बहराइच: अरहर और सरसों को रोग से बचाने के लिए कीटनाशक का करें छिड़काव

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Published By Deepak Mishra
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बहराइच, अमृत विचार। कृषि विज्ञान केन्द्र बहराइच प्रथम के फसल सुरक्षा अनुभाग के द्वारा कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें अग्रिम पंक्ति प्रदर्शन एवं प्रक्षेत्र परिक्षण के क्रम में समन्वित कीट एवं रोग कार्यक्रम में प्रयुक्त होने वाली नियंत्रण पद्धति के तहत कीटनाशी रसायनों का 30 किसानों को वितरण किया गया। 

कृषि विज्ञान केंद्र प्रथम में आयोजित गोष्ठी में किसानों को संबोधित करते कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर विनायक शाही ने कहा कि इस समय अरहर में छेदक एवं सरसो में माहू बग और सूडियो रोग लग रहा है। इस पर प्रभावी नियंत्रण पाने के लिए कीट नाशको को एक अंतिम विकल्प के रूप में कीटनासी रसायनों के प्रयुक्त प्रयोग पर बल दिया। 

केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. पीके सिंह ने बताया कि कीटनाशी के प्रयोग के पूर्व यांत्रिक विधियों का समागम करना एक बेहतर विकल्प ही सकता है।डा.शैलेन्द्र सिंह ने कहा कि  कीटनाशक रासायनिक या जैविक पदार्थों का ऐसा मिश्रण होता है जो कीड़े मकोड़ों से होनेवाले दुष्प्रभावों को कम करने, उन्हें मारने या उनसे बचाने के लिए किया जाता है। 

अगर समय रहते कीटनाशी रसायनों का प्रयोग किया जाए तो  कीटो से फसल को अधिक नुकसान होने से बचाया जा सकता है।यंग प्रोफैशनल कुशाग्र सिंह ने बताया कि कीटनाशकों के उपयोग के बिना, हमारी आधी से अधिक फसल कीटों और बीमारियों से नष्ट हो जाती इसलिए  कीटनाशकों का सही समय पर और सही मात्रा का ही प्रयोग करना चाहिए। इस दौरान किसान और अन्य लोग मौजूद रहे।

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