सीमा-शुल्क में कटौती, MSME को समर्थन से विनिर्माण, निर्यात को मिलेगा बढ़ावा: निर्यातक

Amrit Vichar Network
Published By Om Parkash chaubey
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नई दिल्ली। संसद में बुधवार को पेश आम बजट में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) तथा निर्यातकों को समर्थन देने के लिए घोषित ऋण गारंटी योजना समेत कई अन्य योजनाओं से देश के निर्यात को बढ़ाने में मदद मिलेगी। उद्योग संगठनों ने बृहस्पतिवार को यह कहा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने घोषणा की थी कि सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों (एमएसएमई) के लिए 9,000 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ एक अप्रैल को संशोधित ऋण गारंटी योजना पेश की जाएगी।

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परिधान निर्यात संवर्धन परिषद (एईपीसी) के चेयरमैन नरेंद्र कुमार गोयनका ने कहा कि बुनियादी ढांचा, निवेश, हरित वृद्धि, युवा शक्ति और समावेशी विकास पर जोर से सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था की दिशा में भारत की यात्रा और तेज होगी। उन्होंने कहा, ‘‘पीएलआई योजना के दायरे में और क्षेत्रों को लाने और एमएसएमई क्षेत्र को समर्थन देने से देश में निवेश और निर्यात को बढ़ावा मिलेगा।

नए सिरे से शुरू की गई ऋण गारंटी योजना छोटे और मध्यम उद्यमों के दबाव को निश्चित तौर पर कम करेगी।’’ निर्यातकों के शीर्ष संगठन फियो के अध्यक्ष ए शक्तिवेल ने कहा कि बजट में सीमा-शुल्क में कई बदलाव किए गए हैं जिससे विनिर्माण और निर्यात में प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा कि विकृत इथाइल अल्कोहल और कच्चे ग्लिसरीन - पर बुनियादी सीमा शुल्क में छूट से रसायन क्षेत्र को लाभ मिलेगा।

वहीं झींगे के आहार की कच्ची सामग्री पर शुल्क घटाने से समुद्री निर्यात तथा प्रयोगशाला में हीरे के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए उठाए गए कदमों से रत्नों और आभूषणों के निर्यात में वृद्धि होगी। वहीं सीआईआई की निर्यात-आयात पर राष्ट्रीय समिति के चेयरमैन संजय बुधिया ने कहा कि चुनिंदा क्षेत्रों में सीमा-शुल्क घटाने से वैश्विक मूल्य श्रृंखला में भारत की भागीदारी बेहतर होगी। 

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