अयोध्या : देवशिला से रामलला के विग्रह का निर्माण तय
अमृत विचार,अयोध्या। नेपाल से लाई गयी देवशिला से रामलला के विग्रह का निर्माण लगभग तय है। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के न्यासी कामेश्वर चौपाल कहते हैं कि यह वही शिला है जिससे रामलला के विग्रह का निर्माण होना है। फिर भी अंतिम निर्णय बोर्ड आफ ट्रस्टीज को लेना है।
उधर, देवशिला की खोज में शामिल नेपाल के भूगर्भीय वैज्ञानिक डॉ. कुलराज चालिसे का कहना है कि अयोध्या लाई गयी दोनों देवशिलाएं शालिग्राम नहीं है बल्कि स्वयंभू भगवान विष्णु के विग्रह स्वरूप शालिग्राम के सान्निध्य में होने के कारण यह शिलाएं देवशिलाओं की श्रेणी में है। उनका कहना है कि हर शालिग्राम देवशिला है जबकि हर देवशिला शालिग्राम नहीं है। उन्होंने बताया कि शालिग्राम का वैज्ञानिक नाम एमोनाइट है जबकि यहां लाई गयी 14 टन की पहली शिला कैल्जाइट है।
वहीं दूसरी 26 टन वजन की शिला क्वारजाइट है। उन्होंने बताया कि क्वारजाइट की प्रकृति हार्डनेस व कैल्जाइट की प्रकृति साफ्टनेस है। उन्होंने बताया कि इसीलिए विग्रह निर्माण के लिए 14 टन की कैल्जाइट शिला की संस्तुति की गयी है। डॉ. चालिसे कहते हैं देवशिला के चयन के लिए तीन प्राथमिकताएं थीं जिनमें पहला गुणवत्ता, दूसरा हृयूमन सेंटीमेंट व तीसरा शास्त्र प्रमाण प्रमुख रहा। उन्होंने बताया कि उस आधार पर गलेश्वर क्षेत्र चुना गया था।
यह वही स्थान जहां राजा भरत जिनके नाम पर देश का नामकरण भारत हुआ, ने तप किया था। उन्होंने बताया कि शास्त्र प्रमाण का सबसे बड़ा उदाहरण यह है कि रामलला के विग्रह के लिए जिन दो शिलाओं को चयनित किया गया था, उनके उत्खनन के दौरान शिला के ठीक नीचे से चतुर्मुख शालिग्राम के विग्रह भी प्राप्त हुए थे।
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