हल्द्वानी: शहर किताबी बनेगा या शराबी

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Published By Shweta Kalakoti
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सरकार को शिक्षा से नहीं शराब कारोबार से सरोकार

- युवाओं को शिक्षा के लिए प्रेरित करने के लिए नहीं किये जा रहे कोई प्रयास - शराब कारोबार को बढ़ावा देने के लिए निकाले जा रहे तमाम विज्ञापन - शहर में चार में से सिर्फ एक पुस्तकालय बचा उसमें भी किताबें नहीं

हल्द्वानी, अमृत विचार। किसी भी व्यक्ति या इंसान की पहचान उसके शौक से होती है। इस मामले में हल्द्वानी शहर की तस्वीर थोड़ी निराशाजनक है। हल्द्वानी शहर में किताब पढ़ने से ज्यादा शौकीन शराब के हैं । यही कारण है कि शहर में किताबों से ज्यादा शराब की दुकानें हैं। हल्द्वानी शहर में सरकारी लाइब्रेरी के नाम पर सिर्फ एक नगर निगम की पंडित जीबी पंत लाइब्रेरी बची है। इस लाइब्रेरी में भी बच्चों के पढ़ने के लिए उचित साहित्य, मैग्जीन व पुस्तकें नहीं हैं। शहर में ई-लाइब्रेरी के नाम पर अबतक कोई व्यवस्था शुरू नहीं हो पाई है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि हमारी सरकारें बच्चों के भविष्य को लेकर कितनी गंभीर है। 

शहर में शराब की दुकानें व बार 26 हैं। इसके मुकाबले शहर में किताबों के महज तीन स्टोर हैं। सरकार की ओर से भी शहर में पुस्तकालय और लाइब्रेरी स्थापित करने की दिशा में कोई सार्थक पहल शुरू नहीं हो पाई है। यही कारण है कि हल्द्वानी के लोगों को किताबें पढ़ने से ज्यादा शराब पीने का शौक है। शहर अभी धीरे-धीरे विकसित हो ही रहा था कि शहर में पिछले पांच सालों में दस से ज्यादा शराब के बार खुल चुके हैं। साथ ही शराब की दुकानों की संख्या में भी वृद्धि हुई है। वहीं इतने सालों से  किताबों की दुकानें बढ़ने के बजाए कम हो गई है। शहर में नगर निगम के चार पुस्तकालय हुआ करते थे। अब यहां सिर्फ एक ही पुस्तकालय बचा है। 

हल्द्वानी शहर में अभी महज तीन ही कमर्शियल बुक स्टोर हैं। जस्ट बुक्स काठगोदाम में, बिबलोमैनीयैक द बुक स्टोर दुर्गा सिटी सेंटर में, और गीता प्रेस हल्द्वानी बाजार में। इन बुक स्टोर्स में छोटे बच्चे से लेकर बड़े-बुजुर्ग तक सबके लिए किताबे उपलब्ध है। यहां हल्द्वानी से लेकर विदेश तक के लेखक की किताबें रखी गई हैं।

युवाओं पर पड़ रहा गलत असर


शहर में किताबों की दुकानें कम होने से युवाओं का किताबों की ओर रुझान कम होने लगा है। वहीं जगह-जगह शराब की दुकाने होने से युवा शराब की ओर आकर्षित होते हैं। वह धीरे-धीरे नशे के आदि हो जाते हैं। जिससे युवावर्ग समाजिक गतिविधियों में भागीदारी नहीं कर पाते हैं। वह नशे के कारण समाज से अलग-थलग पड़ जाते हैं।

शहर में मात्र एक पुस्तकालय 


शहर में सरकार की तरफ से एकमात्र पुस्तकालय संचालित किया गया है। रोडवेज स्टेशन के पास चल रहा पंडित गोविंद बल्लभ पंत पुस्तकालय शहर में किताबों के शौकीनों का एकमात्र आसरा है। स्टूडेंट्स ने बताया कि पुस्तकालय के हालत दयनीय है। पुस्तकालय में किताबें भी नहीं हैं। जिस हिसाब से शहर का विस्तार हुआ और जनसंख्या में वृद्धि हुई उस हिसाब से न नए वाचनालय बनाए गए और न ही पुराने पुस्तकालयों का ध्यान रखा गया है। पुस्तकालय में छात्रों के पढ़ने के लिए न तो अखबार मिलते हैं और ना ही प्रतियोगी पुस्तकें।

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