लद्दाख के मुद्दे पर सोनम वांगचुक के पांच दिवसीय अनशन के अंतिम दिन हुए सैकड़ों लोग शामिल 

लद्दाख के मुद्दे पर सोनम वांगचुक के पांच दिवसीय अनशन के अंतिम दिन हुए सैकड़ों लोग शामिल 

लेह। संविधान की छठी अनूसूची लागू करने सहित केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के लिए कई मांगों को लेकर शिक्षा सुधारक सोनम वांगचुक के पांच दिवसीय अनशन का समर्थन करने के लिए सोमवार को सैकड़ों लोग एकत्र हुए। बॉलीवुड की सुपरहिट फिल्म ‘थ्री इडियट्स’ के एक किरदार के प्रेरणास्रोत और पेशे से इंजीनियर वांगचुक का समर्थन करने वालों में लेह एपेक्स बॉडी ऑफ पीपुल्स मूवमेंड फॉर सिक्स्थ सिड्यूल और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (केडीए) के शीर्ष नेता भी आए।

ये भी पढ़ें - राहुल गांधी ने कहा- हमारे परिवार की कश्मीरियत ने संगम से फैलाई गंगा-जमुनी तहजीब 

एपेक्स बॉडी और केडीए संयुक्त रूप से चार सूत्री मांग कर रहे हैं जिनमें लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा देना और इलाके को संविधान की छठी अनूसची के अधीन लाना शामिल है। हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव लद्दाख (एचआईएएल) परिसर में संवाददाताओं से वांगचुक ने कहा, ‘‘आज मेरा सांकेतिक कार्बन निरपेक्ष जलवायु अनशन का आखिरी दिन है और इसमें शामिल होने वाले लोगों का शुक्रगुजार हूं।

यह अनशन प्रधानमंत्री (नरेंद्र मोदी) का ध्यान आकर्षित कराने के लिए था ताकि हमारे नेता उन्हें उनकी चिंताओं और मांगों से अवगत करा सके।’’ वांगचुक ने कहा कि ग्लेशियर सहित हिमालय की रक्षा अधिक महत्वपूर्ण होना चाहिए बजाय ‘‘ कुछ कॉरपोरेट की खुशी’’ क्योंकि इसका सीधा प्रभाव उप महाद्वीप के लोगों पर पड़ेगा। उन्होंने कहा, ‘‘सरकार को हिमालय के पर्यावरण के लिए भविष्य उन्मुखी योजना बनानी चाहिए।

उसे लद्दाख को संविधान की छठी अनूसची में शामिल करने के वादे को पूरा करना चाहिए।’’ वांगचुक ने धमकी दी कि अगर सरकार की ओर से जवाब नहीं आएगा तो वह अपना विरोध प्रदर्शन तेज करेंगे। उन्होंने कहा, ‘‘यह महज सांकेतिक विरोध था लेकिन जवाब नहीं मिला तो मैं 10 दिनों के लिए अनशन करूंगा, उसके बाद 15 दिनों का और फिर अंतिम सांस तक अनशन करूंगा।’’

एपेक्स बॉडी के अध्यक्ष और पूर्व सांसद थुपस्तान चेवांग ने घोषणा की कि लद्दाख की पहचान और संस्कृति की रक्षा करने में सरकार की ‘असफलता’ के खिलाफ 31 जनवरी को ‘विशाल रैली’ की जाएगी। 

ये भी पढ़ें - ‘‘भारत जोड़ो यात्रा’’: कांग्रेस के लिए 2024 की जगी उम्मीद, विवादों का भी पड़ा साया