विश्व कैंसर दिवस : बरेली में कैंसर रोगियों की तादाद 10 हजार पार
पूरे रुहेलखंड में तेजी से बढ़ रही है संख्या, रोग के लक्षण पहचानने और इलाज कराने में देरी पड़ रही है भारी
बरेली, अमृत विचार। रुहेलखंड में कैंसर रोगियों की तादाद तेजी से बढ़ रही है। अकेले बरेली में कैंसर रोगियों की संख्या 10 हजार पार कर गई है। कैंसर विशेषज्ञों के मुताबिक खानपान में बेपरवाही के साथ शुरुआत में कैंसर के लक्षण पहचानने में देरी और समय से इलाज न कराना सबसे ज्यादा भारी पड़ रहा है। यही वजह है कि हर तीन कैंसर रोगियों में से दो को बचाया नहीं जा पाता। कैंसर के इलाज के लिए अब अत्याधुनिक तकनीकें हैं, अगर समय से इलाज कराया जाए तो कैंसर से मुक्ति पाना बहुत मुश्किल नहीं है।
पूरे रुहेलखंड में कैंसर के मामले तेजी से बढ़े हैं। आंकड़ों के मुताबिक बरेली जिले में ही विभिन्न संस्थानों में इलाज करा रहे कैंसर रोगियों की संख्या 10 हजार से ज्यादा है। कैंसर से लड़ाई में सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि सरकारी अस्पतालों में इस जानलेवा रोग के इलाज का इंतजाम नहीं है। बदायूं, शाहजहांपुर और पीलीभीत में तो कैंसर रोग विशेषज्ञ ही नहीं हैं। यही वजह है कि हर तीन महीने में दो कैंसर रोगियों की मृत्यु हो जाती है। बरेली जिले के कई इलाकों कैंसर के मामले औसत से कई गुना ज्यादा हैं। आंवला और मीरगंज तहसील में कई सालों से कैंसर रोगियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। इन इलाकों में खराब भूजल को भी कैंसर की वजह माना जाता रहा है।
तंबाकू का नतीजा, गले और मुंह का कैंसर सबसे ज्यादा
मुंह और गले के कैंसर के केस सबसे ज्यादा हैं। इसकी सबसे प्रमुख वजह धूम्रपान, तंबाकू और गुटखा खाना है। युवा इस कैंसर के सबसे ज्यादा शिकार हो रहे हैं। दूसरा नंबर स्तन और गर्भाशय में कैंसर के मामलों का है, हालांकि लगातार शोध के बावजूद इन मामलों के बढ़ने की वजह साफ तौर पर अब तक पता नहीं लगाई जा सकी है। कैंसर विशेषज्ञों के मुताबिक 35 से 60 साल की आयु में कैंसर के केस ज्यादा होते हैं। पहले कैंसर की उम्र 40 से 60 के बीच मानी जाती थी। बरेली में लगभग साढ़े तीन हजार मरीज ऐसे हैं जिन्हें गले और मुंह का कैंसर है। जांच में तंबाकू से कैंसर होने की पुष्टि हो चुकी है।
भयावह : बच्चों में 10 तरह के कैंसर के मामले
आंकड़ों के मुताबिक पांच से 14 वर्ष के बच्चों में मृत्यु का नौवां बड़ा कारण कैंसर है। भयावह स्थिति यह है कि बच्चों में 10 तरह के कैंसर होने के केस मिले हैं। इनमें एक्यूट ल्यूकेमिया, ब्रेन ट्यूमर, लिम्कोमा,न्यूरोब्लास्टोमा, विल्म ट्यूमर, रेटिनोब्लास्टोमा, साफ्ट टिश्यू सरकोमा शामिल हैं। डॉक्टरों का कहना है कि बच्चों में सबसे अधिक एक्यूट ल्यूकेमिया यानी ब्लड कैंसर होता है। इसमें हीमोग्लोबिन का स्तर कम होना, श्वेत रक्तकण कभी कम कभी अधिक हो जाना और प्लेटलेट्स कम होना लक्षण हैं।
कैंसर की विनाशलीला
- भारत में प्रति मिनट सरवाइकल कैंसर से एक महिला की मृत्यु।
- देश में प्रति मिनट दो महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर का पता चलता है, एक की मौत हो जाती है।
- देश में तंबाकू की वजह से मुंह के कैंसर से प्रतिदिन 3500 लोगों की मृत्यु, वर्ष 2018 में कैंसर से 7,84,921 लोगों की मौत।
- कैंसर से सबसे ज्यादा 25 फीसदी पुरुषों की मौत की वजह मुंह और फेफड़ों का कैंसर। महिलाओं में सबसे ज्यादा 25 फीसदी वजह मुंह और ब्रेस्ट कैंसर।
घबराने के बजाय समय पर जांच कराएं
बरेली इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी के ऑन्कोलॉजी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर और वरिष्ठ कैंसर विशेषज्ञ डॉ. अर्जुन अग्रवाल के अनुसार कैंसर से डरने की नहीं बल्कि जागरूक होने की जरूरत है। कैंसर के लक्षण होने पर फौरन विशेषज्ञ की सलाह लें। पुरुषों में गले-मुंह और महिलाओं में गर्भाशय, पित्ताशय और स्तन कैंसर के केस ज्यादा हैं। लोगों को कैंसर के लक्षणों के बारे में बात करनी चाहिए। सामान्य लक्षण जैसे सूजन, अल्सर, रक्तस्राव, वजन घटना आदि हैं जो दिखते ही डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए। रोहिलखंड कैंसर संस्थान में रेडियोथेरेपी और कीमोथेरेपी के माध्यम से गंभीर कैंसर का इलाज संभव है।
ये भी पढ़ें- बरेली : शांति विहार और मुंशीनगर में अधूरे कार्य कराने को 89 लाख जारी, अब होंगे पूरे
Related Posts
Post Comment
Advertisement
ताजा समाचार

Comment List