बरेली: फसलों पर तापमान की मार, चिंता में डूबे किसान

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Published By Vikas Babu
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गेहूं के साथ ही सरसों की फसल में माहू कीट का देखा जा रहा प्रकोप

बरेली, अमृत विचार। पहले बारिश, फिर सर्दी और अब फरवरी में बढ़ रहे तापमान का मिजाज खेतों में लहलहाती फसलों को रास नहीं आ रहा है। ऐसे में बिथरी, आवंला, मीरगंज में गेहूं के साथ ही सरसों की फसल में माहू कीट का प्रकोप बढ़ने की संभावना बढ़ गई है। जिस कारण किसानों की भी चिंता बढ़ गई है। वहीं कृषि विशेषज्ञ डा. हरीश बताया कि यह कीट ज्यादातर फरवरी माह तक फसलों को प्रभावित करता है। जिससे फसलों को नुकसान पहुंचता है।

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कृषि विशेषज्ञ डा. हरीश ने बताया कि फरवरी में गेहूं, तिलहन के साथ सरसों की फसल में कई प्रकार के कीट व रोग इनकी वृद्धि प्रक्रिया को बाधित करते हैं। फसलों की बढ़वार के समय इनकी पत्तियों में अधिक मात्रा में रस पाया जाता है। इसी रस को चूसने के लिए माहू कीट का प्रकोप अधिक रहता है।

उन्होंने बताया कि यह कीट गेहूं, सरसों के साथ अन्य फसलों को भी नुकसान पहुंचाता है। जबकि गेहूं की फसल में माहू कीट का प्रकोप बढ़वार की अवस्था में ज्यादा रहता है। यह कीट हल्के काले रंग का होता है, जो शाम के समय में काफी तेजी से उड़ते हुए फसलों को अधिक नुकसान पहुंचाता है।

वहीं कृषि रक्षा अधिकारी अर्चना प्रकाश ने बताया कि माहू कीट तापमान बढ़ने पर फसल की पत्ती, डंठल, तने और बालियों से रस चूसता है। जिसकी वजह पैदावार घट जाती है। उन्होंने कीट से बचाव के लिए सलाह दी कि थियामेथोक्सम दवा को 200 लीटर पानी में घोलकर खेतों की फसल पर छिड़काव करना चाहिए।

यदि कीट का प्रकोप ज्यादा हो तो डायमेथोएट नामक कीटनाशक को एक लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर में छिड़काव किया जा सकता है। उन्होंने किसानों को सलाह दी कि फरवरी में गेहूं की फसल में यूरिया का अधिक मात्रा में प्रयोग नहीं करना चाहिए, जिससे पैदावार पर असर पड़ता है।

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