यूजर्स किसी विषय के बारे में सर्च गूगल ब्राउजर के अलावा किसी भी दूसरे ब्राउजर पर कर सकेंगे।
गूगल पर CCI ने लगाया जुर्माना
गूगल को यह कदम कंपनी की कोई सौम्यता नहीं है बल्कि उसकी हेकड़ी खत्म होने की मिसाल है। पिछले हफ्ते ही सुप्रीम कोर्ट ने कंपटीशन कमीशन ऑफ इंडिया (CCI) द्वारा उस पर लगाए गए 1337.76 करोड़ रु. के जुर्माने पर रोक से इनकार कर दिया था।
CCI की जुर्माना लगाने की वजह यह थी कि गूगल एंड्रॉयड के बदले में मार्केट में कंपटीशन के नियमों का उल्लंघन कर रहा था। CCI के निर्णय के बाद गूगल ने भारत सरकार को लगभग धमकी देते हुए जुर्माने को रद्द करने की मांग की थी। भारत ही नहीं अमेरिका में भी गूगल एकाधिकार संबंधी मुकदमा झेल रहा है।
अमेरिका में न्याय विभाग और 8 राज्यों ने ऑनलाइन विज्ञापन बाजार में मोनोपोली कायम करने की पॉलिसी को लेकर गूगल के खिलाफ केस किया है। 140 पेज की शिकायत में कहा गया है कि डिजिटल विज्ञापन में गूगल ने सर्च इंजन में अपने प्रभुत्व से प्रतिस्पर्धा को खत्म कर दिया है।
इस बारे में गूगल ने क्या कहा?
हालांकि, कंपनी का तर्क है कि इस तरह के समझौते एंड्रॉयड को मुक्त रखने में मदद करते हैं। प्रतिस्पर्धा आयोग ने पिछले साल अक्टूबर में अपने आदेश में कहा था कि गूगल के प्ले स्टोर के लाइसेंस को गूगल सर्च सर्विसेज, क्रोम ब्राउजर, यूट्यूब या किसी अन्य गूगल एप्लिकेशन को पहले से ‘इंस्टॉल’ करने की शर्त से नहीं जोड़ा जाएगा।
आदेश में गूगल से गूगल मैप और यूट्यूब जैसे ऐप को हटाने की अनुमति देने को कहा गया था। फिलहाल इसे एंड्रॉयड फोन से नहीं हटाया जा सकता। ये फोन में पहले से ही ‘इंस्टॉल’ होते हैं। गूगल ने कहा कि हम जरूरत के अनुसार एंड्रॉयड का अद्यतन कर रहे हैं।
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