Surya Jayanti 2023: आज है सूर्य उपासना का दिन, जानिए पूजा विधि और कथा

Surya Jayanti 2023: आज है सूर्य उपासना का दिन, जानिए पूजा विधि और कथा

Surya Jayanti 2023: आज यानी शनिवार को सूर्य जयंती मनाई जा रही है। माघ माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी को सूर्य देव का जन्म हुआ था, इसे रथ सप्तमी, सूर्य सप्तमी, अचला सप्तमी और माघ सप्तमी के नाम से भी जाना जाता है।  सूर्य देव ग्रहों के राजा हैं। सूर्य जयंती के दिन उपवास रखने और भगवान भास्कर की अराधना करने से मन की हर इच्छा पूर्ण होती है।  तो आइए जानते हैं सूर्य जयंती के दिन किस विधि के साथ पूजा करनी चाहिए और इसके पीछे की धार्मिक मान्यता क्या है। 

सूर्य जयंती व्रत पूजा विधि

  • प्रात:काल उठकर स्नान कर साफ-सुथरे वस्त्र धारण कर लें।
  • स्नान के बाद उगते सूर्य को अर्घ्य दें।
  • संभव हो तो किसी नदी या तालाब में जाकर स्नान करें।
  • अर्घ्य देते समय सूर्य मंत्र  या गायत्री मंत्र का जाप करें।
  • फिर व्रत का संकल्प लें।
  • सूर्य की अष्टदली प्रतिमा बनाएं या सूर्यदेव की तस्वीर के सामने पूजा करें।
  • भगवान भास्कर की पूजा में धूप, दीप, घी का दीपक, लाल पुष्प, अक्षत और लाल चंदन का इस्तेमाल करें।
  • सूर्य देव को लाल रंग की मिठाई का भोग लगाना फलदायी रहेगा।
  • पूजा के बाद किसी ब्राह्मण या गरीब को दान जरूर करें।

सूर्य जयंती से जुड़ी पौराणिक कथा
धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, एक बार युधिष्ठिर ने भगवान कृष्ण से पूछा कि कलयुग में कोई स्त्री किस व्रत को करेगी तो सौभाग्यवती होगी? इसपर प्रभु कृष्ण ने एक कथा सुनाई और बताया कि प्राचीन काल में इंदुमती नाम की एक वेश्या थी जो वशिष्ठ ऋषि के पास गई और कहा कि हे! मुनिराज मैंने आजत कोई भी धार्मिक काज नहीं किया है। ऐसे में बताइए कि मुझे मोक्ष कैसे मिलेगा। तब वशिष्ठ मुनि ने कहा कि स्त्रियों के लिए अचला सप्तमी व्रत ही है जो उन्हें मुक्ति और सौभाग्य देने के साथ उनका कल्याण करेगी। तुम भी इस व्रत को करो, तुम्हारा कल्याण होगा। तब इंदुमती ने विधिवत अचला सप्तमी का व्रत किया। मृत्यु के बाद इंदुमती को स्वर्ग लोक की प्राप्ति हुई। इतना ही नहीं कहते हैं कि उसे सभी अप्सराओं में सबसे ऊपर का स्थान मिला।

(नोट- ये आर्टिकल जन सामान्य सूचनाओं और लोकोक्तियों पर आधारित है। अमृत विचार इसकी पुष्टि नहीं करता।)

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